बहरे खफीफ ..............................................आशीर्वाद
२१२२-१२१२-२२....................................गुरु देव पंकज सुबीर जी
मैंने भी दिल लगा लिया यारों।
जख्म पे जख्म पा लिया यारों ॥
मौज फ़िर ज़िन्दगी नही देती ।
जख्म गहरा जो ना लिया यारों ॥
आज ना डगमगा के चल पाया ।
वादा बादे पे था लिया यारों ॥
हादसे और हो गए होते ।
ख़ुद को पत्थर बना लिया यारों ॥
दफ्न कर 'अर्श'लौट जाओ तुम।
रूह तो और जा लिया यारों ॥
प्रकाश'अर्श'
१५/०१/२००९
बादे=शराब ,जा=जगह ।
जैसा कि मैंने पिछली बार लिखा था, आपके सभी ग़ज़लों में दोनों बातें है. एक तो उसका उन्वान, मायना या शैली माशाल्लहा बेहद साफ़सुथरी, मोहक और बिना क्लिष्टता लिये है. साथ ही शब्दों का चयन सही जगह भी कर पा रहे है.
ReplyDeleteमगर सबसे खूबसूरत बात ये है, कि तकनीकी नज़र से भी ये पूरी मुकम्मिल है. इसीलिये, ये पूरी तरह से गेय गज़ल है. इसिलिये आपसे गुज़ारिश है, कि आप तो किसी भी सूरत में इसको धुन में बांधे, और गाने के लिये तैयार रहे> बाकी बात रिकोर्डिंग की तो हम पर छोड दे.
अगर मुझे समय होता तो मुझे इसको धुन में बांधने में खुशी होती.
"जख्म गहरा जो ना लिया यारों" बहुत अच्छे अर्श भाई। दुसरा शेर लजवाब था।
ReplyDeleteग़ज़ल की क्या तकनीक होती है पता नही लेकिन जो पड़ने मे अच्छी लगती है लाइने वह मुझे ग़ज़ल लगती है . अर्श भाई लिखते रहो
ReplyDeleteहादसे और हो गए होते ,
ReplyDeleteख़ुद को पत्थर बना लिया यारों .
अत्यन्त सुंदर एवं ह्रदय स्पर्शी .
क्या बात कही है. गुरुदेव का आशीष स्पष्ट है, बहुत बधाई.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया है भाई. क्या बात है. वाह !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना, बधाई।
ReplyDeletebahut hi badhiya arsh ji . likhate rahiye .
ReplyDeletebahut sunder gazal arsh ji badhai. swapn
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteपत्थर बना लिया अब तो कोई फ़िक्र नहीं होनी चाहिए.लेकिन क्या पत्थर भी संवेदनशील बन सकते हैं. सुंदर ग़ज़ल. शुक्रिया.
ReplyDeleteअर्श भैय्या हम तो दीवाने हो गये....
ReplyDeleteबस दिल से वाह-वाह निकलती जा रही है.
बधाई एक सुंदर-बहुत सुंदर गज़ल के लिये-बहरो-काफ़िया पर कसी हुई गज़ल
क्या बात है अर्श। बहुत अच्छे।
ReplyDeleteहादसे और हो गये होते
ख़ुद को पत्थर बना लिया यारों
वाह!
अर्श साहेब
ReplyDeleteपहली बार ही आपकी साइट पर आया हूं। अब महसूस हुआ कि मैं भी किस किस्म का शख्स हूं जो आज तक इस महफ़िल से महरूम रहा। भई, मज़ा आगया। ग़ज़ल को ग़ज़ल की तरह पढ़ने का मौक़ा मिला। धीरे धीरे आपकी ग़ज़लें पढ़ता रहूंगा। उम्र के साथ आहिस्तगी ने भी अपने पर फैला दिये हैं। यह ज़रूर कहूंगा कि यहां आने पर
ऐसा लगा कि वाक़ई ग़ज़ल से मुलाक़ात हुई है। बधाई।
एक कशिश सी है इस ग़ज़ल में, बहुत बढिया
ReplyDeleteएक भावनात्मक ग़ज़ल के के लिए बधाई,प्रकाश भाई
ReplyDeleteअच्छा शेर है>>>
हादसे और हो गए होते
ख़ुद को पत्थर बना लिया यारो
- विजय
ये बात है अर्श भाई बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसुबीर जी से मैं ज़रूर बात करूंगा के हमारे अर्श को नज़र लगवाओगे इस कम्सिनी में ? हा हा शुभकामनाओं सहित।
ग़ज़ल धर्मिता में निखार स्वाभाविक है, पंकज बाबू आपको ग़ज़लसरा बना के ही दम लेंगे!
