आप सबके सामने एक गीत नज़्र कर रहा हूँ ,जो मूलतः पहली गीत है इस ब्लॉग पे मेरी ।गलती के लिए मुआफी चाहूँगा ....
तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥
नहीं के हमें दिल लगना नही था
गली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
तेरे ख्वाब ही .......
अभी दिल हमारा धड़कना था सिखा
तुम्हारी नज़र से बचाना किसीका
मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन ........
हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ....
प्रकाश"अर्श"
०१/०२/२००९
hello bhaiya..!!!
ReplyDeleteaaj to maza hi aa gaya... :)
itne dino baad aapke blog par kuchh padhne ko mila wo bhi bilkul naye andaaz me. or sabse pehle comment karne wala bhi main hi hoon.
bahut hi achha laga padhkar
"हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ "
or haan....mere blog par 18 January se 1 February tak ki saari posts aapko padhni hai...
Ye aapka punishment hai bina bataye bahar chale jane ka.... agli baar jab aap blog chhodkar jayein to ek NOTICE post kar dijiyega.. :)
be CAREFUL next time...!! ha..ha. :)
aapka chhota bhai...
Puneet Sahalot :)
अर्श जी बहुत खुशी हुई आज आपकी पोस्ट पढ़कर एक लंबे अन्तराल के बाद आप से भेंट होना अपने आप में एक प्रसन्नता भरी बात है उस पर इतना सुंदर मधुर गीत .....एक एक शब्द शहद में भीगा हुआ .
ReplyDeleteअब कभी दूर जाओ तो इतिला कर के जाना भाई हमारी तो जान निकल जाती है जब दिल के करीब के लोग अचानक गुम से हो जाते है .भाई होने की हैसियत से गुस्सा उतार रहा हूँ बुरा लगे तो माफ़ कर देना ( ha ha ha )
हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
ReplyDeleteतुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ...
बहुत अच्छे अर्श भाई| पढ़ कर मजा आ गया| कुछ हटकर और लाजवाब|
अर्श जी,सुन्दर गीत लिखा है।अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर श्ब्द दिए हैं।बधाई।
ReplyDeleteप्रकाश, बहुत अच्छा प्रयास है आपका , हम आपकी प्रसंशा करते हैं, और अच्छा पढ़ने मिलेगा आपके ब्लॉग पर, मुझे ऐसी उम्मीद ही.
ReplyDelete- विजय
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteहमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो,
ReplyDeleteतुम्हें jaantey हैं वो मेरे नाम से,
है खाई कसम क्यूँ मैं धोका करूँ ..
बहुत ही खूबसूरत गीत लिखा है,
भावों की सफल अभिव्यक्ति है...यह पहला गीत ही सुंदर बना है..
बधाई
बहुत ही खुब सुरत गीत लिखा आप ने धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना है. इस ब्लोग के चर्चे दूर तक फ़ैलें.
ReplyDeleteधन्यवाद
तुम्हारी नज्म पढ़ कर बस मैं यही कह सकता हूँ सुभानाल्ल्हा
ReplyDeleteतुम्हे रात दिन क्यूँ मै सोचा करूं....बेहतरीन सुंदर ख़यालात "
ReplyDeleteRegards
तुम्हे रात दिन क्यूँ मै सोचा करूं...बहुत बढ़िया सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन प्रयास है आपका...गीत लिखते रहा करें...
ReplyDeleteनीरज
बहुत खूबसूरत है आपकी ग़ज़ल हमेशे की तरह. एक मोहब्बत की तरह जो सारे टेंशन दूर कर देती है. बधाई.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा गीत लिखा है...
ReplyDeleteहमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
ReplyDeleteतुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ...
खूबसूरत पंक्तियॉं हैं, बधाई।
bahut sundar arsh Bhai ..
ReplyDeletegazal ki tarah ise bhi aapne khyalon ke pankh laga diye hai .. wah ji wah ..
bahut badhai..
aapka
vijay
बहुत ही सुंदर बन पड़ा है. कौन कहेगा की यह आपका पहला प्रयास है. हाँ आपके ब्लॉग पर तो हो सकता है परतु हमें तो आप मंजे हुए लगते हो. आभार.
ReplyDeleteलीक से हट कर किया तजुर्बा सफल रहा..............अच्छा गीत है,
ReplyDeleteबहुत अच्छी रही अर्श भाई !
ReplyDeletearsh, bahut sunder bhavnaon ki abhivyakti,hridaysparshi geet, der aayad durust ayad. badhai. swapn
ReplyDeleteये ब्बात है, अर्श भाई,
ReplyDeleteबहुत दिनों के बाद एक और क़ाबिलेदाद गीत। बहुत ख़ूब।
kya baat hai ji
ReplyDeletegeet bhaut madhur laga lay gunguna sake
bahut hi manmohak geet hai.
