Sunday, February 1, 2009

तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ ...

आप सबके सामने एक गीत नज़्र कर रहा हूँ ,जो मूलतः पहली गीत है इस ब्लॉग पे मेरी ।गलती के लिए मुआफी चाहूँगा ....


तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥

नहीं के हमें दिल लगना नही था
गली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
तेरे ख्वाब ही .......

अभी दिल हमारा धड़कना था सिखा
तुम्हारी नज़र से बचाना किसीका
मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन ........

हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ....


प्रकाश"अर्श"
०१/०२/२००९

54 comments:

  1. hello bhaiya..!!!

    aaj to maza hi aa gaya... :)
    itne dino baad aapke blog par kuchh padhne ko mila wo bhi bilkul naye andaaz me. or sabse pehle comment karne wala bhi main hi hoon.
    bahut hi achha laga padhkar

    "हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ "

    or haan....mere blog par 18 January se 1 February tak ki saari posts aapko padhni hai...
    Ye aapka punishment hai bina bataye bahar chale jane ka.... agli baar jab aap blog chhodkar jayein to ek NOTICE post kar dijiyega.. :)

    be CAREFUL next time...!! ha..ha. :)

    aapka chhota bhai...
    Puneet Sahalot :)

    ReplyDelete
  2. अर्श जी बहुत खुशी हुई आज आपकी पोस्ट पढ़कर एक लंबे अन्तराल के बाद आप से भेंट होना अपने आप में एक प्रसन्नता भरी बात है उस पर इतना सुंदर मधुर गीत .....एक एक शब्द शहद में भीगा हुआ .
    अब कभी दूर जाओ तो इतिला कर के जाना भाई हमारी तो जान निकल जाती है जब दिल के करीब के लोग अचानक गुम से हो जाते है .भाई होने की हैसियत से गुस्सा उतार रहा हूँ बुरा लगे तो माफ़ कर देना ( ha ha ha )

    ReplyDelete
  3. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
    तुम्हे रात दिन .....
    तेरे ख्वाब ही अक्सर ...

    बहुत अच्छे अर्श भाई| पढ़ कर मजा आ गया| कुछ हटकर और लाजवाब|

    ReplyDelete
  4. अर्श जी,सुन्दर गीत लिखा है।अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर श्ब्द दिए हैं।बधाई।

    ReplyDelete
  5. प्रकाश, बहुत अच्छा प्रयास है आपका , हम आपकी प्रसंशा करते हैं, और अच्छा पढ़ने मिलेगा आपके ब्लॉग पर, मुझे ऐसी उम्मीद ही.
    - विजय

    ReplyDelete
  6. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो,
    तुम्हें jaantey हैं वो मेरे नाम से,
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोका करूँ ..

    बहुत ही खूबसूरत गीत लिखा है,
    भावों की सफल अभिव्यक्ति है...यह पहला गीत ही सुंदर बना है..
    बधाई

    ReplyDelete
  7. बहुत ही खुब सुरत गीत लिखा आप ने धन्यवाद

    ReplyDelete
  8. बहुत ही खूबसूरत रचना है. इस ब्लोग के चर्चे दूर तक फ़ैलें.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  9. तुम्हारी नज्म पढ़ कर बस मैं यही कह सकता हूँ सुभानाल्ल्हा

    ReplyDelete
  10. तुम्हे रात दिन क्यूँ मै सोचा करूं....बेहतरीन सुंदर ख़यालात "

    Regards

    ReplyDelete
  11. तुम्हे रात दिन क्यूँ मै सोचा करूं...बहुत बढ़िया सुंदर

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन प्रयास है आपका...गीत लिखते रहा करें...
    नीरज

    ReplyDelete
  13. बहुत खूबसूरत है आपकी ग़ज़ल हमेशे की तरह. एक मोहब्बत की तरह जो सारे टेंशन दूर कर देती है. बधाई.

    ReplyDelete
  14. बहुत ही अच्छा गीत लिखा है...

    ReplyDelete
  15. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
    तुम्हे रात दिन .....
    तेरे ख्वाब ही अक्सर ...

    खूबसूरत पंक्तियॉं हैं, बधाई।

    ReplyDelete
  16. bahut sundar arsh Bhai ..

    gazal ki tarah ise bhi aapne khyalon ke pankh laga diye hai .. wah ji wah ..

    bahut badhai..

    aapka

    vijay

    ReplyDelete
  17. बहुत ही सुंदर बन पड़ा है. कौन कहेगा की यह आपका पहला प्रयास है. हाँ आपके ब्लॉग पर तो हो सकता है परतु हमें तो आप मंजे हुए लगते हो. आभार.

    ReplyDelete
  18. लीक से हट कर किया तजुर्बा सफल रहा..............अच्छा गीत है,

    ReplyDelete
  19. बहुत अच्छी रही अर्श भाई !

    ReplyDelete
  20. arsh, bahut sunder bhavnaon ki abhivyakti,hridaysparshi geet, der aayad durust ayad. badhai. swapn

    ReplyDelete
  21. ये ब्बात है, अर्श भाई,
    बहुत दिनों के बाद एक और क़ाबिलेदाद गीत। बहुत ख़ूब।

    ReplyDelete
  22. kya baat hai ji
    geet bhaut madhur laga lay gunguna sake

    ReplyDelete
  23. bahut hi manmohak geet hai.

