Sunday, February 7, 2010

न जाने नया साल क्या गुल खिलाए...

मुहब्बत के लिए कोई मौसम , कोई दिन निश्चित कर दी जाए पूरी तरह से गलत बात होगी ... बसंत आगया और मुआ वो एक खास दिन भी जिसके लिए जाने कितने लोग इंतज़ार करते हैं मगर क्या सिर्फ एक दिन ही वो खास है ? फाग का महीना खुद अपने आप में मदहोशी से परेशान करने पर आमादा है .... और इसी कशिश में कुछ दिन पहले चले गुरु जी के आश्रम में तरही के लिए मेरी ग़ज़ल को सभी ने बहुत प्यार दिया एक बार फ़िर आप सभी के सामने रख रहा हूँ स्नेह आशीर्वाद के लिए .... मिसरा था --- जाने नया साल क्या गुल खिलाए !


हवाओं में खुश्बू ये घुल के बताए
वो खिड़की से जब भी दुप्पटा उड़ाए

मचलना बहकना शरम जैसी बातें
ये होती हैं जब मेरी बाहों में आए

उनीदी सी आँखों से सुब्ह कोई जब भी
मेरी जां कहके मेरी जां ले जाए

अजब बात होती है मयखाने में भी
जो सब को संभाले वही लडखडाए

वो शोखी नज़र की बला की अदाएं
ना पूछो वजह क्यूँ कदम डगमगाए

वो हसरत से जब भी मुझे देखती है
मुझे शर्म आए मुझे शर्म आए

नज़ाकत जो उसकी अगर देखनी हो
मेरे नाम से कह दो मुझको बुलाए

शरारत वो आँखों से करती है जब भी
मेरी जान जाए मेरी जान जाए

मुझे जब बुला ना सके भीड़ में तो
छमाछम वो पायल बजा कर सुनाए

उम्मीदों में बस साल दर साल गुजरे
जाने नया साल क्या गुल खिलाए



अर्श

35 comments:

  1. उम्मीद पर तो दुनिया कायम है . ....... बहुत सुन्दर गज़ल

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  2. bahut hi achha likha hai bhaiya...
    pehle she'r se hi pyaar jhalak raha hai...
    sharm, nazaakat, adaa or mohabbat sab kuchh hai isme... or ummeed bhi....

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  3. उनीदी सी आँखों से ------ वाह क्या बात है
    वो शोखी नज़र की --------
    नज़ाकत जो उसकी------- इस बार तो तुम्हारी गज़ल ने कमाल कर दिया है
    वो हसरत से जब मुझे ------ ये तुम्हारी शर्म कब जायेगी????????
    मचलना बहकना ------------------ ओह तो बात यहाँ तक पहुँच गयी है । आप सब लोग बताओ कि अब मुझे क्या चिन्ता नही होगी? सुबीर जी आपका लाडला बिगड गया है अगर आप सब की इज़ाज़त हो तो अपनी राय इस बारे मे जरूर दें। बहिन कंचन तो जरूर खुश हो रही होगी--- चलो तो सब तैयार हो जाओ कपडे सिलवा लो --- समझ गये ना????????
    अरे बेटा तेरे लक्षण बता रहे हैं कि अब तेरा कुछ बन्दोबस्त करना ही पडेगा मैं जाती हूँ बैंड वाले को साई देने। कम से कम इतनी बात बढने से पहले कुछ बता तो दिया होता? कुछ बलाएं ले लेती यहाँ नज़र लगाने वाले बहुत हैं । गजल तुम्हारी इतनी खूबसूरत है तो वो कितनी खूबसूरत होगी सोच रही हूँ । इस गज़ल के लिये क्या कहूँ----- लाजवाब--- नही नही---- सुन्दर--- नही---उमदा भी नही-- बेहतरीन भी नही तो क्या कहूँ?????? माईँड ब्लोईन्, एक्सेलेन्ट । बस ऐसे ही लिखते रहो । सुबीर जी ने अच्छे से तराशा है तुम्हें ---ओह सुबीर के साथ जी लग ही जाता है ---- सुबीर कितना भी मना करें तो सुबीर को ही हुक्म देती हूँ इस लडके का बन्दोबस्त करें अब । दोनो को बहुत बहुत आशीर्वाद्

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  4. kul mila kar behatareen, last ka hi sabse jaandaar hai. badhaai.

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  5. ओह तो क्या अब फिर से वही प्यारी प्यारी बाते कहानी पड़ेंगी जो पहले भी कह चुके है :?)
    क्यों नहीं इस गजल को जितनी बार पढ़वाइयेगा उतनी बार कहेंगे
    अब तो वैसे भी १४ फरवरी और भी पास आ रही है :)

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  6. .....बहुत खूब,प्रसंशनीय!!!!

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  7. बसंती ग़ज़ल ने तो आप का ब्लॉग भी अपने रंग में रंग दिया ..क्या बात है..
    बहुत खूब ग़ज़ल कही है...बसंती ...बसंती.,..

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  8. आज फिर से पढ़े तो अहसास कुछ नया सा हुआ है. बात ही कुछ ख़ास है इस ग़ज़ल में.