ReplyDeleteमन भावन गीत
ReplyDelete----------
ज़रूर पढ़ें:
हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख
रुमानियत है...सूक्ष्म संवेदनाएं बेहतरीन वाक्य प्रयोग
ReplyDeleteबहुत लाजवाब और सुन्दर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
क्या बात है अर्श भाई...ये नया रूप तो एकदम चढ़ के बोल रहा है
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द संयोजन और उतने ही सुंदर बोल
क्या बात है...बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत गीत है। पढ़ने में, गुनगुनाने में, भावों में डूब जाने में, हर तरह से गीत का मज़ा आ गया।
ReplyDeleteखूबसूरत .....
ReplyDeleteआप सादर आमंत्रित हैं, आनन्द बक्षी की गीत जीवनी का दूसरा भाग पढ़ें और अपनी राय दें!
ReplyDeleteदूसरा भाग | पहला भाग
बहुत ही रूमानी ख्याल है।
ReplyDeleteअभी दिल हमारा धकड़ना .वाला हिस्सा पसंद आया......स्पेलिंग मिस्टेक है थोडी सी....चेक कर लो.....
ReplyDeleteaapke saare geet pdhe ..sundar likhte hai or utna hi udaas
ReplyDeleteKhoobasoorat khayaal.
ReplyDeleteBadee raat beet chukee hai...behad pareshaan man aur thaka dimaag leke aayee lekin, itnaa sundar padhaa ki, chain aa gayaa....
ReplyDeletemere blogpebhee kabhee dikh jao...bohot din hue, aur gazab tezeese antim charam pe aa rahee hai Duvidhaa...kyonkee jeewnme in chand maheenon me istarhkee ghatnaayen ghatee...lagta hai, mai koyee film dekh rahee hun yaa ye haqeeqat hai...mai kahase kaha gayee aur phir, ik aisee dardkee khayeeme kiseene peechhese dhael diyaa ki lagtaa hai, shayad ek zindaa laash ban gayee hun...zindaa laash kya likhe, kaise likhe ?
भई वाह बेहतर गीत के लिये साधुवाद
ReplyDeleteab is baar kya hua bhaiya...???
ReplyDeleteabi tak aap 'unhein' soch hi rahein hain kya...!!!
kuchh naya....
:((
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteab is baar kya hua bhaiya...???
ReplyDeleteabi tak aap 'unhein' soch hi rahein hain kya...!!!
kuchh naya.... :((
अच्छा प्रयास है.
ReplyDeletekya baat hai...bahut sundar bhav
ReplyDeletekhubsurat as usual
ReplyDeleteबहुत ख़ूब! गीत बहुत पसंद आया। भई, पिछली बहरे ख़फ़ीफ़ में जो ग़ज़ल लिखी है, उसका ख़ुमार अभी भी नहीं उतरा। कई बार पढ़ चुका हूं।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत लिखा है आपने!!
ReplyDeleteहिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से
मैंने अपने ब्लॉग का पता बदल दिया है। मेरे ब्लॉग का नया पता है :-
ReplyDeletehttp://hindisarita.blogspot.com
प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है. बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. ***वैलेंटाइन डे की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयाँ***
ReplyDelete-----------------------------------
'युवा' ब्लॉग पर आपकी अनुपम अभिव्यक्तियों का स्वागत है !!!
bhaiya.... kuchh naya milega...???
ReplyDeleteaajkal aapko yaad dilana padta hai ki kuchh naya post kariye...16 din ho gaye.
ab fir se main aapko koi calculation nahi batana chahta pehle ki tarah... :(
:(
bahut hi badhiya Arsh.
ReplyDeleteToday I visited your blog for the first time.
I got the link in the mail that you replied.
Too Good....aur yaar, ek baat batao, how do you get so many comments...How??
Mujhe bhi batao..
Aur kabhi hamare blog par bhi aaiyega..
Http://tanhaaiyan.blogspot.com
And e-mail subscription se copy karne ka chakkar nahin rehta?? Maine pehle lagaya tha, par abhi 2 din se haTaa diya...
Arsh,
ReplyDeleteI don't write for comments. But was surprised to see the number of comments on your posts. I wanted to know, how so much of traffic comes to your blog. I know, you write very well. Would like to have chat with you. Please meet me online.
अर्श
ReplyDeleteबहुत दिनो से ये सवाल मेरे मन मे था। सोच रहा था के किस से पूछूँ
आपका गीत पढ़ा तो लग रहा है आप ही सब से उपयुक्त व्यक्ति हैं इस के लिये
गज़ल और गीत में क्या फर्क होता है
गज़ल तो इस प्रकार होती है
काफिया
काफिया
xxxx
kaafiya
xxxx
kaafiya
xxxx
kaafiya
.
.
.
and so on...
what's the pattern in a geet.
Please do reply, if possible by e-mail
yogesh249@gmail.com
aapki post par aakar wapas jane ka man nahi karta.....kisi din fursat mein sabkuch padegay. abhi to sirf itna hi kahegay ki
ReplyDelete" ITNA ACHCHA LIKHNGAY TO KAHA JAYEGA
HUM CHAAH KER BHI KUCH KAH NA PAYENGAY "
फिर-फिर पढ़ा, फिर-फिर अच्छा लगा भाई जीओ!
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