Thursday, October 1, 2009

तन्हाई तो होती है तन्हाई में ...

सितम्बर का महिना उफ्फ्फ भयावह ... काफी दिनों से गूरू जी के आने का इंतज़ार कर रहा था बेशब्री से मगर ऊपर वाले ने मिलना नही लिख रखा था , अजीबो गरीब हादसे एक पे एक मन को झकझोर के रख दिया था ... खैर ज़िंदगी है और ये सब तो वाजिब ही है ...उधर गूरू भाई गौतम की ख़बर मिली , अल्लाह मियाँ मेरे भईयों को जल्दी दुरुस्तगी बख्शे , अरसे बाद एक ग़ज़ल कहने की कोशिश की है , गूरू का आर्शीवाद मिला है और एक हलकी फुलकी ग़ज़ल आप सभी के सामने लेकर हाज़िर हूँ ताकि लिखने का क्रम ना टूटे... आप सभी के प्यार और आर्शीवाद के लिए ...




दर्द मेरा बढ़ जाता है पुरवाई में ।
उम्र कटी है जख्मों की भरपाई में

बरखा के बादल को देखा जब घिरते
कोयल कूकि कुहुक कुहुक अमराई में

डूब के अब तक मैं भी पार उतर जाता
ग़ालिब कहते डूब इस गहराई में

तेवर गुस्सा रहमत लज्जा साजन का
क्या क्या है और क्या बोलूं हरजाई में

मैं तन्हा कब होता हूँ किसने बोला
तन्हाई तो होती है तन्हाई में

मेरी अर्थी उसकी डोली संग उठी
तब तो दर्द भरा है यूँ शहनाई में

अर्श को देखो नाम कमा के बैठा है
नाम बहुत होता है क्या रुसवाई में ?


प्रकाश'अर्श'
०१/१०/२००९

53 comments:

  1. तन्हाई तो होती है तन्हाई में......बहुत दिनों के बाद आपको पढ पाया, मजा आ गया।

    ReplyDelete
  2. अहा! आनंद आ गया अर्श मियां। मतले ने ही जान निकाल दी, आगे मत पूछो...तालियां, तालियां...

    ReplyDelete
  3. बरखा के बादल को देखा जब घिरते
    कोयल कूकी कुहुक-कुहुक अमराई में

    हुज़ूर !!
    मालूम भी है आपको ...
    किस कदर हसीं शेर
    कह डाला है आपने !?!
    एक पुर-कशिश माहौल का खाका खींच दिया है
    और मियाँ गालिब से शिकायत भी वाजिब है आपकी ......
    और ....
    "मेरी अर्थी ...." वाला शेर
    वली दक्कनी और अदम का एहद याद आ गया

    और एक मिसरा जो मतले में इस्तेमाल किया है ..
    "उम्र कटी है ज़ख्मों की भरपाई में ..."
    ला-जवाब ......
    आपके उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ जैसा

    मुबारकबाद
    ---मुफलिस---

    ReplyDelete
  4. बहुत खुब भाई जी। बात एक दम सही है नाम ज्यादा होती है तन्हाई में। सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. अर्श जी,
    कितने मौसम उतर आये हैं शब्दों में, क्या खूब शेर कहे हैं कि बस पढ़ता हूँ बार बार

    बरखा के बादल को देखा जब घिरते
    कोयल कूकी कुहुक-कुहुक अमराई में

    वाह वाह वाह...

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर अर्श भाई , दिल मोह लिया.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  7. वाह वाह!! रुक के दिखे पर खूब दिखे वाकई:

    बरखा के बादल को देखा जब घिरते
    कोयल कूकी कुहुक-कुहुक अमराई में

    क्या बात है!!


    गौतम का स्वास्थय सुधार पर है, जानकर राहत हुई.

    ReplyDelete
  8. Kayal hun aapkee rachnaon kee.."kambakht ye dil abhitak apne paas hai?" kya kahne..!

    ReplyDelete
  9. भई ख़ूब बिलेलान होकर ही दाद देता हूं इस ग़ज़ल के लिये जो अपने में ग़ज़ल की सारी कोमलता समेटे हुए है. चेहरे से रेशम के दुपट्टे को गुज़ारने जैसा अहसास. वाह!

    ReplyDelete
  10. bahut umda , bahut khoob, sabhi sher lajawaab. badhaai.

    arsh tum the kahan bhai, phone vagairah bhi nahin uthaya.

    ReplyDelete
  11. Main tanha kab hota hoon kisne bola ....

    aur

    arsh ko dhekho naam kama ke baithe hain....
    alatareen sher the bahi,

    aur ye koyal wala lagta hai gaon gaye main upja she'r hai !!

    ati utkrisht rachna (as always) ke liye badhai...

    aur phir se....
    ...wo do she'r jaan le gaye !!

