Tuesday, September 21, 2010

प्यार जब है तो क्यूँ छुपाते हो ...

और फिर इस वायदे के साथ की नयी ग़ज़ल लगाऊंगा एक हल्की फुल्की ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ , हालाँकि ये अभी तक गुरु जी के द्वारा इस्लाह नहीं की गयी है , बहन ( कंचन)जी के बार बार कहने पर लगा रहा हूँ !! बगैर किसी विशेष भूमिका के ग़ज़ल हाज़िर कर रहा हूँ ! उम्मीद करूँगा गलतिओं को इंगित करेंगे और परामर्श देंगे !
गुरु जी के इंतज़ार में इस विश्वास के साथ की वो जल्द अपनी परेशानियों से बाहर आजाएं !!


दर्द तुम बे-वजह बढाते हो !
प्यार जब है तो क्यूँ छुपाते हो !!

अब तो हिम्मत जवाब दे देगी ,
जिस तरह मुझको आजमाते हो !!

क्या हवाओं ने तुमको चूमा है ,
अब नज़र हर तरफ जो आते हो !!

आ भी जाओ की दिल नहीं लगता ,
तुम बड़े वो हो रूठ जाते हो !!

क्या कोई आस-पास बैठा है ,
बात करने में क्यूँ लजाते हो !!

इश्क में डूबी अपनी आँखों का ,
बोझ यूँ कैसे तुम उठाते हो !!

ज़िंदगी तयशुदा नहीं होती ,
अर्श क्यूँ इसको भूल जाते हो !!

33 comments:

  1. अच्छी पंक्तिया लिखी है ...

    इसे भी पढ़े और कुछ कहे :-
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/86.html

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  2. क्या बात है भाई .... बहुत उम्दा .... बहुत बढ़िया !!

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  3. बहुत अच्छी गज़ल कही...खूबसूरत शेर

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  4. ohho...kya likha hai!!arsh ji bahut dino baad dastak di aapne..

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  5. अब कौन रूठ गया मेरे बेटे से? मुझे बताओ उसकी खबर लूँ। तो आजकल इश्क के चक्कर मे हो? अब इस से आगे बढो मैं भी जाने से पहले बहु का मुँह देख लूँ।
    ज़िन्दगी तय शुदा नही होती
    अर्श ये क्यों भूल जाते हो
    बिलकुल सही कहा। पूरी गज़ल लाजवाब है,किस किस शेर की बात करूँ। बहुत बहुत आशीर्वाद।

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  6. हमारे मुँह से तो 'वाह-वाह' ही निकलती है पढ़कर

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  7. 'ज़िन्दगी तयशुदा ………' बहुत ख़ूब!

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  8. खूबसूरत शेर......... Mukarara.........

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  9. Nirmlaa jee
    yun kahiye ,
    zindgee tay shudaa nahin hotee ,
    arsh , tum kyon ye bhool jaate ho
    Arsh jee , aapke sheron mein nikhar hai.
    Mubaarak .Isee zameen par mere chand sher bhee
    suniye -
    hum kahan unko yaade hain
    bhoolne waale bhool jaate hain

    muskraahat hamaaree dekhte ho
    hum to gam mein bhee muskraate hain

    koee khaaye n khaaye khauf unkaa
    hum bujurgon kaa khauf khaate hain

    jhooth ka kyon n bolbaalaa ho
    log sach kaa galaa dabaate hain

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  10. अर्श जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है...
    हर शेर साफ़...
    संदेश भरे...
    बधाई.

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  11. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल.....बधाई

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  12. क्या हवाओं ने तुमको चूमा है ,
    हर तरफ तुम ही नज़र आते हो !!


    बहुत खूबसूरत गज़ल

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  13. बहुत सुन्दर ग़ज़ल । हर पंक्ति प्रेम में भीगी हुई , सुन्दर एहसास जगाती हुई...

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  14. लाजवाब ग़ज़ल अर्श मियाँ...बेहतरीन, बेमिसाल, गज़ब के शेर। खास तौर पर वो ’कोई आस-पास’ वाला बहुत भाया। कितनी फोन-काल्स की याद आ गयी :-)

    दो मिस्रों को देख लेना फिर से। तनिक वजन पे भटक रही हैं..
    एक तो "हर तरफ तुम ही नजर आते हो" वाला और दूसरा "इश्क में डूबी हुई आखों का" वाला। डूबी का ’बी’ तो गिर सकता है लेकिन "हुई" का ’हु’ को क्या हम उठा सकते हैं? मुझे दुविधा है।

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  15. अर्श जी,
    गज़ल बेहतरीन बनी है और हर शेर अपना अहसास करा रहा है……………
    क्या हवाओं ने तुमको चूमा है
    हर तरफ़ तुम ही नज़र आते हो

    वाह इसमे तो भावनायें खूब उतर कर आयी हैं………………काफ़ी रोमांटिक गज़ल है।

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  16. venus kesari to me
    show details 11:51 PM (18 hours ago)

    अर्श भाई नमस्ते,

    बढ़िया गज़ल लिखी है :०)

    मगर ये क्या बिना इस्लाह के पोस्ट कर दी ... गलत बात :)

    मतला दिल को छू गया
    और मतले पर विचार करने के बाद मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ

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    अर्श भाई .............
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    आई लव यूं :)

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    आपका वीनस केसरी

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  17. वाह!! बहुत बेहतरीन....

