tag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post1929913167300780656..comments2023-05-11T19:45:32.633+05:30Comments on " अर्श ": अगर जुन्नार और तस्बीह दोनों एक हो जाए..."अर्श"http://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-31551405518683953782009-01-01T23:47:00.000+05:302009-01-01T23:47:00.000+05:30एक मेरा प्यारा सा छोटा सा भाई है "अर्श".अपने इस बड़...एक मेरा प्यारा सा छोटा सा भाई है "अर्श".<BR/>अपने इस बड़े भाई की ही नज़र लगवा बैठेगा शायद, इतनी सुन्दर भावाभिव्यक्ति करेगा यदि तो.<BR/>अर्श सवाल मत कर भाई, तू किंग बनेगा, पक्का है ये. तेरी मेहनत ज़ाया न होगी कभी, आज नववर्ष पर तेरे इस बिगब्रदर का आशीर्वाद तो पक्का है. सहज हो जा. और स्ट्डी कर अर्श. तुझ में लहजा है भाई. तू जब चाहे मदद ले सबसे. सब तुझे प्यार करते हैं तभी तो तुझे इस्लाह देते हैं. है ना. किसी का बुरा न मानना और अपना दिल छोटा न करना. अर्श हमारा प्यारा है और सबकी उम्मीद पर खरा उतरेगा इसी आशा के साथ.बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-78668595314162464522008-12-29T21:27:00.000+05:302008-12-29T21:27:00.000+05:30सुर जी ,आप तो साहब ईद के चाँद हुए बैठे हो ... कोई ...सुर जी ,आप तो साहब ईद के चाँद हुए बैठे हो ... कोई कहबर है नही है कहाँ हो आप? आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहोत बहोत धन्यवाद ,अभी तो ग़ज़ल की बहोत सारी तकनीक सिखनी है वेसे मेरी ग़ज़लों को पढ़ने के लिए कोई तकनीक हालाँकि नही सिखानी होगी आपको अभी तो अदना हूँ सिखाता जा रहा हूँ....<BR/><BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-8414790816568922042008-12-29T21:21:00.000+05:302008-12-29T21:21:00.000+05:30गौतम जी और नीरज जी मैं नाराज नही हूँ मैं तो उत्तेज...गौतम जी और नीरज जी मैं नाराज नही हूँ मैं तो उत्तेजित हूँ जानने के लिए और ये लालसा बढाती ही जा रही है .... आप दोनों की बात से मैं सहमत हूँ इसकी तकतई २२ ही है मगर जिघ्यासा बढाती जा रही है कैसे गलती को सही करूँ और जयादा सिखाता जाऊँ.....<BR/><BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-28406699488082585892008-12-29T20:06:00.000+05:302008-12-29T20:06:00.000+05:30बहुत खूब बहुत खूब पर एक बात है अर्श जी आप इतना शान...बहुत खूब बहुत खूब पर एक बात है अर्श जी आप इतना शानदार लिखते है की आप के रीडर बन कर उस पर कमेन्ट करने कीभी हिम्मत नही होती ...आप लिखते ही इतना तकनिकी से परिपूर्ण की लगता है हमे भी गजल पढ़नी सीखनी पड़ेगी ...बहुत खूबअभिन्नhttps://www.blogger.com/profile/06944616806062137325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-76095468191869778752008-12-29T12:47:00.000+05:302008-12-29T12:47:00.000+05:30arsh ji , behatreen gazal ,, bahut ache bhaavo ke ...arsh ji , behatreen gazal ,, bahut ache bhaavo ke saath .. dil ko chooti hui.. <BR/><BR/>aapko bahut badhai ..<BR/><BR/>aap bahut dino se mere blog par nahi aaye.. aapke pyar ki raah dekh rahi hai meri nazmen...<BR/><BR/>vijay <BR/>http://poemsofvijay.blogspot.com/vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-62074182486605103262008-12-29T11:51:00.000+05:302008-12-29T11:51:00.000+05:30अर्श जी मैं भी माफी चाहुँगा जो कहीं से मेरी बातें ...अर्श जी मैं भी माफी चाहुँगा जो कहीं से मेरी बातें बुरी लगी हो आपको..मैं तो सीख ही रहा हूं और पहले भी आपके ब्लौग पर लिख चुका हूं कि आपकी गज़लों से भी सीख रहा हूं..<BR/>जहां तक इस खास गज़ल की काफिये की बात है तो वो दोष बस उच्चारण की वजह से आ रहा है,जैसा की नीरज जी ने कहा है दिलों की तक्तई १२ ही होगी<BR/>शेष तो उस्ताद ही बतायेंगें..