के सामने है ... आप सभी के प्यार औरआशीर्वाद का आकांक्षी हूँ ....
ये मुख़्तसर सी जि़ंदगी है क्या करे कोई ।
है सांस आखिरी बची दुआ करे कोई ॥
घुटन है जिन्दगी ये फिर भी जी रहा हूं मैं ।
क्युं आखिरी में बात बेमजा करे कोई ॥
मिले हैं मौत से तो झूम कर के हम गले ।
बला से अपने जिन्दगी कहा करे कोई ॥
यकीन है वो आयेगा जरूर लौट कर ।
उसीके इन्तजार में जिया करे कोई ॥
कला तो सीखते हैं जिन्दगी की सब यहां ।
अदब से मौत का भी सामना करे कोई ॥
किसे रहे थे अर्श ढूंढ ख्वाब में भला ।
ये नींद टूटने पे क्या पता करे कोई ॥
प्रकाश'अर्श'
२९/०२/२००९
है सांस आखिरी बची दुआ करे कोई ॥
घुटन है जिन्दगी ये फिर भी जी रहा हूं मैं ।
क्युं आखिरी में बात बेमजा करे कोई ॥
मिले हैं मौत से तो झूम कर के हम गले ।
बला से अपने जिन्दगी कहा करे कोई ॥
यकीन है वो आयेगा जरूर लौट कर ।
उसीके इन्तजार में जिया करे कोई ॥
कला तो सीखते हैं जिन्दगी की सब यहां ।
अदब से मौत का भी सामना करे कोई ॥
किसे रहे थे अर्श ढूंढ ख्वाब में भला ।
ये नींद टूटने पे क्या पता करे कोई ॥
प्रकाश'अर्श'
२९/०२/२००९
अदब से मौत का सामना .
ReplyDeleteक्या बात है लाजबाब
bahut hi achhi gazal hai.
ReplyDeletesecond line or last third line sabse achhi lagi.
:)
kala to seekhte hain........................
ReplyDeletebahut sunder rachna, sabhi sher daad ke kabil. mubarak.
bahut achhi
ReplyDeleteशुक्रिया अर्श भाई बहुत दिनों बाद नज़र आए लेकिन आपने पिछले दिनों की सारी कसर निकाल दी। बहुत ख़ूबसूरती से कही गई ग़ज़ल
ReplyDelete"कला तो सीखते हैं ज़िन्दगी की सब यहाँ
अदब से मौत का भी सामना करे कोई।"
भाई अर्श आपका फिर से एक बार कायल हुआ
बहुत ही सुंदर कविता, हर शव्द निखरा हुआ सा.
ReplyDeleteधन्यवाद
कई दिनों तक आ नहीं पाया, माफ़ कीजियेगा|
ReplyDelete"क्यूँ आखिरी में बात बेमजा करे कोई" बहुत उम्दा|
हरेक शेर गौर करने लायक है|
bahut lajawab badhai
ReplyDeletelajawab...........har sher bahut sundar hai.........dil ko chuta hua.
ReplyDelete'कला तो सीखते हैं...अदब से मौत का ....'
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है अर्श आप ने.
[post a comment box mein jo message likha hai us mein prerna strot mein spelling correct kar len. 'strot 'honi chaheey--yahan 'shrot' dikh raha hai. :)]
कला तो सीखते हैं जिन्दगी की सब यहां,
ReplyDeleteअदब से मौत का भी सामना करे कोई।
बहुत खूब अर्श जी वाह-वाह बढ़िया है...।
एक अच्छी ग़ज़ल के लिये बधाई
ReplyDeleteReally good....
ReplyDeleteder aaye magar durust aaye...mazaa aa gyaa..padh kar ...congratulations.
एक और सुन्दर गजल के लिए साधुवाद.
ReplyDeleteबहुत अच्छे अर्श जी
ReplyDeleteक्या खूब ग़ज़ल है, गुरु जी ने तो इसमें और चार चाँद लगा दिए हैं.
lajawaab
जब खुद गुरू जी ने तारीफ़ कर दी है अर्श जी,तो हमारी बिसात क्या...जलन हो रही है आपसे। हमारी गज़लों को कभी बधाई नहीं मिलती है गुरू जी से....
ReplyDeleteसारे शेर लाजवाब और ये "मिले हैं मौत से गले.." वाला अंदाज़ तो जबरदस्त है
आप सभी पाठकों और ब्लागेर बन्धुवों को मेरा नमन के आपका प्यार और आशीर्वाद मुझे mila इस रिसेशन के वक्त भी ....बात सही कही है आपने गौतम जी मेरे ब्लॉग पे आज गुरु जी मेरे प्रभु आये इससे बढ़कर मेरे लिए और कुछ हो ही नहीं सकता है ...मेरे तो जीवन सफल हो गए...मगर जलन वाली kya बात् है भाई जी आप तो खुद ही बिशिष्ट हो ... और आप पे भी गुरु जीका तो आशीर्वाद बना हुआ ही है .... आप उनके सबसे प्रिय शिष्यों मेसे एक हो... मैं तो एक्लाब्या ठहरा...मेरी kya मजाल ....
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ReplyDeleteयार ग़ज़ल तो बहुत सुन्दर बन पड़ी है, बधाई के पात्र हो!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
Wah Arsh ji aapki gazal padhi
ReplyDeleteek ek sher par dil wah kar utha
kamaal ke sher kahe hain
bahut bahut badhayi apako
अर्श भाई बहुत ही सुन्दर गजल
ReplyDeleteअदब से मौत का सामना -- वाह क्या बात कही है
हर बार की तरह अतिउत्तम
... प्रभावशाली गजल!!!
ReplyDelete"अदब से मौत का भी सामना करे कोई ......"
ReplyDeleteवाह हुज़ूर !
ख़याल की उम्दा उड़ान और लहजे में ऐसी सच्चाई .......
इससे कहते हैं गुरु-जन की दुआओं का असर , मुबारकबाद कुबूल करें .. .. . .
---मुफलिस---