Sunday, August 3, 2008

मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब .......

मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब मांग लो ।
कतरा कतरा पीता रहा मैं वो शराब मांग लो ॥

हर एक वरक पे लिखा है बस नाम तुम्हारा ,
ये वही किताब है ये किताब मांग लो ॥

कभी नफरत,कभी राहत, कभी नासेहा बना
वो एक शख्स है उसका आदाब मांग लो ॥

दस्ते-सहारा में जो लेके आया था चिराग ,
वो राहबर है मेरे पास लो जवाब मांग लो ॥

मैं मर भी जाऊँ मगर मुझसे न पूछना "अर्श"
जो भी करनी है अभी करलो ,हिसाब मांग लो ॥


प्रकाश "अर्श"
०३/०८/०८

नासेहा - उप्देसक ,दस्ते-सहारा =रेगिस्तान की रत,राहबर =रास्ता दिखानेवाला ॥

3 comments:

  1. कभी नफरत,कभी राहत, कभी नासेहा बना
    वो एक शख्स है उसका आदाब मांग लो ॥

    वाह कमाल का शे'र है! बधाई!

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  2. nazar sahab is nazar ke liye khas taur se shukriya......dhanyawad.....


    regards
    "Arsh"

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  3. मैं मर भी जाऊँ मगर मुझसे न पूछना "अर्श"
    जो भी करनी है अभी करलो ,हिसाब मांग लो ॥
    bhut badhiya.

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