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर , हर शेर काबिल और लाजबाब

    ReplyDelete
  13. Main tanha kab hota hoon kisne bola ..padh ke yaad aayaa..main kab tanha hua tha yaad hoga..tumhara fainsla tha yaad hoga....dard mera badh jata hai purvayee me....dard ki ab had nahi...lajwaab rachna...

    ReplyDelete
  14. गालिब कहते है डूब न इस गहराई में ......क्या बात कही है ....लेकिन जो सबसे खास शेर है वो..कातिलाना है ओर पूरी गजल पे भारी है .....
    "मै तन्हा कब हाँ होता हूँ किसने बोला
    तन्हाई तो होती है तन्हाई में "

    ReplyDelete
  15. Re: " Arsh "

    Inbox X


    Reply

    |
    aadil rasheed
    to me

    show details 11:54 AM (32 minutes ago)

    masha allah aapki ghazal bahut hi achchi hai sahlemumtana
    poori gaon ki mithas liye hue aap hindi men kaise type karte hain ye muamma hai
    ek sher
    meri arthi uski doli..........
    mubarakbad

    aadil rasheed

    ReplyDelete
  16. बहुत अच्‍छी ग़ज़ल है । इसको कहा जा सकता है राइट कम बैक । मगर ऊपर वाला शेर मखमल में टाट के पैबंद सा लग रहा है । बहुत अच्‍छी गज़ल के साथ न लगाऐं । सारे शेर बोलते हुए हैं । बधाइ

    ReplyDelete
  17. गुरु देव का आर्शीवाद मिला मेरे लिए इन त्योहारों के मौसम में किसी उपहार से कम नहीं है ... गुरु देव के आज्ञा के बाद ऊपर का शे'र हटा दिया गया है ... प्रभु का आदेश सरमाथे पर .... सादर चरणस्पर्श

    अर्श

    ReplyDelete
  18. बेहतरीन गज़ल. देर से पढ पाया.
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  19. मैं तनहा होता हूँ किसने कब बोला...
    तन्हाई तो होती है तन्हाई में!

    क्या बात है!

    बहुत खूब!

    और आखिरी शेर भी पसंद आया .
    उम्दा ग़ज़ल!

    ReplyDelete
  20. गौतम भाई के स्वास्थ्य की चिंता बरकरार है लेकिन इधर-उधर से उनके स्वास्थ्य लाभ की खबरों से राहत मिल रही है।

    ReplyDelete
  21. अब ये तो हो नहीं न सकता है अर्श, के आप पुरवाई में लिखें और हम हाज़िर न हों जश्ने-दाद में। क्या ही ख़ूब लिखा है भाई। जी ख़ुश कर दिया। हमें एक ग़ज़ल याद आ गई किसी ज़माने में लिखी हुई। शायद उसका एक शेर दर्ज भी है किसी एक पोस्ट पर। चलिए आगे देखते हैं कभी। आपके गुरूजी को बहुत बहुत प्रणाम कहिएगा हमारा।

    ReplyDelete
  22. आपकी तारीफ़ तो ब्लॉग पर गजल जगत का बच्चा-बच्चा करता है, मैं ही न जाने क्यों हमेशा मन बनाता हूँ आप तक पहुँचने का और अक्सर यह सोचकर कि वहां से लौट चुका हूँ, निश्चिंत हो जाता था. इस बार दृढ निश्चय था, लिहाज़ा आ ही गया. गजल बहुत अच्छी है, कंटेंट्स भी ताजे हैं, गुरु का आशीर्वाद भी है लेकिन आप थोड़ी मेहनत और कर सकते हैं. यह गजल और भी अच्छी हो सकती है. आप युवा हैं और मेहनत आप नहीं करेंगे तो क्या मैं करूंगा? तेवर को धार दें भाई, शुभकामना.

    ReplyDelete
  23. ab एक शेर हटाने के लिये मैं भी कहूँगी तुम्हारे मुँह से मुझे ऐसे शेर अच्छी नहीं लगते
    मेरी अर्थी उसकी डोलीसंग उठी----- माँ कैसे सुन सकती है ये बात?
    इसकी की जगह मुझे ये चाहिये
    मै दिल के हाथों हारा माँ
    अब बात करो शहनाई की
    खैर ये तो हो गयी मेरी बात अब गज़ल की बात करोूँ तो हर एक शेर लाजवाब है ।
    मैं तनहा होता हूँ किसने कब बोला...
    तन्हाई तो होती है तन्हाई में!
    तभी तो इतने गँभीर रहते हो।
    दर्द मेरा बढ जाता है पुरवाई मे
    उम्र कटी जख्मों की भरपाई में
    बहुत सुन्दर गज़ल है बस एक शिकायत और है कि जल्दी पोस्ट लिखा करो बहुत बहुत आशीर्वाद

    ReplyDelete
  24. तन्हाई टी होती है तन्हाई में.....वाह !