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-45536507883466513472008-12-29T10:56:00.000+05:302008-12-29T10:56:00.000+05:30अर्श भाई आप तो नाराज हो गए लगते हैं....मैंने तो पह...अर्श भाई आप तो नाराज हो गए लगते हैं....मैंने तो पहले की लिख दिया था की मुझे दिलों और मीलों का काफिया ग़लत लग रहा है लेकिन ठीक क्या है ये कोई उस्ताद ही बता सकता है...मैं भी आप की ही तरह सीख रहा हूँ इसलिए अधिकार पूर्वक कुछ कह नहीं सकता...दरअसल दिलों की तकती मेरे हिसाब से १२ की है और मीलों की २२ , हो सकता है मैं ग़लत होवूं...आप बहुत अच्छा लिखते हैं ये मैंने पहले भी कहा और अब भी कहता हूँ...आप मेरी बातों का बुरा न माने...खुश रहिये... निदा फाजली साहेब की ग़ज़ल के काफिये पे बात फ़िर कभी...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-22311882401905667792008-12-29T01:11:00.000+05:302008-12-29T01:11:00.000+05:30अरे अर्श ,पिछले तीन-चार दिनों से घर पर मेहमान थ...अरे अर्श ,पिछले तीन-चार दिनों से घर पर मेहमान थे बहुत व्यस्त थी.आज नेट इस्तमाल कर पा रही हूँ.३१ से २ तक फिर यहाँ नहीं दिखूंगी-इस लिए ग़लतफहमी न रखना..:)--शुभकामनाओं सहित-अल्पनाAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-60887002931317751292008-12-28T23:38:00.000+05:302008-12-28T23:38:00.000+05:30अल्पना जी अरसे बाद आपके स्नेह की प्राप्ति हुई है ...अल्पना जी अरसे बाद आपके स्नेह की प्राप्ति हुई है मैं तो समझ आप मुझ जैसे अदना को भूल गई .....बहोत खुशी हुई... आपका स्नेह परस्पर बना रहे यही उम्मीद करता हूँ....<BR/><BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-42723258052156275112008-12-28T23:23:00.000+05:302008-12-28T23:23:00.000+05:30शायर: निदा फ़ाज़ली~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*...शायर: निदा फ़ाज़ली<BR/><BR/>~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*<BR/><BR/>तेरा हिज्र मेरा नसीब है तेरा ग़म ही मेरी हयात है<BR/>मुझे तेरी दूरी का ग़म हो क्यों तू कहीं भी हो मेरे साथ है<BR/><BR/><BR/>मेरे वास्ते तेरे नाम पर कोई हर्फ़ आये नहीं नहीं<BR/>मुझे ख़ौफ़-ए-दुनिया नहीं मगर मेरे रू-ब-रू तेरी ज़ात है<BR/><BR/><BR/>तेरा वस्ल ऐ मेरी दिलरुबा नहीं मेरी किस्मत तो क्या हुआ<BR/>मेरी महजबीं यही कम है क्या तेरी हसरतों का तो साथ है<BR/><BR/><BR/>तेरा इश्क़ मुझ पे है मेहरबाँ मेरे दिल को हासिल है दो जहाँ<BR/>मेरी जान-ए-जाँ इसी बात पर मेरी जान जाये तो बात है <BR/><BR/>ये एक और ग़ज़ल है जनाब निदा फाज़ली का इसमे भी आप जरा काफिये पे गौर करें.....<BR/><BR/>मैं भी जानने की लालसा रखता हूँ ......<BR/><BR/><BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-18584336612820683672008-12-28T23:21:00.000+05:302008-12-28T23:21:00.000+05:30बहुत अच्छे भाव हैं और शेर भी अच्छे लगे..आखिरी शेर ...बहुत अच्छे भाव हैं और शेर भी अच्छे लगे..आखिरी शेर बहुत उम्दा है.<BR/>ऐसा सरहद पार के लोग भी सोचें तो क्या अच्छा हो.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-26556360617169611992008-12-28T23:19:00.000+05:302008-12-28T23:19:00.000+05:30अगर इस तरह से लें तो इसमे काफिया मेरे हिसाब से सिर...अगर इस तरह से लें तो इसमे काफिया मेरे हिसाब से सिर्फ़ आ है मगर एक जगह आपको काफिये में आ के जगह पे (जगह ) ही लिखा हुआ है ..... एक और ग़ज़ल है इसमे भी काफिये में आपको अलग चीज दिखा सकता हूँ ...<BR/>ज़हानतों को कहाँ कर्ब से फ़रार मिला<BR/>जिसे निगाह मिली उसको इंतज़ार मिला<BR/><BR/><BR/>वो कोई राह का पत्थर हो या हसीं मंज़र<BR/>जहाँ से रास्ता ठहरा वहीं मज़ार मिला<BR/><BR/><BR/>कोई पुकार रहा था खुली फ़िज़ाओं से<BR/>नज़र उठाई तो चारो तरफ़ हिसार मिला<BR/><BR/><BR/>हर एक साँस न जाने थी जुस्तजू किसकी<BR/>हर एक दयार मुसाफ़िर को बेदयार मिला ......