Thursday, February 19, 2009

नहीं के हमको निभाना नही आता ...

गुरु जी के आशीर्वाद के इंतज़ार में......



नहीं के हमको निभाना नहीं आता ॥
वक्त पे उनको भी आना नहीं आता ॥

जरा सी बात पे देखो वो रूठ जाते है ,
क्या कहूँ उनको सताना नही आता ॥

रस्म तो रस्म है क्यूँ घबरा रहे हो तुम ,
क्या तुम्हे रस्म निभाना नही आता .?

अभी तो आए हो जी-भर के देख तो लूँ
तुम्हे न जाने का बहाना नही आता ॥

आज का दौर है दिखावे का सुनो तुम ,
तू रह जाएगा गर दिखाना नही आता ॥

तू कहे 'अर्श'तेरे कुचे में दम निकले ,
बस ये है तुझे आजमाना नहीं आता ॥

प्रकाश'अर्श"
१९/०२/२००९

28 comments:

  1. अर्श जी,बहुत सुन्दर गज़ल है।बधाई\

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  2. बहुत बेहतरीन...गुरुदेव भी आशीष दे ही देंगे.

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  3. बहुत दिनों बाद दर्शन दिए खता माफ़ क्यूंकि इक सुंदर ग़ज़ल के साथ आए

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  4. 9/10.
    10/10 isliye nahi.. ki taki aap likhte rahe... or finally sb aapko 11/10 ko majboor ho jaye... 10/10 aapke liye nahi h...
    "आज का दौर है दिखावे का सुनो तुम ,
    तू रह जाएगा गर दिखाना नही आता ॥"

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  5. वाह !बहुत खूब!
    सभी शेर खूबसूरत लगे.

    बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है.

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  6. जरा सी बात पे देखो वो रूठ जाते हैं.....
    " शानदार भाव और प्रस्तुती.."

    Regards

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  7. हम ही कुछ अधीरसे हो रहे थे ,वक्त न देखा घड़ीमें और मिलनकी जगह पर खड़े रहे थे ,,,
    बहुत कुछ उन्हें कहना चाहा देरसे आना पर ,पर शब्द लबोंमें ही कैद रहे ....
    =======================
    समज लो कुछ जबां इन खामोशियोंकी भी नजर उनसे मिलाके उनसे ,
    जां तक फ़ना करके उफ़ तक न करेंगे कभी अगर बीच राह में कभी आप तनहा भी छोड़ दोगे ....

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  8. आज का दौर है दिखावे का रह जायेगा तू अगर दिखाना नहि आता
    वह सच कहने का अन्दाज़ बहुत खूबसूरत है अछ्हि नज़म के लिये बधाई

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  9. फिर से एक अच्छी रचना.......बहुत खूब

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  10. बहुत सुंदर गजल लगी यह आपकी बहुत खूब हर शेर

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  11. हम्म्म्म्म कहन अच्छी....! बहर गुरू जी जाने....!

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  12. रस्म तो रस्म है...........
    क्या बात लिख दी है अर्श साहब , बहुत खूब है पूरी की पूरी ग़ज़ल, बहुत लाजवाब

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  13. bahut khoob arsh, sabhi sher wah wah ke kabil.

    jara si baat pe..............

    sunder rachna, badhai

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  14. अच्छे कथ्य....गुरू जी देख लें तो ठीक रहेगा

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  15. क्या खूब लिखा है ,एक एक शेर गज़ब का लगा .......
    एक गुस्ताखी मेरी तरफ़ से
    वो तो मारता है नज़र से तीर कितने कस कस के,
    या हमे मरना नही आता या उसे निशाना नही आता

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  16. bahut khoob,

    hum tumhaarei taraf berok dekhte rahe,
    kya karein, humein sharmana nahi aata

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  17. wah arsh ji
    maza aa gaya aapko padhkar. is baar aur acchi isliye lagi ,kyonki thoght process ek rythem me hai .. aur multi thoughts ka collection nahi hai
    wah ji badhai le lo ..

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  18. ज़रा सी बात पे देखो वो रूठ जाते हैं
    क्या कहूँ उनको सताना नहीं आता

    वाह ,वाह
    सताने के नये गुरूमंत्र सीख कर सतायेंगे....

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  19. आज का दौर वास्तव में दिखावे का है,किंतु वास्विकता सामने आने का खतरा भी बना रहता है. लेकिन दिखावा करनेवाले इतने माहिर होते हैं कि उस स्थिति से भी निबट लेते हैं.

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  20. काफ़ी अच्छा लिखा है, आनन्द आ गया!

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  21. आपके ख़यालात हमेशा ही ख़ूबसूरत होते हैं जिसके लिए आपको मुबारकबाद देता हूं।
    महावीर शर्मा

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  22. हमेशा की तरह से लाजबाव, बहुत ही सुंदर लिखा आप ने, हर से अपनी कहानी कहता है.
    धन्यवाद

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  23. आप कहते रहें.... शुभकामनाएं....

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  24. Bahut achi ghazal likhi hai aapne......

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  25. kya likha he apne nahi ke hum ko nivana nahi ata wa
    wa
    kya dard he har ek alfaz me

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  26. kya baat he
    dard bahut he har ek alfaz me

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