    ReplyDelete
  24. रुमानियत है...सूक्ष्म संवेदनाएं बेहतरीन वाक्य प्रयोग

    ReplyDelete
  25. बहुत लाजवाब और सुन्दर रचना.

    रामराम.

    ReplyDelete
  26. क्या बात है अर्श भाई...ये नया रूप तो एकदम चढ़ के बोल रहा है
    बहुत सुंदर शब्द संयोजन और उतने ही सुंदर बोल

    ReplyDelete
  27. क्या बात है...बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  28. बहुत ख़ूबसूरत गीत है। पढ़ने में, गुनगुनाने में, भावों में डूब जाने में, हर तरह से गीत का मज़ा आ गया।

    ReplyDelete
  29. आप सादर आमंत्रित हैं, आनन्द बक्षी की गीत जीवनी का दूसरा भाग पढ़ें और अपनी राय दें!
    दूसरा भाग | पहला भाग

    ReplyDelete
  30. बहुत ही रूमानी ख्याल है।

    ReplyDelete
  31. अभी दिल हमारा धकड़ना .वाला हिस्सा पसंद आया......स्पेलिंग मिस्टेक है थोडी सी....चेक कर लो.....

    ReplyDelete
  32. aapke saare geet pdhe ..sundar likhte hai or utna hi udaas

    ReplyDelete
  33. Badee raat beet chukee hai...behad pareshaan man aur thaka dimaag leke aayee lekin, itnaa sundar padhaa ki, chain aa gayaa....
    mere blogpebhee kabhee dikh jao...bohot din hue, aur gazab tezeese antim charam pe aa rahee hai Duvidhaa...kyonkee jeewnme in chand maheenon me istarhkee ghatnaayen ghatee...lagta hai, mai koyee film dekh rahee hun yaa ye haqeeqat hai...mai kahase kaha gayee aur phir, ik aisee dardkee khayeeme kiseene peechhese dhael diyaa ki lagtaa hai, shayad ek zindaa laash ban gayee hun...zindaa laash kya likhe, kaise likhe ?

    ReplyDelete
  34. भई वाह बेहतर गीत के लिये साधुवाद

    ReplyDelete
  35. ab is baar kya hua bhaiya...???
    abi tak aap 'unhein' soch hi rahein hain kya...!!!
    kuchh naya....
    :((

    ReplyDelete
  36. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  37. ab is baar kya hua bhaiya...???
    abi tak aap 'unhein' soch hi rahein hain kya...!!!
    kuchh naya.... :((

    ReplyDelete
  38. अच्छा प्रयास है.

    ReplyDelete
  39. बहुत ख़ूब! गीत बहुत पसंद आया। भई, पिछली बहरे ख़फ़ीफ़ में जो ग़ज़ल लिखी है, उसका ख़ुमार अभी भी नहीं उतरा। कई बार पढ़ चुका हूं।

    ReplyDelete
  40. मैंने अपने ब्लॉग का पता बदल दिया है। मेरे ब्लॉग का नया पता है :-
    http://hindisarita.blogspot.com

    ReplyDelete
  41. प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है. बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. ***वैलेंटाइन डे की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयाँ***
    -----------------------------------
    'युवा' ब्लॉग पर आपकी अनुपम अभिव्यक्तियों का स्वागत है !!!

    ReplyDelete
  42. bhaiya.... kuchh naya milega...???
    aajkal aapko yaad dilana padta hai ki kuchh naya post kariye...16 din ho gaye.
    ab fir se main aapko koi calculation nahi batana chahta pehle ki tarah... :(

    :(

    ReplyDelete
  43. bahut hi badhiya Arsh.
    Today I visited your blog for the first time.
    I got the link in the mail that you replied.

    Too Good....aur yaar, ek baat batao, how do you get so many comments...How??
    Mujhe bhi batao..

    Aur kabhi hamare blog par bhi aaiyega..

    Http://tanhaaiyan.blogspot.com

    And e-mail subscription se copy karne ka chakkar nahin rehta?? Maine pehle lagaya tha, par abhi 2 din se haTaa diya...

    ReplyDelete
  44. Arsh,

    I don't write for comments. But was surprised to see the number of comments on your posts. I wanted to know, how so much of traffic comes to your blog. I know, you write very well. Would like to have chat with you. Please meet me online.

    ReplyDelete
  45. अर्श
    बहुत दिनो से ये सवाल मेरे मन मे था। सोच रहा था के किस से पूछूँ
    आपका गीत पढ़ा तो लग रहा है आप ही सब से उपयुक्त व्यक्ति हैं इस के लिये

    गज़ल और गीत में क्या फर्क होता है

    गज़ल तो इस प्रकार होती है
    काफिया
    काफिया
    xxxx
    kaafiya
    xxxx
    kaafiya
    xxxx
    kaafiya
    .
    .
    .
    and so on...

    what's the pattern in a geet.
    Please do reply, if possible by e-mail

    yogesh249@gmail.com

    ReplyDelete
  46. aapki post par aakar wapas jane ka man nahi karta.....kisi din fursat mein sabkuch padegay. abhi to sirf itna hi kahegay ki

    " ITNA ACHCHA LIKHNGAY TO KAHA JAYEGA
    HUM CHAAH KER BHI KUCH KAH NA PAYENGAY "

    ReplyDelete
  47. फिर-फिर पढ़ा, फिर-फिर अच्छा लगा भाई जीओ!

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...