Thursday, July 23, 2009

कुछ नहीं है सिवाए यादों के ...

एक तो गर्म मौसम और ऊपर से ये बेवजह की मसरूफियत,बहोत दिनों तक आप सभी से दूर रक्खाइस देरी के लिए आप सभी से मुआफी चाहता हूँ ...पर एक बात है गूरू जी के छड़ी में बहोत आनंद है ... गूरू जी के आर्शीवाद से ये ग़ज़ल आप सभी के सामने पेश करने लायक बन पड़ी ... तो हाज़िर हूँ मैं इस ग़ज़ल को लेकर आप सभी का प्यार और आर्शीवाद के लिए ... मगर पहले ये तस्वीर आदरणीय श्री मुफलिस जी और बड़े भाई श्री नु जी के साथ ... इसे मेरा सौभाग्य ही समझें
आदरणीय श्री मुफलिस जी, मैं , और बड़े भाई मनु जी


बह
'र ..... २१२२ १२१२ २२

दास्तां अपनी क्या कही जाये
बात उसकी ही बस सुनी जाये

कर्ज पर ले तो आए हैं चीजें
किश्त अब किस तरह भरी जाये

जब भी रुखसत करूँ मैं दुनिया से
मेरे संग याद बस तेरी जाये

मैं खुशामद तो कर नही सकता
पर मेरी बात भी सुनी जाये

कुछ नहीं है सिवाए यादों के
आज इनसे ही बात की जाये

ज़िंदगी की फटी हुई चादर
आज फुरसत में बैठ सी जाये॥

'अर्श' ये इश्क भी अजब शै : है
आँख से नींद है उड़ी जाये ॥



और आख़िर में चलते चलते आप सभी को एक ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ सुनाना चाहता हूँ ... ग़ज़ल गायकी की दुनिया में मैं अपना गूरू उस्ताद गुलाम अली साहब को अपना गूरू मानता हूँ , चूँकि उनको बचपन से ही सुनता रहा हूँ और सुनके ही गज़लें गायी है तो चलिए सुनते है उनकी एक ग़ज़ल के कुछ शे' मेरी आवाज़ में अगर कोई गलती हो गई हो तो मुआफी चाहूँगा आप सभी से .....





प्रकाश'अर्श'
२३/०७/२००९

56 comments:

  1. सच कहूँ तो ग़ज़ल से ज्यादा आज आपकी गायिकी ने प्रभावित किया। आगे भी गुनगुनाते रहें और हमें कुछ ना कुछ सुनवाते रहें।

    ReplyDelete
  2. र्श अब तो तुम्हारी आवाज़ की गूँज बलाग जगत मे भी सुनाई देने लगी है और मेरी कामना है कि ये आवाज़ जल्दी ही दुनिया भर मे सुनाई दे बहुत सुरीली आवाज़ है इसे ताला लगाये क्यों बैठे हो? तुम्हारे गुरूजी से विनती करनी पडेगी कि तुम्हें हुक्म दें खी ऋओज़ एक पोस्ट गज़ल गा कर ब्लोग पर डाला करे बहुत बहुत शुभकामनायें
    अब बात तुम्हारी गज़ल की तो जरा इसका मतल्व बताना क्या है?
    अर्श ये इश्क भी अजीब शै है
    आँख से नीमंद है उडी जाये
    आप सब इस कुछ बोलें तो सही है अब मैं तो कुछ नहीं कहूँगी हाँ जब कहेगा बाजा बजवा देंगे
    और ये कि
    ज़िन्दगी की फटी हुई चादर
    अब फुरसत मे बैठ कर सी जाये---- लाजवाब है बहुत बडिया लिखते हो बस शिकायत इतनी है कि बहुत देर बाद पोस्ट डालते हो
    मुझे पता ही नहीं पक्का विश्वास अहि कि आने वाले दिनों मे तुम सारी दुनिया मे अपना परच फेहराने वाले हो बहुत बहुत शुभकामनायें और ढेरों आशीर्वाद

    ReplyDelete
  3. उम्दा गजल और गायिकी
    आनंद आ गया .धन्यवाद

    ReplyDelete
  4. सच में यादें ही तो जिन्दगी भर साथ निभाती है .

