हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत , वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने॥
हमारे दिल का ,वो एक कोना
कोई काट कर ले जा रहा है
वही जिन्दा बचा था
अबतक
जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने ॥
मोहब्बत सज़ा है
मैं मान लेता
मगर साँस कायम है
अबतक उसी से
हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत, वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने ॥
प्रकाश "अर्श"
३०/०८/२००८
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत , वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने॥
हमारे दिल का ,वो एक कोना
कोई काट कर ले जा रहा है
वही जिन्दा बचा था
अबतक
जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने ॥
मोहब्बत सज़ा है
मैं मान लेता
मगर साँस कायम है
अबतक उसी से
हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत, वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने ॥
प्रकाश "अर्श"
३०/०८/२००८
it's amazing, arsh saab!
ReplyDeleteवाह... सुंदर... भावपूर्ण कविता...
ReplyDeleteआपको बधाई...
हमारे दिल का ,वो एक कोना
ReplyDeleteकोई काट कर ले जा रहा है
वही जिन्दा बचा था
अबतक
जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने
"ah! so painful, touched deep some where..."
Thanks for your fair suggestion on my poem"
Regards
bhaut bhavpuran ghari rachna
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत लिखा है अर्श जी आपने सच में इसे गुनगुना रहा हूँ मै
ReplyDeleteमोहब्बत सज़ा है
मैं मान लेता
मगर साँस कायम है
अबतक उसी से
.........बहुत ही सच्ची बात लिखी है ,धन्यवाद
प्रकाश जी,बहुत ही भावपूर्ण रचना है।
ReplyDeleteहमारे दिल का ,वो एक कोना
कोई काट कर ले जा रहा है
वही जिन्दा बचा था
अबतक
जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने ॥