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  9. Shabda nahi mere pass kuchh kahne ko,,,
    bhai prakash jee......aap by profession kya hain...aapki gajal ne to dil-dil-dil-dil...kya kahun samjh me nahi aata.
    pls. visit my blog:
    http://ravirajbhar.blogspot.com

    Thanks

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  10. Waah sakha
    mayakhane wala sher kamaal

    nazaqat .......... ahaaaaaaaaaaa

    puri gazal hi bahut meethi

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  11. agar ek sher ki tareef karenge aur doosre ko chod denge.....to wo naaraz ho jayega...nahi kar paayenge partial behavior ham....aur han....Naya saal zaroor gul khilayega :-)

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  12. अजब बात होती है मयखाने में भी
    जो सब को संभाले वही लड़खड़ाए
    मुझे जब बुला न सके भीड़ में तो
    छमाछम वो पायल बजा कर सुनाये.
    वाह! क्या बात है!
    पढ़कर आनंद आ गया.
    महावीर शर्मा

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  13. वाह गुल तो आपकी ये रचना खिलाएगी......
    बहुत ही सुन्दर.....

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  14. gul khil rahe hai
    aur hum mahak rahe hain :)

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  15. प्रकाश जी ... ये खूबसूरत ग़ज़ल दुबारा पढ़ कर भी उतना ही मज़ा आ या जितना पहली बार आया था .... पर आज वो सब नही लिओखूँगा जो पहले लिखा था ... बस आपका ये दिलकश अंदाज भी भा रहा है .... आज तो वेलेंटाइन डे है .... शेरों को हक़ीकत में बदल दो ....

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  16. वाह अर्श जी , किस किस शेर की तारीफ़ करूँ , सभी क़यामत लिए हैं ...
    नजाकत जो उसकी अगर देखनी हो
    मेरे नाम से कह दो मुझे बुलाये ...
    शरारत वो आँखों से करती है जब भी
    मेरी जान जाए मेरी जान जाए ....

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  17. आनंद आ गया पढ़कर ...बहुत अच्छी गज़ल.

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  18. सुन्दर गज़ल है अर्श जी.

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  19. ओये-होए .....दिल को गुदगुदा देने वाले शे'र .....ये फाग का महीना क्यों कुर्ती जलाये ....?????

    सभी एक से बढ़ कर एक ......तो क्यों न सराहा जाये ......

    ये होती हैं जब मेरी बाँहों में आये ......ओये होए ......गुरु जी अब तो फेरे लगवा ही दीजिये ......कोई "मेरी जां" पुकार ले लड़खड़ाने से पहले .... .!!



    (और हाँ आपकी उस एक पंक्ति ने मुस्कुराहट ला दी ....सच कहा आपने ....एक ही बार मरने से अच्छा है तड़प तड़प कर मरा जाये दर्द के साथ ....वाह -वाह ...क्या बात कही ....जिसने दर्द का मज़ा न लिया उसने क्या जिया ......बहुत खूब .....आपकी बात का ध्यान रखा जायेगा ......!!)

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  20. लो जी, हम भी आ गये फिर से ग़ज़ल का लुत्फ़ उठाने...किंतु ये तो बताओ कि उस खास दिन को कुछ किया भी कि शेर ही बुनते रहे उस दिन भी....

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  21. अर्श भाई जन्मदिन की हार्दिक बधाई

    तोहफा यहाँ जा कर कबूल करिये

    http://venuskesari.blogspot.com/2010/02/blog-post_26.html

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  22. बहुत सुंदर रचना .. जन्‍मदिन की बधाई और शभकामनाएं !!

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  23. जन्म दिन.....????

    मनाया नथ वाली के साथ ....?????

    शुभकामनाएं ....!!

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  24. Behad sundar gazal...maza aa gaya!
    Holi mubarak ho!

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  25. आपको और आपके परिवार को होली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ ...

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  26. बडे दिनों बाद यहां आना हुआ है. जब भी अनुभूतियों की कमी हो जाती है दिल में, यहा चला आता हूं, भीग जाता हूं . धन्यवाद.

    होली की शुभकामनायें.

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  27. shukria ,
    haan in dinon main waqt par post nahin kar paa rahi hoon lekin aap log yaad karte hain ye sukun ki baat hai.
    aapki gazal saanse shairana... aur adhjali bidi bahut umda lagin.

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  28. अर्श भाई आपके नाम सम्मान जारी किया जा रहा है ७ फरवरी के बाद से आपने कोई पोस्ट नहीं लगाई है
    ४८ घंटे के अन्दर पोस्ट लगाईये

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  29. मचलना बहकना शरम जैसी बातें
    ये होती हैं जब मेरी बाहों में आए ॥

    प्लीज़ अर्श भाई आइन्दा ऐसा शे'र मत लिखना . आप तो लिख डालते हो,पढने वाले के दिल बेचारे का हाल क्या होता होगा? सच कह रहा हूँ, शे'र बड़ी देर तक गुद गुदाता रहा, गुजु-गुजु वाला एहसास, कोई और शब्द भी तो नहीं है.बेहतरीन शे'र इसलिए ही 'वो' शब्द चाहता था, कहीं न कहीं.
    सातवां शे'र भी उफ्फ्फ...
    कोई इश्क में न हो तो ऐसा नहीं लिख सकता बताओ कौन है वो? अब ये मत कहना कि हम 'मधुशाला' वाले हरीवंशराय हैं.
    ऐसे शे'र हैं सब के सब कि सामने चित्र सा बन जाता है, दिल के मारों को पढने की मनाही होनी चाहिए ये ग़ज़ल. गलत बात.

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  30. अरे हाँ जन्म दिन की ढेरों शुभकामनाएं

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  31. 48 घंटे बीत चुके हैं अब आपको मिला समय समाप्त हो चुका है

    कल आपके जुर्म की सजा सुनाई जायेगी

    वीनस :)

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  32. अभी आपकी आवाज के फैन बनकर इधर आए और इधर आकर आपकी लेखनी के भी वो अनुराग जी का कहना बडे वाले फैन हो गए।

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...