ReplyDelete---
भारत का गौरव तिंरगा आपके ब्लॉग पर ज़रूर लगायें, जाने कैसे?
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
अच्छी ग़ज़ल कही है भाई.. स्वीकारें अब खूब बधाई..
ReplyDeletekyonki
जा पे कृपा सुबीर की होई.. वा की ग़ज़लें बेहतर होईं..
Arsh read ur 'shikayat" on my blog ha ha ha ah I am sorry if u felt like this.... may be i could not noticed your postings in time, please do keep writing , my good wishes are always with you"
ReplyDeleteRegards
मैंने भी दिल लगा लिया यारों.... जख्म पे जख्म पा लिया यारों...."
ReplyDelete" एक भावनात्मक प्रस्तुती.... अर्श जी बहुत तरीके से दिल की बात का अंदाजे बयाँ है ....सच ही तो है जख्म का एहसास करना हो तो दिल का लगाना जरूरी है"
Regards
हादसे और हो गए होते ,
ReplyDeleteख़ुद को पत्थर बना लिया यारों!
बहुत उम्दा !
क्या बात है!
बहुत खूब लिखा है..
-ग़ज़ल बहुत सरल होते हुए भी अपना पूरा असर छोड़ रहीहै.
[आप अच्छा करते हो जो उर्दू शब्दों का अर्थ साथ में देते हो--कुछ नए शब्द सीख लेते हैं].
कोन कहता है नये जमाने मे अच्छे शायर नही ??
ReplyDeleteअर्श भाई बहुत ही सुंदर, लजावाब, शॆर कहे आप ने
धन्यवाद
ARSH,AAJ KI LIKHI TAZI RACHNA ,TUMHARA MERE BLOG PAR AANA ZAROORI HAI, RACHNA KA SHIRSHAK HAI "ISHQ" PADHEN AUR ANAND LRN. SWAPN
ReplyDeletebhai arsh ,
ReplyDeleteacchi gazal padhne ke chahat poori hui , ise padhkar . bhai maza aa gaya , subah subah , dil khush ho gaya .. good , very good , bahut badhiya likha hai ... mukjhe saare sher ache lage ..lekin aakhri wala jabasdasht hai ..
wah ji wah
vijay
बड़ी ही दर्द भरी नज़्म लिखते हो ,
ReplyDeleteअभी तो उम्र दराज़ नहीं और ज़ख्मको महसूस भी न किया हो शायद ,
और आन्सुके मोतियों को क्यों जाया करते हो ???
आप तो गज़लों के बादशाह बनते जा रहें हैं. बहुत उम्दा ग़ज़ल है मेरे भाई. बधाई स्वीकार करें मेरा.
ReplyDeletegazal smraat ko mera slaam kis kis gazal ki taareef karoon sabhi lajavaab hai
ReplyDeleteशानदार। मैं आपको पढूंगा।
ReplyDeleteआप सभी पाठकों का दिल से धन्यवाद करना चाहूँगा जो मेरे जैसे अदना के लिए समय निकला और मेरे ब्लॉग पे आए .. और मुझे पसंद किया ..सही कहूँ तो सारा श्रेय मेरे गुरु उस्ताद पंकज सुबीर जी को जाता है जो मुझे ग़ज़ल की बारिकिओं को सिखाते है ..निर्मला जी अभी तो मैं ग़ज़ल सिखने के क्रम में हूँ ग़ज़ल सम्राट कैसे हो सकता हूँ आपने मुझे प्रोत्साहित किया इसके लिए मैं आभारी हूँ .... आप सभी का हार्दिक अभीनंदन करता हूँ अपने ब्लॉग पे ....और यही उम्मीद करता हूँ के आप सभी का प्यार और स्नेह इसी तरह से क्रमशः बना रहे...