<BR/><BR/>ये ग़ज़ल भी जनाब निदा फाजली साहब की ही है इसमे भी आपको काफिये .. बेदयार ,हिसार ,इंतज़ार ,मजार है जिसका काफिया आर हिलिया जाएगा नाकि पुराशब्द .... अगर मैंने उसमे सिर्फ़ लो लिया है तो क्या गलती है ..... मेरी संका का समाधान करे.. हाँ मानता हूँ के मैं पुरी बहार में नही लिखता लेकिन काफिये और रदीफ़ का पुरा ख्याल रखता हूँ..... <BR/>अभी मैं सिखाने के रस्ते में ही हूँ कृपया मेरी शंका का समाधान करें.....<BR/><BR/><BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-73633111042427897742008-12-28T23:08:00.000+05:302008-12-28T23:08:00.000+05:30रचनाकार: निदा फ़ाज़ली जाने वालों ...रचनाकार: निदा फ़ाज़ली <BR/> <BR/><BR/>जाने वालों से राब्ता रखना<BR/><BR/>दोस्तो रस्म-ए-फातिहा रखना<BR/><BR/><BR/>घर की तामीर चाहे जैसी हो<BR/><BR/>इसमें रोने की कुछ जगह रखना<BR/><BR/><BR/>मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए<BR/><BR/>अपने घर में कहीं खुदा रखना<BR/><BR/><BR/>जिस्म में फैलने लगा है शहर<BR/><BR/>अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना<BR/><BR/><BR/>उमर करने को है पचास को पार<BR/><BR/>कौन है किस जगह पता रखना <BR/><BR/>ये रचना मशहूर शायर जनाब निदा फाज़ली का है इसमे गौतम जी और नीरज जी जरा काफिये का इस्तेमाल बताये,,,.... मेरी भी शंका दूर हो जायेगी...... ये गुजारिश है मेरी आप दोनों से.....<BR/><BR/><BR/>आभार <BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-75213662957695070312008-12-28T22:18:00.000+05:302008-12-28T22:18:00.000+05:30गौतम जी और नीरज जी आप दोनों की बात मैं मानता हूँ ,...गौतम जी और नीरज जी आप दोनों की बात मैं मानता हूँ ,मगर ग़ज़ल की काफिये की बात है तो इसमे काफिये में जरुरी नही के हम पुरे शब्द को काफिये में लें.. दूसरी बात के इसमे तब्दीलों की जहाँ तक बात है तो वो दीर्घ है ,काफिये में दिलों और मीलो,में अगर शीधे काफिये ले तो ग़लत तो है मगर दो लघु को एक दीर्घ भी बनाया जा सकता है ,दूसरी बात अगर काफिये में पुरे शब्द को लेगे तो ग़लत तो है मगर आप इ और ई के हीसाब से लेंगे तो वो भी बसरते अलग होगा मगर आप अगर उछारण में लेंगे तो वो सही हो जाएगा .... जिसका अपना अलग तरीका है ... अगर आप ( लो ) को लेंगे तो सही हो जेयेगा ....<BR/><BR/><BR/>आभार <BR/><BR/>अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-12945889028184341002008-12-28T21:54:00.000+05:302008-12-28T21:54:00.000+05:30bhaiya mujhe ghazal ke baare me zyada kuchh pata t...bhaiya mujhe ghazal ke baare me zyada kuchh pata to nahi hai... par aap jo bhi likhte hain wo padhta hoon... <BR/>har baar ki tarah is baar bhi bahut achha likha hai aapne. padhkar achha laga :))<BR/><BR/>mere blog par aapka swagat hai. :))<BR/><BR/>Puneet Sahalot<BR/>http://imajeeb.blogspot.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-61262356553905866582008-12-28T14:01:00.000+05:302008-12-28T14:01:00.000+05:30गज़ल के भाव अच्छे हैं अर्श,मगर नीरज जी से मैं भी सह...गज़ल के भाव अच्छे हैं अर्श,मगर नीरज जी से मैं भी सहमत हूं.हम सब गज़ल सीख रहे हैं,मगर नीरज जी उस्तादों की श्रेणी पर पहुँच चुके हैं और ये उनकी विनम्रता है कि इतने सहज भाव से गलती की तरफ बस झिझकते हुये इंगित कर रहे हैं..<BR/>गुरू जी के सीखे सबक के अनुसार यहां काफियों में गड़बड़ी है-मतले में और पाँचवें शेर में तब्दिलों का इस्तमाल भी ..<BR/>अन्यथा नहीं लिजियेगा अर्श जीगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-77569072821184009082008-12-28T12:45:00.000+05:302008-12-28T12:45:00.000+05:30bahut khoob !aapke sher men kya khamiyan hai unpar...bahut khoob !<BR/>aapke sher men kya khamiyan hai unpar bahas na karake sirf itana kahoongi ki ,aapka maqsad achchha hai .bhavana achchhi hai .