Saturday, April 23, 2011

उम्र का ये पड़ाव कैसा है !

नमस्कार आप सभी को , देरी के लिए मुआफी भी चाहूँगा ! कुछ ऐसी मसरूफियत जिसकी कोई परिभाषा नहीं दी जा सकती ! और इसी वजह से ग़ज़ल को आप सभी तक लाने में देर हुई ! चलिए एक पुरानी ग़ज़ल आप सभी को सुनाता हूँ ! बह'र वही खफिफ़ .......इधर हाल ही में सीहोर जाना हुआ और पूरे गुरुकुल का जमावड़ा रहा ! बहुत मज़ा आया ! अगली बार फिर से एक नई ग़ज़ल के साथ हाज़िर होने के वादे के साथ ...



उम्र का ये पड़ाव कैसा है !
ख्वाहिशों का अलाव कैसा है !!

हसरतें टूट कर बिखर जाये ,
काइदों का दबाव कैसा है !!

जो कभी सूख ही नहीं पाता,
ये मेरे दिल पे घाव कैसा है !!

मैं उलझ कर फंसा रहा जिनमें,
इन लटों का घुमाव कैसा है !!

जिसको देखो बहा ही जाता है,
इस नदी का बहाव कैसा है!!

बेमज़ा जिंदगी है इसके बिन,
तेरे ग़म से लगाव कैसा है!!

कर चुके दफ़्न अर्श ख्‍वाबों को
फिर ये जीने का चाव कैसा है!!


अर्श

57 comments:

  1. वाह - वा !
    वाह - वा !!

    हुज़ूर ,,,, माना क आप बहुत बहुत देर से तशरीफ़ लाये
    लेकिन ऐसा आना ......... सुब्हान अल्लाह !!
    क्या खूब अश`आर कहे हैं जनाब
    उम्र का ये पड़ाव कैसा है
    ख्वाहिशों का अलाव कैसा है
    मतला,,, अपनी बात बखूबी कह पा रहा है
    और
    मैं उलझ कर फँसा रहा जिसमे
    उन लटों का घुमाव कैसा है
    ये घुमाव का इस्तेमाल तो वाक़ई सभी पढने वालों को
    अपने तिलिस्म में फँसा ही रक्खेगा ...
    बाक़ी सभी शेर भी
    बार बार ,,, बार बार
    पढने को मन करता है ...
    बहुत बहुत बहुत मुबारकबाद कुबूल फरमाएं .

    "दानिश"

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  2. Kya gazab gazal kahee hai!Baar baar padhee!

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  3. हसरतें टूटकर बिखर जाएं
    कायदों का दबाव कैसा है

    अर्श जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है. मुबारकबाद कबूल फ़रमाएं.

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  4. जो कभी सूख ही नहीं पाता
    ये मेरे दिल पे घाव कैसा है

    बहुत ख़ूबसूरत !
    वाह !
    मक़ता भी अच्छा है

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  5. उम्र का ये पड़ाव अच्छा है
    खाहिशों का अलाव अच्छा है

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  6. आपके ब्लॉग पर आकार आपके विषय में जाना ..बहुत अच्छा लगा .....आशा है अब आपकी रचनाएँ अब पढने को मिला करेंगी .....प्रस्तुत गजल में आपने जीवन के विविध सन्दर्भों को बखूबी अभिव्यक्त किया है .....आपका आभार

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  7. badiya gazal bhai......aapne subeer ji nirdeshan me khoob pakad banai hai...aapko badhai..subeer ji ko sadhuwaad...

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  8. behatarin nagmon ki numayas ,pratirakshan ki gunjais nahin .utkrist najm . sadhuvad ji singh
    sahab.

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  9. बेहतरीन गज़ल है अर्श जी ! हर शेर लाजवाब है ! आज आपके ब्लॉग पर आना बहुत सुखद अनुभव रहा ! इतनी सुन्दर रचना के लिये मेरी बधाई स्वीकार करें !

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  10. Bahut khoob bhaiya... Kaafi lambe samay baad kuch padhne ko mila aapke blog par :) Superb! :)

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  11. अर्श जी
    कौन से शेर की तारीफ़ करूँ और कौन से शेर को छोडूँ?
    क्या गज़ल लिखी है हर शेर ना जाने कौन सी दुनिया मे ले जाता है……………शानदार्।

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  12. बहुत ही बढ़िया गज़ल है. मतला तो बहुत ही ज़ोरदार है. सभी अशआर बहुत खूब कहे हैं. "काइदों को दवाब", "लटों का घुमाव" और "बहाव" वाले शेर खास तौर पर पसंद आये.

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  13. क्या बात है भाई बहुत ही अच्छा लगा पड़कर क्या composition है ......
    अक्षय-मन

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  14. aapki gazal itni saadgi liye umda hai ki lagta hai jaise har koi gazel likh le. lekin itna aasan to nahi...ye me janti hun. bahut acchhi gazal ke liye badhayi.

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  15. दिनो बाद आए हो और छा गए बरखुदार...!

    मतले ने तो जान निकाल दी| बहुत खूब....और कायदों का दवाब वाला मिसरा तो कसम से जानलेवा है|

    बहुत सुंदर ग़ज़ल बुनी है अर्श| बधाइया....

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  16. arsh ji ...jabardast dastak detey hai aap...lajwaab soch..kamaal ki ghazal!

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  17. जिसको देखो बहा ही जाता है,
    इस नदी का बहाव कैसा है!!


    बेमज़ा जिंदगी है इसके बिन,
    तेरे ग़म से लगाव कैसा है!!