    ReplyDelete
  5. अर्श
    मैं खुशामद तो कर नही सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाये ॥

    कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये ॥

    ज़िंदगी की फटी हुई चादर
    आज फुरसत में बैठ सी जाये॥

    ये तीन शेर साबित कर रहे है की आने वाला कल आपका है निःसंदेह आप गजल लेखन और गजल गाइकी में नाम कमायेगें.

    अक्सर ऐसा होता आया है की आप और रवि भाई एक साथ गजल की पोस्ट लगते हैं पहले पहल तो मैंने अनदेखा किया मगर ये भी एक गजब का साम्य है :)

    वीनस केसरी

    ReplyDelete
  6. मुफ्लिस भाई और मनु जी से मिलवाने का आभार.

    गज़ल तो बहुत खूब कही. गायन की तारीफ पढ़ ली :) इसलिए घर जाकर सुनुंगा.

    ReplyDelete
  7. arsh bhaee achchhee ghazal huee huee hai .
    kuchh nahin hai....vala tathaa karz par vaalaa sher to kamaal ke hain. oopar jo aap teenon kaa photo lagaa hai vo saf kyon naheen hai? ghazal sun to naheen parahaa hoon speekar n hone ke kaaran. jald hee koshish karataa hoon.

    ReplyDelete
  8. वाह .. अर्श .. नयी ताज़गी लिए अशआर हैं .. क्या खूब लिखा है

    ReplyDelete
  9. "कर्ज़ पर ले आयें चीज़े
    किस्त अब किस तरह भरी जाये"



    बहुत अच्छी लाइन है...आज के हिंदुस्तानी के हालात ब्यान करती हुई

    ReplyDelete
  10. आदरणीय मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं और बता दूं कि बिहार राज्य को नहीं बल्कि वहां के नेताऒं और प्रशासन के लिए जंगलराज का इस्तेमाल किया है। वैसे तो कानून व्यवस्था की हालत पूरे देश में ही बदतर है। पर यदि कुछ घटिया किस्म के लोग ऐसी हरकत करें वो भी उस देश में जहां तथाकथित रुप से नारी को देवी का स्थान मिला है तो फिर कानून और प्रशासन किस लिए है। आपका ध्यान एक और बात की ऒर दिलाना चाहूंगा कि आमजन के मन में ऐसी भावना होती है कि राजधानी तो सुरक्षित ही होगी। इस घटना ने इसको भी नकार दिया है।

    ReplyDelete
  11. कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये
    बेहद खुबसूरत यादो से अच्छा कोई साथी नहीं

    regards

    ReplyDelete
  12. मैं खुशामद तो नहीं कर सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाए
    बहुत खूबसूरत रचना

    ReplyDelete
  13. जिन्‍दगी की फटी हुई चादर,
    आज फुरसत में बैठ सी जाये ।
    बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति बधाई ।

    ReplyDelete
  14. दास्तां अपनी क्या कही जाये
    बात उसकी ही बस सुनी जाये ॥ khuda ka ziker kare ya tumhari baat kare..hume to ishq se matlab kisi ki baat kare....boht khoobsurat ahsaaso se bhari rachna....

    ReplyDelete
  15. बहुत ही उम्दा रचना....

    ReplyDelete
  16. muflis dk
    to me

    show details 11:27 PM (17 hours ago)


    Reply

    Follow up message
    हुज़ूर !!
    ब्लॉग पर वही प्रोब्लम आ रही है ....(attempt aborted) वाली
    सो यहाँ आना पड़ा....
    मेरी टिप्पणी तो ये है ...जितनी भी है कम है ....

    "कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये" ॥
    वाह हुज़ूर !!
    ऐसे खूबसूरत और नायाब जज़्बात ,,,,ऐसा पुर-असर लहजा ....
    और इतनी शानदार ग़ज़ल .......
    एक-एक शेर खुद बात करता है ...
    पढने वालों के दिल में कहीं गहरे उतरता है ......

