गुरु जी के आशीर्वाद के इंतज़ार में......
नहीं के हमको निभाना नहीं आता ॥
वक्त पे उनको भी आना नहीं आता ॥
जरा सी बात पे देखो वो रूठ जाते है ,
क्या कहूँ उनको सताना नही आता ॥
रस्म तो रस्म है क्यूँ घबरा रहे हो तुम ,
क्या तुम्हे रस्म निभाना नही आता .?
अभी तो आए हो जी-भर के देख तो लूँ
तुम्हे न जाने का बहाना नही आता ॥
आज का दौर है दिखावे का सुनो तुम ,
तू रह जाएगा गर दिखाना नही आता ॥
तू कहे 'अर्श'तेरे कुचे में दम निकले ,
बस ये है तुझे आजमाना नहीं आता ॥
प्रकाश'अर्श"
१९/०२/२००९
अर्श जी,बहुत सुन्दर गज़ल है।बधाई\
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन...गुरुदेव भी आशीष दे ही देंगे.
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद दर्शन दिए खता माफ़ क्यूंकि इक सुंदर ग़ज़ल के साथ आए
ReplyDelete9/10.
ReplyDelete10/10 isliye nahi.. ki taki aap likhte rahe... or finally sb aapko 11/10 ko majboor ho jaye... 10/10 aapke liye nahi h...
"आज का दौर है दिखावे का सुनो तुम ,
तू रह जाएगा गर दिखाना नही आता ॥"
वाह !बहुत खूब!
ReplyDeleteसभी शेर खूबसूरत लगे.
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है.
जरा सी बात पे देखो वो रूठ जाते हैं.....
ReplyDelete" शानदार भाव और प्रस्तुती.."
Regards
हम ही कुछ अधीरसे हो रहे थे ,वक्त न देखा घड़ीमें और मिलनकी जगह पर खड़े रहे थे ,,,
ReplyDeleteबहुत कुछ उन्हें कहना चाहा देरसे आना पर ,पर शब्द लबोंमें ही कैद रहे ....
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समज लो कुछ जबां इन खामोशियोंकी भी नजर उनसे मिलाके उनसे ,
जां तक फ़ना करके उफ़ तक न करेंगे कभी अगर बीच राह में कभी आप तनहा भी छोड़ दोगे ....
आज का दौर है दिखावे का रह जायेगा तू अगर दिखाना नहि आता
ReplyDeleteवह सच कहने का अन्दाज़ बहुत खूबसूरत है अछ्हि नज़म के लिये बधाई
bahut achhe dost...
ReplyDeleteफिर से एक अच्छी रचना.......बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल लगी यह आपकी बहुत खूब हर शेर
ReplyDeleteहम्म्म्म्म कहन अच्छी....! बहर गुरू जी जाने....!
ReplyDeleteरस्म तो रस्म है...........
ReplyDeleteक्या बात लिख दी है अर्श साहब , बहुत खूब है पूरी की पूरी ग़ज़ल, बहुत लाजवाब
bahut khoob arsh, sabhi sher wah wah ke kabil.
ReplyDeletejara si baat pe..............
sunder rachna, badhai
अच्छे कथ्य....गुरू जी देख लें तो ठीक रहेगा
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है ,एक एक शेर गज़ब का लगा .......
ReplyDeleteएक गुस्ताखी मेरी तरफ़ से
वो तो मारता है नज़र से तीर कितने कस कस के,
या हमे मरना नही आता या उसे निशाना नही आता
bahut khoob,
ReplyDeletehum tumhaarei taraf berok dekhte rahe,
kya karein, humein sharmana nahi aata
wah arsh ji
ReplyDeletemaza aa gaya aapko padhkar. is baar aur acchi isliye lagi ,kyonki thoght process ek rythem me hai .. aur multi thoughts ka collection nahi hai
wah ji badhai le lo ..
ज़रा सी बात पे देखो वो रूठ जाते हैं
ReplyDeleteक्या कहूँ उनको सताना नहीं आता
वाह ,वाह
सताने के नये गुरूमंत्र सीख कर सतायेंगे....
आज का दौर वास्तव में दिखावे का है,किंतु वास्विकता सामने आने का खतरा भी बना रहता है. लेकिन दिखावा करनेवाले इतने माहिर होते हैं कि उस स्थिति से भी निबट लेते हैं.
ReplyDeleteकाफ़ी अच्छा लिखा है, आनन्द आ गया!
ReplyDeleteआपके ख़यालात हमेशा ही ख़ूबसूरत होते हैं जिसके लिए आपको मुबारकबाद देता हूं।
ReplyDeleteमहावीर शर्मा
हमेशा की तरह से लाजबाव, बहुत ही सुंदर लिखा आप ने, हर से अपनी कहानी कहता है.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप कहते रहें.... शुभकामनाएं....
ReplyDeleteBahut achi ghazal likhi hai aapne......
ReplyDeletekya likha he apne nahi ke hum ko nivana nahi ata wa
ReplyDeletewa
kya dard he har ek alfaz me
kya baat he
ReplyDeletedard bahut he har ek alfaz me
achha likha hai
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