    ReplyDelete
  25. सोचा किसी एक या दो शेर को सबसे सुन्दर मान चुनु.....लेकिन आपने तो इसकी कोई गुंजाइश ही नहीं छोडी...
    बस हर शेर के के बाद वाह वाह की झडी लग गयी....

    लाजवाब लिखा है आपने...लाजवाब....

    ReplyDelete
  26. भाई प्रकाश जी
    बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है, आने वाले वक़्तों में आपकी तरफ़ से और भी
    ख़ूबसूरत ग़ज़लों की उम्मीदें जगाती हुई.
    मैं कम आ पा रहा हूँ आजकल, लेकिन यक़ीन रखिये आपको याद ज़रूर करता हूँ

    ReplyDelete
  27. ARSH JEE ,
    AAPKEE GAZAL ACHCHHEE HAI LEKIN KUCHH
    SHERON MEIN AUR NIKHAAR AA SAKTAA THA.MASLAN
    " BARKHA KAA BAADAL " KE STHAAN PAR " SAAWAN KAA
    BAADAL " PRAYUKT HOTA TO BAAT BANTEE." YAHAN
    " BARKHA " FAALTOO BAN KAR AAYAA HAI.
    " MAIN TANHA KAB HOTA HOON KISNE BOLA"
    MISRA AGAR YUN HOTA TO USMEIN NIKHAR AATAA AUR
    DOOSRE MISRE KO BHEE UTHAATA--
    MAIN TANHAAEE MEIN RAHTA HOON,KISNE KAHAA
    TANHAAEE TO RAHTEE HAI TANHAHAAEE MEIN
    " TAB TO DARD BHARAA HAI YUN SHAHNAAEE MEIN" MEIN BHEE " YUN" FAALTOO HAI.
    SHER YUN CHAAHIYE--
    MEREE ARTHEE USKEE DOLEE SANG UTHEE
    DARD TABHEE TO "ARSH"BHARAA TANHAEE MEIN
    THODA VYAKARAN PAR BHEE DHYAAN DIJIYE.PAHLEE PANKTI MEIN " THAA" AUR DOOSREE
    PANKTI MEIN " HAI" KAA PRAYOG SAHEE NAHIN.
    AAPKAA BHAVISHYA UJJWAL HAI.BAHUT KUCHH SEEKHA HAI AUR SEEKH RAHE HAIN AAP.
    SHUBH KAAMNAYEN.

    ReplyDelete
  28. अर्श जी !
    ' उत्तर ' वाला मतला और' प्रश्न ' वाला मकता दौनों ही बेहद खूबसूरत बन पड़े हैं और उस पर ये शे'र " मैं तनहा कब ........"
    बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है ! आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे !

    ReplyDelete
  29. बहुत खूब जनाब ...

    ReplyDelete
  30. wo tanhai wala sher phir se phadne aaiya tha...
    ..chuhe ki tarah !!
    chupke se.
    :)

    tom ye she'r mujhe de do (tuhare sir pe pistol rakh ke keh raha hoon)(give or die !!)...

    nahi to?
    nahi to kya....
    apna hi 2nd last she'r padh lo.
    hahaha
    :)
    aur online nahi aate aajkal...

    ...ya chupe rehte ho bil main, meri tarah ?

    ReplyDelete
  31. नमस्कार अर्श जी,
    अच्छी ग़ज़ल है, "तन्हाई तो ..." इसके तो क्या कहने...........

    ReplyDelete
  32. डूब के अब तक मैं भी पार उतर जाता
    ग़ालिब कहते डूब न इस गहराई में ॥

    बहुत बढ़िया भाव अर्श जी बधाई

    ReplyDelete
  33. Har ek baat jo aapne kahni chahi apni gazal se wo dil tak pahuchane wali thi.......Aap sirf likhte hi nahi acha he balki aapki soch bhi bahut alag he .sukriya itni achi gazal likhne ke liye.Waqui bahut khubsurat hain sare sh'r

    ReplyDelete
  34. मैं तन्हा कब होता हूँ किसने बोला
    तन्हाई तो होती हैं तन्हाई में ..

    बहुत खूब ..........

    ReplyDelete
  35. मैं तन्हा कब होता हूँ किसने बोला
    तन्हाई तो होती हैं तन्हाई में ..

    बहुत खूब ..........

    ReplyDelete
  36. पढ़ तो पहले ही गया था तुम्हारी इस बेमिसाल ग़ज़ल को, कुछ कहने अब आया हूं कि धीरे-धीरे टाइप कर सकता हूं...

    तमाम तारिफ़ों से परे...
    मतले से लेकर हर एक शेर। सारे काफ़ियों को इतने नये अंदाज़ में निभाया है तुमने कि क्या कहूं! जलन की बू आ रही हो मेरी टिप्पणी से तो बुरा मत मानना...