    'अर्श' की जब ग़ज़ल पढ़ी 'मुफलिस'
    दिल की महफिल सजी-सजी जाये

    मुबारकबाद कुबूल फरमाएं
    ---मुफलिस---

    ReplyDelete
  17. मुझे ना तो गजल का ज्ञान है और ना ही उर्दू भाषा का बस एक चीज की तलाश हमेशा से ही रहती है वो है एक अच्छी आवाज की जो मुझे आपनी और ख्जैच सके भले ही वो आवाज नयी हो या पुरानी । आप्की आवाज मे एक अजीब सा खीचाव है जो मुझे अपनी ओर खैचती है । आगे भी इसी प्रकार सुनवाये बहुत अच्छा लगा ।

    ReplyDelete
  18. arsh bhai,
    bilkul bilelaan hokar daad de rahaa hu.
    bhai, aavaaz me jesi kashish vesi hi shbdo me bhi, ese birale insaan ke sandarbh me mere jesa adana sa vyakti sirf yahi likh sakta he ki..jee chahtaa he aapko sunataa rahu, padhhta rahu.

    ReplyDelete
  19. मैं खुशामद तो कर नहीं सकता........
    पर मेरी बात भी सुनी जाए................
    इतना प्यारा शे'र शायद मेरे लिए लिखा है...
    जी हाँ...कल से कोशिश कर रहा हूँ...सोचा था के सुन के कमेन्ट दूंगा...पर बिना सुने ही देना पद रहा है....
    :(
    लाजवाब गजल..जो पढ़ी है....
    अब सुनने का भी जुगाड़ करा दो....मुझे मेल वगैरह कर दो न....???

    क्योंकि....
    मैं खुशामद तो कर नहीं सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाए...
    :)

    ReplyDelete
  20. AAPKEE GAZAL KE SAATH-SAATH AAPKEE AAWAAZ BHEE
    LAJAWWAAB HAI.MEREE SHUBH KAMNAYEN SWEEKAR KIJIYE.AAPKEE GAZALON KO NIKHAARNE-SANWAARNE MEIN AAPKE GURU SHRI PANKAJ SUBEER JEE KAA BADAA
    HAATH HAI.UNKO BHEE MEREE SHUBH KAMNAYEN.ACHCHHA
    LAGTA HAI JAB AAP GAZAL KEE PRASTUTI KE SAATH
    UNHEN YAAD KARTE HAIN.EK BAAR AUR AAPKO SHUBH
    KAMNAYEN.

    ReplyDelete
  21. अदबुध.... पहली बार आपको सुना... मज़ा आ गया....!!!
    www.nayikalam.blogspot.com

    ReplyDelete
  22. जब भी रुखसत करूँ मैं दुनिया से
    मेरे संग याद बस तेरी जाये

    मैं खुशामद तो कर नही सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाये

    अर्श जी........ इतने लाजवाब दिल को छूने वाले शेर बस आपकी कलम ही कह सकती है.......... गुरु देव को बस हीरे को तराश रहे हैं........ और आपकी ग़ज़ल का दीवाना बना रहे हैं सब को.......... बेमिसाल, बेजोड़ .......

    ReplyDelete
  23. tumhari awaz to bahut achchi hai hi... tumhari ye Gazal bhi bahut achchhi

    ReplyDelete
  24. Abhi abhji aapki gajal bhi suni...........aapki aawaaz ka jaadoo bhi ab tak mere sir chadaa huva hai..... baar baar aapki gazal gungunaa raha hun....vaah kyaa adaa hai yeh bhi....

    ReplyDelete
  25. hari sharma
    to me

    show details 5:28 PM (1 minute ago)


    Reply

    Follow up message

    ब्लाग की दुनिया के बेहद लाडले गज़लकार प्रकाश की ये गज़ल ह्रदय स्पर्शी विचारो को गज़ल के कलेवर मे़ सफ़ल्ता के साथ स्थापित कर्ती है. गज़ल मे़ प्रेम और आत्मसम्मान दोनो़ को गरिमा दी है. इस गज़ल को बहुत मन से गाया है. बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  26. तस्वीर ने एक हूक उठायी और ग़ज़ल ने कूक....
    क्या लिखते हो प्रकाश! एक मुश्किल रदीफ़ का निर्वहन और वो भी इतनी आसानी और इतनी खूबसूरती से कि देखते{सुनते} ही बनता है।
    खुशामद वाले शेर पे जितनी दाद दूँ कम है।

    ...और मक्‍ता? आह-उफ़्फ़्फ़-वाह!!!!