ReplyDeleteआभार
आपका
अर्श
Arsh,
ReplyDeletemain ne is ghazal ki dhun samjh li hai..thoda jukaam hai abhi..theek ho jaye phir record karungi :)--Dilip ji sangeet ke gyani hain.unhone sahi kaha..bahut hi pyari aur gayi ja sakne wali ghazal hai..bahut shukriya ki mujhey aap ne is layak samjha..jald hi is ki dhun batati hun.-alpana
हादसे और हो गए होते ।
ReplyDeleteख़ुद को पत्थर बना लिया यारों ॥
सच बहुत सुंदर हर शेर
बादशाह-ए-गजल
भाई के तो क्या कहने......
ReplyDeleteबात ही कुछ और है कहीं दर्द मिलता है
तो कहीं प्यार कहीं जख्म मिलता है तो कहीं हमदर्द
बहुत ही अच्छा लिखा है भाई....
जबरदस्त ग़ज़ल है....
हम भी गुनगुनाना गाना चाहते हैं भाई इस ग़ज़ल को
थे हम जुदा एक अच्छी शायरी से ,
ReplyDeleteशुक्र की हमने अर्श को पा लिया यारो
bahut hi sundar....
ReplyDeleteWonderfull shayeri...........
ReplyDeleteguru ji ke aashirvaad se painaa pan aata jaa rahaa hai
mast...bahut achha hai,padh kar kuch kho se gaye.itna acha jo likha hai aapne..eu hi likhte tahiye.samay mile to hamare blog par bhi visit kare.
ReplyDeleteनही दोस्त आज भी आखिरी शेर सबसे बेहतर लगा.......
ReplyDeleteउम्दा रचना..
ReplyDeletebhai nai rachna ka intzar hai. swapn
ReplyDeleteअर्श जी क्या बात है काफी दिन बीत गए कुछ नया नही लिखा खैरियत तो है न भाई साहेब .शुभ कामनाएं
ReplyDeleteवाह अर्श भाई वाह बढिया ग़ज़ल, पिछले दिनों कुछ अस्वस्थ होने के कारण आपको पढ़ नहीँ पाया। आपकी ग़ज़ल पढ़्कर आनंद आया
ReplyDeletekya baat h bhaiya... kya hua..???
ReplyDeletedus din ho gaye blog suna pada h..
roz aa kar bina kuch padhe khali lautanaa pad rha h.... :(
अर्श जी
ReplyDeleteआपको बहुत- बहुत बधाई.
आपकी लेखनी में लगातार निखार आता जा रहा है
बहुत खूब.
Gantantra Divas ki Hardik Shubh-kaamnayein...
ReplyDeleteJai Hind...!!!
:)
are bhai patthar hi bane rahoge kya?
ReplyDeletebhaiya....!! kya baat hai..???
ReplyDeletesab kuchh theek to hai na...??
aaj fir se khali haath lautna pad raha hai...
12 din ho gaye hain...
matlab ki aapke blog par aane ke lag-bhag do minute roz ke toh 12*2=24 min.
teen comments ke 3+2+10=15 min.
to kul milaakar 24+15=39 min. ka input
or output = 000000.000000
:((
:((
क्या खूब लिखा है आपने वाह!
ReplyDeletearsh ji if everything is alright na,plz tell
ReplyDeleteअच्छी रचना के जिये साधुवाद स्वीकारें.
ReplyDeleteकाफी अच्छी लिखी है .. अच्छी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteमैंने भी दिल लगा लिया यारो
ReplyDeleteज़ख्म पे ज़ख्म प् लिया यारो
वाह वाह अर्श जी ....! बहुत अच्छे... !
Bhai Prakash 'Arsh'ji namaskar,
ReplyDeleteAaj pahali bar aapka blog dekha aur ghazalen padin. Aap bahut sunder ghazalen likhate hain.
meri badhai sweekaren.Aap isi tarah achchhi achchhi ghazalen likhate rahen ye meri shubh kaamanaayen hain.
ati sundar...
ReplyDelete_______________
http://merastitva.blogspot.com
हादसे और हो गए होते ।
ReplyDeleteख़ुद को पत्थर बना लिया यारों ॥
तूने जो दिल लगा लिया यारोँ
क्या था तू क्या बना लिया यारोँ ॥