<BR/><BR/>badhaiज्योत्स्ना पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14491409510866077940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-71123561387210913752008-12-28T04:01:00.000+05:302008-12-28T04:01:00.000+05:30बहुत ही अच्छा लगा, धन्यवादबहुत ही अच्छा लगा, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-65577990147294553932008-12-28T02:36:00.000+05:302008-12-28T02:36:00.000+05:30aur ek khaas baat "kaafiye" ka prayog bilkul sahi ...aur ek khaas baat "kaafiye" ka prayog bilkul sahi hai...agar dilo ki jagah koi shabd hota "deelo" sa tab aage saahilo,jaahilo ka prayog galat hota...lekin abhi kaafiye mein gadbad nahi hai mere hisaab se<BR/><BR/>baaki agar koi nayee baat hai to main seekhna chahoonga zaroor :)Sajal Ehsaashttps://www.blogger.com/profile/03532103149883910427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-12031743526162556012008-12-28T02:34:00.000+05:302008-12-28T02:34:00.000+05:30lekhan to sahi chal raha hai janaab...dubaaye rakh...lekhan to sahi chal raha hai janaab...dubaaye rakhiye bas apne ghazlo mein<BR/><BR/>ek aur khaas baat...<BR/>मिर्ज़ा गालिब को उनके 212वीं जयंती पर बधायी दे<BR/>http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_27.htmlSajal Ehsaashttps://www.blogger.com/profile/03532103149883910427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-68044524857592750202008-12-27T23:58:00.000+05:302008-12-27T23:58:00.000+05:30रगों में खून भी बहता है उसके मेरे पूर्वज का ,हमारी...रगों में खून भी बहता है उसके मेरे पूर्वज का ,<BR/>हमारी पहचान रहे कायम तब्दीलों के रास्ते में ..<BR/><BR/>सुभान अल्लाहअनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-80550611869645132002008-12-27T22:31:00.000+05:302008-12-27T22:31:00.000+05:30PRAKASH TUMHARI( TUM KAH RAHA HUN BURA NA MANANA) ...PRAKASH TUMHARI( TUM KAH RAHA HUN BURA NA MANANA) URDU KI JAANKARI LAJAWAB HAI KYA URDU DICTIONARY LEKAR BAITHTE HO, ITNI CHHOTI UMRA MEN URDU KI ITNI ACHCHI JAANKARI HONA WAKAI BEMISAAL HAI.URDU LAFZON KE SAATH HINDI TARJUMA BHI DETE HO ACHCHA HAI, MANO TO EK SALAH DUN, BURA NA LAGE TO, MERI RAI HAI TUM AAM BHASHA YANI JANTA KI BHASHA MEIN LIKHO TO BAHUT ACHCHA LAGEGA SABKO. VAISE SACH KEHTA HUN AAPKI SHAYRI LAJAWAB HA. ANYATHA NA LEIN. YOGESH SWAPN-DREAM SEYogesh Verma Swapnhttps://www.blogger.com/profile/01456159788604681957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-24395996629950850292008-12-27T21:56:00.000+05:302008-12-27T21:56:00.000+05:30@नीरज जी, जी जो आप समझ रहे हैं वह सही है मगर जो लि...@नीरज जी, जी जो आप समझ रहे हैं वह सही है मगर जो लिखा गया है वह भी ग़लत नहीं है। हाँ अगर किसी कमी का ज़िक्र ही करना हो तो शायद वह कि पहले शे'र में 'कोई' को 'कभी' कर देने से पूरी हो जाती है, पर जो लिखा गया कतई ग़लत नहीं कहा जा सकता। चर्चा सिर्फ़ काफ़िया बढ़िया या ठीक इस पर भी की जा सकती है।Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4132847242401951792.post-67442018516719399332008-12-27T21:09:00.000+05:302008-12-27T21:09:00.000+05:30अर्श जी आपने बहुत अच्छा प्रयास किया है लेकिन क्षमा...अर्श जी आपने बहुत अच्छा प्रयास किया है लेकिन क्षमा करें मुझे लगता है दिलों और मीलों की तुक या काफिया सही नहीं है...मैं ये अधिकार पूर्वक तो नहीं कह सकता मुझे पढने में एया लगा....असली बात तो गुरु देव ही बता पाएंगे...ग़ज़ल के भाव हमेशा की तरह बेहतरीन हैं...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com