    वाह!
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  18. चलो देर आये दुरुस्त आये। जब देर से आते हो तो समझ जाती हूँ कि कुछ खास ले कर ही आये होगे। मेरे लिये तो ये नै गज़ल ही है---- तुम्हारे शेर पर कुछ कहूँेअभी इस काबिल तो नही लेकिन तुम जो भी लिखते हो मेरे दिल को छूता है। आज कल तो और भी गज़ब का लिख रहे हो।
    कुछ शेरों पर दाद दिये बिना भी रहा नही जा रहा---
    हसरतें टूटकर बिखर जाएं
    कायदों का दबाव कैसा है

    जो कभी सूख ही नहीं पाता
    ये मेरे दिल पे घाव कैसा है

    कर चुके दफ्न अर्श ख्वाबों को----
    ये शेर तो सब से अच्छा लगा जीने का चाव तो इन्सां मे होना ही चाहिये। खूब लिखो खूब जीओ यही आशीर्वाद है।

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  19. पंकज भाई के चहेते शिष्य से ऐसी ग़ज़ल की ही उम्मीद रहती है

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  20. लटे अच्छी लगी हमें तो.. बहुत खूब

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  21. bahut badhiya ghazal kahi hai... saare sher badhiya lage.

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  22. बेहद खूबसूरत गज़ल.

    मैं इसे अपने ब्लॉग पर डालना चाहता हूँ.

    उम्मीद है इजाज़त मिलेगी :)

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  23. जो कभी सूख ही नही पाता ...
    वाह प्रकाश जी ... क्या कमाल किया है आपने तो इस ग़ज़ल में ... हाथ चूमने को दिल करता है ... सुभान अल्ला ...

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  24. उम्र का ये पड़ाव कैसा है
    ख्वाहिशों का अलाव कैसा है
    -बहुत खूबसूरत शेर.
    ग़ज़ल भी अच्छी लगी मगर
    इस में इतनी मायूसी क्यों है?

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  25. wah bhaiya aapki itni achi Gajal ko padh yeh ahsas hota hai ki ................ aapne sachmuch
    kitni gahrayi se ye Gajal likhe hai, You deserve 5 out 5. I feel proud Bhaiya

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  26. बहुत शानदार लिखा आपने...
    nice post...

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  27. वाह!
    घुघूती बासूती

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  28. देर से आये मगर इत्मिनान से एक एक शेर घूँट घूँट पिआ...भरपूर आनन्द आया.

    वाह, शानदार गज़ल, प्रकाश!! बधाई.

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  29. हसरतें टूटकर बिखर जाएं
    कायदों का दबाव कैसा है
    जो कभी सूख ही नहीं पाता
    ये मेरे दिल पे घाव कैसा है
    .....दिल का हाल सुने दिल वाला. बेहतरीन ग़ज़ल है.

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  30. क्या आप हमारीवाणी के सदस्य हैं? हमारीवाणी भारतीय ब्लॉग्स का संकलक है.


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  31. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है... एक एक शे'र लाजवाब है ...

    बहुत बधायी ...

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  32. बहुत ही बढ़िया !
    जिसको देखो बहा ही जाता है,
    इस नदी का बहाव कैसा है!!
    जिंदगी भी नदी के जैसे ही है, हर कोई बहा ही जा रहा है ! कोई तैरने का प्रयास ही नहीं करता !

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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  33. बहुत ख़ूबसूरत

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  34. आपकी गज़ल पढ़ कर आनंद आ गया| बधाई हो...|
    अचानक एक शेर आपकी बहर पे आ गया...... .................................................
    "डंडा" का दंडवत प्रणाम उसे,
    यूँ अदब में झुकाव कैसा है ||

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  35. बहुत सुन्दर गजल
    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

    mari aak request hai ki aap ka vject niche rake taki likne vale ki subedha ho
    thanks

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  36. बेहतरीन पोस्ट आभार.

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  37. बेहतरीन अभिवयक्ति जिन्दगी जीने की....

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  38. अर्श भाई

    अब फिर से ब्लॉग्गिंग शुरू कर रहा हूँ ,... तो बस आपको फोल्लो कर रहा हूँ .. गज़ल तो लिखना नहीं आता , लेकिन आप जैसे गज़लकारो के फन का मुरीद हूँ ..

    जो कभी सूख ही नहीं पाता
    ये मेरे दिल पे घाव कैसा है

    इसके बाद तो कुछ कहने को बाकी नहीं रह जाता है ... सलाम कबुल करे.

    आभार
    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  39. It's great stuff. I enjoyed to read this blog.

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  40. बहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत प्रस्तुति .
    स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें

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  41. I like your excellent lyrics. each and every day your blog having some interesting topic. It's great stuff.

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  42. Superb lines and really i inspired from this write up, I really appreciate your work here.

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  43. dil ko choo lene wali panktiyan likhi hai aapne.
    maine bhi haal hi main deshbhakti poorn ek kavita likhi hai samay mile to awashya padhare.
    http://meriparwaz.blogspot.com/2011/08/blog-post_18.html

    जंग में ना जा सको तो जाने वालों को आधार दो

    नारे ना लगा सको समर में तो कम से कम शब्दों को तलवार दो

    और कुछ ना कर सको तो , क्रांति को विस्तार दो

    इस बार कम से कम अपने अन्दर के कायर को मार दो.

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  44. बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भाव , आभार

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.

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  45. Nice Blog
    Your Blog is Really Very Inspiring
    Great Work Keep it up.......
    I Like This Very Much.......

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...