    ReplyDelete
  27. आप की ग़ज़ल अच्छी लगी.
    और आप की आवाज़ भी सुनी.बहुत अच्छी लगी.शुक्र है आप ने पॉडकास्ट लगाया तो सही.
    ऐसे ही लिखते ,गाते,गुनगुनाते रहीये.

    ReplyDelete
  28. आप की ग़ज़ल अच्छी लगी.
    और आप की आवाज़ भी सुनी.बहुत अच्छी लगी.शुक्र है आप ने पॉडकास्ट लगाया तो सही.
    ऐसे ही लिखते ,गाते,गुनगुनाते रहीये.

    ReplyDelete
  29. बहुत सुंदर है आपकी ग़ज़ल...अभी आवाज नहीं सुन सकी

    ReplyDelete
  30. अर्श भाई,
    आपकी कलम के कायल तो हम बहुत पहले से थे..पर आज की गजल से आपने यह साबित कर दिया है कि आपकी कलम पे सरस्वती का आर्शीवाद है...और जो प्राण साहब ने जो बात कही है उससे मैं भी सहमत हूँ..आपकी लेखनी को संवारने में गुरुदेव का बड़ा योगदान है..और आप जो कृतज्ञता गुरुदेव के प्रति प्रकट करते है वह आपके गुणग्राही होने का प्रमाण है..आपके भीतर जो क्षमता है उससे आपको बहुत ऊंचे मकाम पर जाना है...
    मैं खुशामद तो नहीं कर सकता
    पर बात मेरी भी सुनी जाय

    कुछ नहीं है सिवाय यादों के
    आज इनसे ही बात कि जाय

    जिन्दगी की फटी हुई चादर
    आज फुर्सत में बैठ सी जाए

    कर्ज पर ले आये चीजें
    किश्त अब किस तरह भरी जाए

    पूरी गजल अच्छी लगी...
    मुफलिस जी और मनु जी को मिलाने का आभार..
    बधाई..
    प्रकाश पाखी

    ReplyDelete
  31. अर्श जी,
    आपकी ग़ज़ल तो बस लाजवाब है..
    लेकिन आपकी गायकी बेमिसाल...आवाज़ में लोच है, और तासीर भी... दिल से गाते हैं आप...
    बधाई..

    ReplyDelete
  32. उम्दा ग़ज़ल हमेशा की तरह ..
    आपकी आवाज़ में सुनना और भी दिलकश हो जाता है
    मुफलिस जी ,और मनु जी के साथ फोटो ..यादगार क्षण ना ?

    Stay blessed !!

    ReplyDelete
  33. Darpan Sah
    to me

    show details 10:00 AM (44 minutes ago)


    Reply

    Follow up message

    Priy bade bahi arsh,
    Husn e matla accha laga:
    (dastan apni kya kahi jaiye....
    ...baat unki bhi suni jaiye)

    aur matla to aur bhi behterin....

    aapke blog main kai baar aaiya itne baar ki ab to ye zameen chor dijiye aur ghazal supurde-darshan kar dijiye.
    --
    Best Regards.
    Darpan Sah 'Darshan'
    http://darpansah.blogspot.com

    +91 999-944 (3518)

    ReplyDelete
  34. आवाज में कशिश है ...एक लड़कपन सा भी.......ये शेर बहुत अच्छा है .
    "दास्ताँ अपनी क्या कही जाये
    बात उसकी ही बस सुनी जाये "

    ReplyDelete
  35. ज़िंदगी की फटी हुई चादर
    आज फुरसत में बैठ सी जाये॥

    बहुत ही अच्छी बात कही है आपने.......

    ReplyDelete
  36. बहुत ही खूबसूरत गज़ल है। बधाई।

    ReplyDelete
  37. आपकी ग़ज़ल भी उम्दा है और आवाज़ भी. इसे खुल कर आने दें..