    जिन्दगी तयशुदा नहीं होती...क्या बात है

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  18. ये सादाबयानी वाली गज़ल तुम्हे पता है कि मुझे बहुत पसंद आई है। कितने दिन मेरी जी चैट का स्टेटस रही है ये।

    दर्द तुम बेवज़ह बढ़ाते हो

    ये मिसरा ही बहुत सुंदर है। एक भोली सी शिकायत।

    अब तो हिम्मत जवाब दे देगी,
    जिस तरह मुझको आजमाते हो।


    बहुत सारा प्यार समेटे ये टूटती साँसों सा शेर।

    क्या हवाओं ने तुमको चूमा है,
    हर तरफ तुम ही नज़र आते हो।


    ये खालिस रूमानी और वो रूमानियत जो अर्श की अपनी स्टाइल है।

    आ भी जाओ कि दिल नही लगता,
    तुम बड़े वो हो रूठ जाते हो।


    बहुत ही सादा और बहुत ही मारक

    आखिरी शेर जो मैने इसी पोस्ट पर पढ़ा, जो तुमने वो मुझे सुनाया नही था।

    जिंदगी तयशुदा नही होती....

    कोई नई बात नही कही तुमने, मगर कही ऐसे कि कई बार कोट किया जा सकता है इसे।

    बधाई बधाई बधाई.....!!

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  19. सुनो इश्क में डूबी इन आँखों का बोझ ..तुम कैसे उठाते हो...!.


    .....हाय इसे यूँ कहने का मन हुआ ......ओर एक शायर की इज़ाज़त के बगैर आज कही इस्तेमाल भी कर लेगे .....

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  20. बहुत ही खूबसूरत गज़ल....
    "जिंदगी तयशुदा नहीं होती" बात को कहने का अलग ढंग...लाजवाब!

    शुभकामनाएं....

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  21. "बात किस की कहें ग़ज़ल तेरी,
    इश्क ज़ाहिर है क्यों छिपाते हो?"

    अर्श भाई, मुहब्बत में डूबी ग़ज़ल है, और ये प्रेरणा कहाँ से आई, आपकी श्रद्धा, आस्था, निष्ठां और ना जाने क्या क्या पे मुझे संदेह नहीं है मगर अपनी भावना को लफ़्ज़ों में पिरो के असलियत में छिपाओ नहीं.

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  22. क्या हवाओं ने तुमको चूमा है...क्या बात है...
    हर तरफ अब नजर जो आते हो...

    क्या कोई आस पास बैठा है...?
    कितना ज़ालिम शे'र है कमबख्त..



    ऊपर से पढ़ते हुए जो लुत्फ़ छः शे'रों का उठाया ...
    वो मक्ते पर आकर ठिठक गया है....



    जिंदगी तयशुदा नहीं होती...ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़


    जैसे कोई सुंदर सपना देखते हुए झिंझोड़ कर जगा दे.....

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  23. :)

    thanks...

    क्या हवाओं ने तुमको चूमा है...क्या बात है...
    हर तरफ अब नजर जो आते हो...

    क्या कोई आस पास बैठा है...?
    कितना ज़ालिम शे'र है कमबख्त..



    ऊपर से पढ़ते हुए जो लुत्फ़ छः शे'रों का उठाया ...
    वो मक्ते पर आकर ठिठक गया है....



    जिंदगी तयशुदा नहीं होती...ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़


    जैसे कोई सुंदर सपना देखते हुए झिंझोड़ कर जगा दे.....

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  24. कई सन्देश देती गजल बधाई |मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार
    आशा

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  25. bahut khub...
    मेरे ब्लॉग पर इस बार ....
    क्या बांटना चाहेंगे हमसे आपकी रचनायें...
    अपनी टिप्पणी ज़रूर दें...
    http://i555.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.html

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  26. आ भी जाओ की दिल नहीं लगता
    तुम बड़े वो हो रूठ जाते हो.......
    हासिले ग़ज़ल शेर ...
    वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही उम्दा मगर यह शेर दिल लूट ले गया

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  27. बहुत ही खुबसूरत ....!

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...