Wednesday, November 14, 2012

घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे !!


बहुत दिन हो गए थे इस कोने आये हुए ! सबसे पहले तो दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं आप सभी को ! गुरु देव पंकज सुबीर जी के ब्लॉग पर एक तरही चल रही है दीपावली के शुभ मौके पर सो वहीँ के लिए लिखी ये ग़ज़ल आप सभी को भी नज़्र है !

अगर वो अश्क़बार हो तो हो रहे तो हो रहे !
जो वक़्त शर्मसार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

ये मोजिज़ा मुझे भी एक बार तो नसीब हो ,
की दाग़ दाग़दार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

मुझे अजीज़ है मेरा ये ख़ुद से इंक़लाब भी ,
जो ग़म भी शानदार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

मुझे चराग़-ए-इश्क़ ने तो बख्श दी है रौशनी ,
घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

ये एहतियात क्या कोई करे है इश्क़ में कहीं ,
जो दिल भी बेक़रार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

रगों में आशिक़ी मेरी जुनू-ए-इश्क़ है मेरा ,
दीवानगी में यार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

लहू में इख्तालाब हो अजियतों के वास्ते ,
जो अर्श ज़ार ज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

अर्श

6 comments:

  1. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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  2. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल..
    "ये एहतियात क्या कोई करे है इश्क में कहीं?,
    जो दिल भी बेक़रार हो तो हो रहे तो हो रहे.."
    वाह.

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  3. उम्दा शेर... बहुत अच्छी ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई...

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