Tuesday, June 3, 2014

बस एक शे'र छोड़े जा रहा हूँ फिलहाल  लिये… पूरी ग़ज़ल बहुत जल्द हाज़िर करूँगा

तेरी आना के सामने मेरी वफ़ाऐं  हैं ,
तखत पे धूल  फांकती हुई किताब कोई !


अर्श 

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