    @मुफ़लिस जी,
    इस "उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़" पे मेरा कापी-राइट है...

    ...तो अर्श की इस नायाब ग़ज़ल के लिये एक लंबा सा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़...

    ReplyDelete
  37. उम्दा शेरों से सुसज्जित सुन्दर गज़ल...बहुत बढिया

    ReplyDelete
  38. गज़ल पूरी की पूरी ही अच्छी बनी है अर्श..! मतला, गालिब वाला शेर, हरजाई साजन के नखरे और आखिर में तुम्हारी रुसवाई सभी बहुत अच्छे...!

    अच्छी प्रगति ले रहे हो तुम..बल्कि बहुत आगे बढ़ गये हो.. बधाई..!

    ReplyDelete
  39. मैं तनहा होता हूँ किसने कब बोला...
    तन्हाई तो होती है तन्हाई में!

    bahut khoob!

    badhai ho aaapko

    ReplyDelete
  40. arsh bhai

    gazal padhkar ek junun sa chaaya hua hai ..
    har sher par waah hi waah hai ..

    ek sher jo sabse jyada choo gaya , wo hai tanhai waala///// ek dum dil ke bheetar jakar goonja..

    meri badhai sweekar kare .

    regards,

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

    ReplyDelete
  41. क्या बात है!!
    बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है. प्राण शर्मा जी की बातों पर भी ध्यान देने से लाभ ही होगा.
    'कोयल कूकी कुहुक कुहुक अमराई में' - यह मिस्रा बहुत सुन्दर लगा. इसमें 'कुहुक कुहुक' की बहुत खूबसूरत तक़रार है. 'ग़ालिब कहते डूब न इस गहराई में' - अर्श, इस गहराई में डूबना तो
    पड़ेगा ही.
    वैसे पूरी ग़ज़ल क़ाबिले तारीफ़ है. बधाई.

    ReplyDelete
  42. वाह अर्श जी ..... कमाल की ग़ज़ल बहुत ही समय बाद .......... आज ही वापस दुबई लौटा और आज ही आपकी खूबसूरत ग़ज़ल से सामना हो गया .... मेरा तो दिन बन गया भाई ........... कितने लाजवाब शेर कहें है ..... हर शेर पर दाद निकलती है दिल से ... सुभान अल्ला .......... गज़ब धाय है आज मुद्दतों बाद आपने ...........

    ReplyDelete
  43. आपकी इस खूबसूरत गजल पर दिल से दाद देती हूं। भई वाह क्या बात कही है। दमदार शब्द संयोजन।

    ReplyDelete
  44. अर्श जी,
    दर्द रचना पैदा करता है। और देखिये लोग दर्द पाना नहीं चाहते। खैर..गज़ल सचनुच बेहतरीन है। फिर उम्दा टिप्पणियां भी। मैं क्या कहूं। गौतमजी जांबाज हैं। ऐसे में उनकी टिप्पणी आपकी गज़ल के लिये सोने पे सुहागा है। वाह क्या इंसान हैं आप सब। इश्वर सबको आनन्द से रखे।

    ReplyDelete
  45. मैं तनहा कब होता हूँ किसने बोला
    तन्हाई तो होती है तन्हाई में ||

    bahut khoob arsh bhai...

    ReplyDelete
  46. Arsh bhai ,



    Pata nahee kyun, aapki nayee Gazal padhne ke baad aur Geet sunker Comment nahee ker pa rahee hoon

    Mera PC – aaj kal BAND pada hua hai



    Ye Lap top se Mail bhej rahee hoon – Please aap khud comment box mei rakh dijiyega .

    Aap ki awaz bahut sadhee hue hai - - Bahut achcha laga aapka Geet gane ka Prayas



    Gate rahiye, likhte rahiye –

    Shubh kaamnao sahit –

    Lavanys

    ReplyDelete
  47. "मेरी अर्थी उसकी डोली संग उठी
    तब तो दर्द भरा यूँ शहनाई में"

    शेर का अंदाज़ कातिलाना है...बेहद खूबसूरत.

    ReplyDelete
  48. काफी दिन बाद आया...
    दिवाली की मुबारक बाद देने आया था आज भी...
    और एक मस्त गजल से रूबरू हो गया ..
    दिवाली की सुबह खुशगवार हो गयी...मौसमों के हाल इस ढंग से पढ़कर...

    अब उस हटाये गए शेर की सोच रहा हूँ...
    भले ही आप उसे गजल में ना रखें...अपने गुरू जी की बात मानें....

    लेकिन कम से कम हमें अलग से मेल जरूर कर दें....
    आपको, आपके गुरूदेव को दिवाली और उनके जन्मदिन की बधाई....

    ReplyDelete
  49. WiSh U VeRY HaPpY DiPaWaLi.......

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...