Monday, November 10, 2008

ग़म, आंसू , दर्द .....

ग़म , आंसू , दर्द

यही सारे है

हमदर्द मेरे ।

मिले हैं मुफ्त तो

मुझको

सस्ती - सस्ती तन्हाई

मेरा खजाना तुम गर पूछो

बस उम्र- भर

की

बेवफाई




प्रकाश "अर्श "
१०/११/२००८

8 comments:

  1. सबकी यही कहानी है जनाब-
    ग़म , आंसू , दर्द
    यही सारे है
    हमदर्द मेरे।

    बस सोर्स अलग-अलग हैं।

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  2. har koi kisi ke saath hokar hi tanha hota hai,aur khud se hi bewafa hi,kuch alag si sundar rachana

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  3. मेरा खजाना तुम गर पूछो

    बस उम्र- भर

    की

    बेवफाई
    " wow, what a imaginary of words, impressive"

    Regards

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  4. कुछ ऐसा ही ख़ज़ाना मेरे दिल में है, रचना की भावुकता सरस है!

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  5. क्या बात है!!!! बहुत खूब लिखा है दर्द भी.

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  6. बहुत खूब लेकिन जितेन्द्र की बात भी सही है कि सोर्स अलग अलग हैं

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...