नवमी की सभी को शुभकामनाएं और बधाईयाँ ! ये गीत गुरु देव को समर्पित करते हुए आप सभी के सामने रख रहा हूँ !उनकी बमुश्किल परेशानियां जीतनी जल्दी ख़त्म हो बस इसी की प्रार्थना करता हूँ ! तरही का मौसम आ गया है , मिसरा मिल चुका है(जलते रहें दीपक सदा काइम रहे ये रौशनी ) और उम्मीद करता हूँ सभी जोर शोर से उसकी तैयारी कर रहे होंगे ... बहुत पहले ये गीत लिखा था सोचा आप सभी के साथ बाँट लूँ .... अब आप सभी के सामने है ....
क्यूँ मेरे प्यार को ठुकराया था इस , सोच में हूँ !
क्या ख़ता थी मेरी यह मुझको बता कर जाते !
मैंने तो प्यार को सज़दे की तरह माना था ,
शक्ले इंसान में भी तुमको खुदा जाना था ,
क्या कोई गल्त बात मुझमे लगी थी तुमको ,
बात ये थी तो कोई दाग़ लगा कर जाते ....
क्या ख़ता थी ....
तुम्हारी याद मेरी धडकनों का हिस्सा है ,
तलब तुम्हारी जैसे आज का ही किस्सा है ,
तुम्हीं रगों में मेरी खूं के साथ बहते हो ,
अपने हिस्से से मुझे खुद ही जुदा कर जाते ...
क्या ख़ता थी ....
चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
पायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ....
क्या ख़ता थी ....
तुम्हारी फिक्र लगी रहती है मुझे अब भी ,
दुआओं को मेरे ये हाथ हैं उठे अब भी ,
तुम बहुत दूर हो मैं जानता हूँ फिर भी ये ,
पास आकर मुझे एक बार जता कर जाते ....
क्या ख़ता थी.....
क्यूँ मेरे प्यार को ठुकराया था इस ,सोच में हूँ !
क्या ख़ता थी मेरी यह मुझको बता कर जाते !!
अर्श
अर्श जी,
ReplyDeleteएक बार फिर गहरी चोट की है……………कितना दर्द भर दिया है जो रूह मे उतर रहा है………वो दर्द , वो कसक , वो चाहत हर जज़्बा जैसे खुद-ब-खुद बयान हो रहा है्……………बेहतरीन गीत क्योंकि दिल तक पहुँच रहा है।
एक लहर तड़प की ज्यूँ लफ्जों में गुजर गयी.....
ReplyDeleteregards
दर्द की दास्तान ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत है अर्श जी,
ReplyDeleteतुम्हारी फ़िक्र.........
दुआओं को मेरे........
जज़्बात ओ एह्सासात की ख़ूबसूरत अक्कासी
प्रेम की वेदना को अभिव्यक्त करता एक हृदयस्पर्शी गीत... बहुत ही प्रभावशाली रचना।...अर्श जी,एक निवेदन करना चाहूंगा, सोंच की सही वर्तनी सोच है, अनुस्वार हटा दीजिए...आभार।
ReplyDeleteक्यों मेरे प्यार को ठुकराया ........
ReplyDeleteशायद इस यक्ष प्रशन का उत्तर कभीं नहीं मिलेगा..
भावपूर्ण
“दीपक बाबा की बक बक”
आज अमृतयुक्त नाभि न भेदो
चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
ReplyDeleteपायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ....
दिल को छू गया ये गीत...बधाई.
क्या बात हे आप ने आहो से सजा दी अपनी गजल, धन्यवाद
ReplyDeletebahut man se likha gaya samvedansheel geet....
ReplyDeleteबहुत अच्छा गीत है मन को भा गया
ReplyDeleteकभी यहाँ भी आये
www.deepti09sharma.blogspot.com
bahut acche dost
ReplyDeletemujhe prem geet bahut pasand hai
aap ki mahak hindustan ki galiyo me jaroor failegi
दर्द बोला तो सुनाई भी दिया .
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल....
ReplyDeleteऐसा क्यूँ मेरे मन में आता है..
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (18/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
ये जरूरी तो नहीं कि प्यार ठुकराया गया
ReplyDeleteकुछ तो मजबूरी रही जिसको नहीं तू जानता
सामने तेरे कोई कारण भले न आये पर
बेवफा वो है नही इक बार तो ये सोचता।
दर्द की अभिव्यक्ति ----प्रभाव पूर्ण ।
ReplyDeleteजाते तो कोई दाग लगा कर जाते ...
ReplyDeleteप्रेम में इस तरह की तोहमतें स्वीकार करने का जूनून हैरतअंगेज और दुर्लभ है वरना तो आजकल ....
खूबसूरत ग़ज़ल ..!
aapka koi vaar kabhi khali nahi ja sakta...beautiful!
ReplyDeletebahut achhi prastu
ReplyDeleteहर शब्द में एक टीस छुपी हो जैसे...