    ReplyDelete
  38. / मै खुशामद तो कर नहीं सकता बस मेरी बात भी सुनी जाये /
    भाई अर्श आज आप की बात ही सुन रहे है आवाज सुन रहे है .....
    क्या बात है ....
    गर्म मौसम
    गुरु जी की छड़ी
    गजल
    गुलाम अली साहब
    गा गा गा गा गायिकी
    बहुत आनंद हुआ गजल पढ़ कर भी और आप को सुन कर भी

    ReplyDelete
  39. ज़िंदगी की फटी हुई चादर
    आज फुरसत में बैठ सी जाये॥

    Wah bahut sunder gazal aur khaas kar ye sher bahut pasand aaya

    Aapki aawaz bahut achhi lagi aur kuch aise saaz ho jaaye

    ReplyDelete
  40. वाह... वाह-वाह... वाह-वाह-वाह....लाजवाब

    मैं खुशामद तो कर नही सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाये ॥

    कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये ॥
    इन पंक्तियों का जवाब नहीं...
    बहुत उम्दा शेर...बहुत अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....

    ReplyDelete
  41. Arsh ji,
    Gazalen to behtareen likhte heen hai aap...aawaaz kaa jaadu gazab hai.! Ab to baar baar ana hoga...!

    ReplyDelete
  42. कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये ॥

    bahut khoob , poori gazal padh kar anand aa gaya.
    sun nahi paa raha, kahan click karna hoga. bahut bahut badhai arsh.

    ReplyDelete
  43. GAZAL badiya nahi bahut badiya. khoob kaho mere bhai...shubhkamnaen...

    ReplyDelete
  44. बहुत ही खूबसूरत गज़ल है। बधाई।

    ReplyDelete
  45. change /// maine 5 marks diye haim....///bahut accha lag raha hai blog...//magar tom aur lili se accha nahi//aur sabse badi baat main ismein comment kar pa raha hoon...

    :)

    ReplyDelete
  46. जनाब मुफ़लिस साहब, मनू जी और तुम्हारा फोटो देख कर बड़ी खुशी हुई.
    जहाँ तक ग़ज़ल की बात है, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है. लगता है खफ़ीफ़ आपकी चहीती बह'र है.
    'फ़ा इ ला तुन म फ़ा इ लुन फ़ै लुन' पर बड़ी सधी हुई ग़ज़ल लिखी है.
    कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये ॥
    बहुत खूब!

    ReplyDelete
  47. मैं खुशामद तो कर नही सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाये ॥


    बहुत ही बढ़िया...
    दाद क़बूल कीजिये

    ReplyDelete
  48. sach kahu to aapki abhivyakti padh kar aankh mein aansoo aa gae.. bahut khoob

    ReplyDelete
  49. मैं खुशामद तो कर नही सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाये ॥

    कुछ नहीं है सिवाए यादों के
    आज इनसे ही बात की जाये ॥

    kyaa khoob sher nikale hain Arsh bhai...sundar gazal...aur aapaki awaz ke to pahale hi kaayal ho chuka hun...bahut badhai...

    ReplyDelete
  50. arsh bhai ,

    bahut hi sahi gazal hai , kya kahun ek ek sher kuch kah raha hai ..

    regards

    vijay
    please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

    ReplyDelete
  51. जब भी रुखसत करूँ मैं दुनिया से
    मेरे संग याद बस तेरी जाये

    वाह...वाह.........!!

    मैं खुशामद तो कर नही सकता
    पर मेरी बात भी सुनी जाये

    बहुत खूब ...

    आवाज़ की तारीफ तो चारों ओर गूंज रही है .....पर बदकिस्मती मेरे कम्प्यूटर में आवाज़ नहीं दुसरे पे सुनुगी अभी वो भी बीजी है ...!!

    ReplyDelete
  52. वाह वाह वाह वाह क्या बात कही अर्श भाई! अहा!

    ReplyDelete
  53. इतना टूटा हूँ के छूने से बिखर जाऊँगा
    अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊँगा

    ज़िन्दगी में भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का
    तू जहाँ मुझ से कहेगी मैं उतर जाऊँगा
    आपकी ग़ज़ल की तारीफ के लिए तो चुनिन्दा ग़ज़लगो हैं ही.......
    हमने तो आज ही सुनी आपकी आवाज़ और बस सुनते ही रह गए.....

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...