बह'र - १२२ १२२

फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मैं खुश हूँ उड़ा कर ।
यूँ हस्ती मिटा कर ॥
ये कैसे कहूँ मैं ,
हूँ जिंदा भुला कर ॥
वो आया नहीं क्यों ,
बता दो पता कर ॥
सुना फैसला अब ,
तू हां कर या ना कर ॥
मुझे उसने लूटा ,
पड़ोसी मिला कर ॥
लिखा है ये माँ ने ,
तू आजा खुदा कर ॥
दुआ ज़िन्दगी की ,
हलाहल पिला कर ॥
वो बदनामी को भी ,
गया ले भुना कर ॥
करे अर्श अब क्या ,
वो बैठा है आ कर ॥
प्रकाश"अर्श"