ReplyDeleteअनजानी कसक से भरा बड़ा प्यारा सा गीत है.
हूं ..... गीत तो कह रहा है कि कहीं कुछ ऐसा है जो ज्ञात करने लायक है । खैर बहुत अच्छी तरह से अभिव्यक्त किये गये हैं भाव । पूरा गीत दर्द की रागिनी बन कर बह रहा है । शब्द शब्द में पीर की अंत:सलिला प्रवाहित है । सुंदर ।
ReplyDeleteजिसकी याद में लिखा है उनका नाम भी लिख देते तो अच्छा होता.
ReplyDeleteये गीत लगता है जब आप नौजवान थे तब के दिनों का है अब तो उम्र बढ़ गयी है.
बेमिसाल दर्द और उसकी दास्ताँ क्या करें अगर बता कर ही जाते तो ये दर्द कैसे उभरता
ReplyDeleteएक बहुत ही दर्द भरा एहसास लिए
ReplyDeleteआंसुओं की लड़ी-से पिरोये हुए अलफ़ाज़ ...
गीत याद आ गया अचानक
मेरी कहानी भूलने वाले तेरा जहां आबाद रहे....
गीत बहुत ही प्रभावशाली है
आपकी मधुर आवाज़ में सूना जाएगा ,, कभी....
चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
ReplyDeleteपायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ...
aapki ye kawita padh kar Ek sadabahar gajal yad aa gaee
Ranjish hee sahee dil hee dukhane ke liye aa.
Aa fir se muze chod ke jane ke liye aa..
Bahut sunder.
गुरू जी!
ReplyDeleteआप की टिप्पणी.. ???? समझ ही रहे होंगे कि कितनी बुरी तरह जलन हो रही होगी मुझे ?
वैसे मुझे खुद बहुत अच्छी लगी थी, बहुत साफ मन से लिखी हुई पाक़ सी भावना के साथ।
@अंकित ! वो आशिक़ ही क्या, जो नाम लिख कर किसी को बदनाम कर दे ?
और जब आप नौजवान थे से तुम्हारा क्या मतलब है ? क्या मेरा भाई बूढ़ा हो गया है ???
bhavpurna rachana
ReplyDeleteyaha bhi aye
ek ek shabad dil ko cheerta chala gaya .... Arsh kafi dino ke baad padha aapko ...
ReplyDeleteचूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
ReplyDeleteपायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ....
वाह क्या गीत है। पर चूडियों की खनक और्र पायल की रुनझुन तभी तो याद है जब उसने प्यार दिखाया होगा? जता कर गया है तभी तो भूल नही पाते। वैसे मुफ्लिस जी ने सही कहा है इसे अपनी आवाज़ दो। सच कहूँ तो मुझे तुम्हारे दर्द भरे गीत अच्छे नही लगते। अपने बेटे के मुंह से और कलम से प्यार भरे गीत सुनना ही अच्छा लगता है। लिखा बहुत जबस्दस्त है।आशीर्वाद।
अर्श भाई आप को नमस्कार.आप ने जो लिखा है शायद कोई नहीं लिख सकता आप मेरे दूसरे शायर दोस्त बन गए है मेरी दोस्ती को कबूल करिए,आप से पहले मेरे एक और शायर दोस्त है। उनका नाम इमरान प्रतापगढ़ी है। आप के एक एक शब्द में दर्द चुपा हुआ है। कभी मेरे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए.हमे अच्छा लगेगा।
ReplyDeleteआपका दोस्त
रजनीश त्रिपाठी "चंचल"
wwwkufraraja.blogspot.com
अर्श भाई आप को नमस्कार.आप ने जो लिखा है शायद कोई नहीं लिख सकता आप मेरे दूसरे शायर दोस्त बन गए है मेरी दोस्ती को कबूल करिए,आप से पहले मेरे एक और शायर दोस्त है। उनका नाम इमरान प्रतापगढ़ी है। आप के एक एक शब्द में दर्द चुपा हुआ है। कभी मेरे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए.हमे अच्छा लगेगा।
ReplyDeleteआपका दोस्त
रजनीश त्रिपाठी "चंचल"
अर्श भाई आप को नमस्कार.आप ने जो लिखा है शायद कोई नहीं लिख सकता आप मेरे दूसरे शायर दोस्त बन गए है मेरी दोस्ती को कबूल करिए,आप से पहले मेरे एक और शायर दोस्त है। उनका नाम इमरान प्रतापगढ़ी है। आप के एक एक शब्द में दर्द चुपा हुआ है। कभी मेरे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए.हमे अच्छा लगेगा।
ReplyDeleteआपका दोस्त
रजनीश त्रिपाठी "चंचल"
bahot achchi lagi.
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteArsh Je , Bahot sunder gajal
ReplyDeleteसराहनीय लेखन........
ReplyDelete+++++++++++++++++++
चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी