Saturday, October 16, 2010

क्यूँ मेरे प्यार को ठुकराया था इस , सोंच में हूँ ....

नवमी की सभी को शुभकामनाएं और बधाईयाँ ! ये गीत गुरु देव को समर्पित करते हुए आप सभी के सामने रख रहा हूँ !उनकी बमुश्किल परेशानियां जीतनी जल्दी ख़त्म हो बस इसी की प्रार्थना करता हूँ ! तरही का मौसम आ गया है , मिसरा मिल चुका है(जलते रहें दीपक सदा काइम रहे ये रौशनी ) और उम्मीद करता हूँ सभी जोर शोर से उसकी तैयारी कर रहे होंगे ... बहुत पहले ये गीत लिखा था सोचा आप सभी के साथ बाँट लूँ .... अब आप सभी के सामने है ....

क्यूँ मेरे प्यार को ठुकराया था इस , सोच में हूँ !
क्या ख़ता थी मेरी यह मुझको बता कर जाते !

मैंने तो प्यार को सज़दे की तरह माना था ,
शक्ले इंसान में भी तुमको खुदा जाना था ,
क्या कोई गल्त बात मुझमे लगी थी तुमको ,
बात ये थी तो कोई दाग़ लगा कर जाते ....
क्या ख़ता थी ....

तुम्हारी याद मेरी धडकनों का हिस्सा है ,
तलब तुम्हारी जैसे आज का ही किस्सा है ,
तुम्हीं रगों में मेरी खूं के साथ बहते हो ,
अपने हिस्से से मुझे खुद ही जुदा कर जाते ...
क्या ख़ता थी ....

चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
पायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ....
क्या ख़ता थी ....

तुम्हारी फिक्र लगी रहती है मुझे अब भी ,
दुआओं को मेरे ये हाथ हैं उठे अब भी ,
तुम बहुत दूर हो मैं जानता हूँ फिर भी ये ,
पास आकर मुझे एक बार जता कर जाते ....
क्या ख़ता थी.....

क्यूँ मेरे प्यार को ठुकराया था इस ,सोच में हूँ !
क्या ख़ता थी मेरी यह मुझको बता कर जाते !!

अर्श



36 comments:

  1. अर्श जी,
    एक बार फिर गहरी चोट की है……………कितना दर्द भर दिया है जो रूह मे उतर रहा है………वो दर्द , वो कसक , वो चाहत हर जज़्बा जैसे खुद-ब-खुद बयान हो रहा है्……………बेहतरीन गीत क्योंकि दिल तक पहुँच रहा है।

    ReplyDelete
  2. एक लहर तड़प की ज्यूँ लफ्जों में गुजर गयी.....
    regards

    ReplyDelete
  3. दर्द की दास्तान ..

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर गीत है अर्श जी,
    तुम्हारी फ़िक्र.........
    दुआओं को मेरे........

    जज़्बात ओ एह्सासात की ख़ूबसूरत अक्कासी

    ReplyDelete
  5. प्रेम की वेदना को अभिव्यक्त करता एक हृदयस्पर्शी गीत... बहुत ही प्रभावशाली रचना।...अर्श जी,एक निवेदन करना चाहूंगा, सोंच की सही वर्तनी सोच है, अनुस्वार हटा दीजिए...आभार।

    ReplyDelete
  6. क्यों मेरे प्यार को ठुकराया ........

    शायद इस यक्ष प्रशन का उत्तर कभीं नहीं मिलेगा..

    भावपूर्ण






    “दीपक बाबा की बक बक”
    आज अमृतयुक्त नाभि न भेदो

    ReplyDelete
  7. चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
    पायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
    कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
    एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ....
    दिल को छू गया ये गीत...बधाई.

    ReplyDelete
  8. क्या बात हे आप ने आहो से सजा दी अपनी गजल, धन्यवाद

    ReplyDelete
  9. बहुत अच्छा गीत है मन को भा गया

    कभी यहाँ भी आये
    www.deepti09sharma.blogspot.com

    ReplyDelete
  10. bahut acche dost
    mujhe prem geet bahut pasand hai
    aap ki mahak hindustan ki galiyo me jaroor failegi

    ReplyDelete
  11. दर्द बोला तो सुनाई भी दिया .

    ReplyDelete
  12. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें।

    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (18/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

    ReplyDelete
  13. ये जरूरी तो नहीं कि प्‍यार ठुकराया गया
    कुछ तो मजबूरी रही जिसको नहीं तू जानता
    सामने तेरे कोई कारण भले न आये पर
    बेवफा वो है नही इक बार तो ये सोचता।

    ReplyDelete
  14. दर्द की अभिव्यक्ति ----प्रभाव पूर्ण ।

    ReplyDelete
  15. जाते तो कोई दाग लगा कर जाते ...
    प्रेम में इस तरह की तोहमतें स्वीकार करने का जूनून हैरतअंगेज और दुर्लभ है वरना तो आजकल ....

    खूबसूरत ग़ज़ल ..!

    ReplyDelete
  16. aapka koi vaar kabhi khali nahi ja sakta...beautiful!

    ReplyDelete
  17. हर शब्द में एक टीस छुपी हो जैसे...
    अनजानी कसक से भरा बड़ा प्यारा सा गीत है.

    ReplyDelete
  18. हूं ..... गीत तो कह रहा है कि कहीं कुछ ऐसा है जो ज्ञात करने लायक है । खैर बहुत अच्‍छी तरह से अभिव्‍यक्‍त किये गये हैं भाव । पूरा गीत दर्द की रागिनी बन कर बह रहा है । शब्‍द शब्‍द में पीर की अंत:सलिला प्रवाहित है । सुंदर ।

    ReplyDelete
  19. जिसकी याद में लिखा है उनका नाम भी लिख देते तो अच्छा होता.
    ये गीत लगता है जब आप नौजवान थे तब के दिनों का है अब तो उम्र बढ़ गयी है.

    ReplyDelete
  20. बेमिसाल दर्द और उसकी दास्ताँ क्या करें अगर बता कर ही जाते तो ये दर्द कैसे उभरता

    ReplyDelete
  21. एक बहुत ही दर्द भरा एहसास लिए
    आंसुओं की लड़ी-से पिरोये हुए अलफ़ाज़ ...
    गीत याद आ गया अचानक
    मेरी कहानी भूलने वाले तेरा जहां आबाद रहे....

    गीत बहुत ही प्रभावशाली है
    आपकी मधुर आवाज़ में सूना जाएगा ,, कभी....

    ReplyDelete
  22. चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
    पायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
    कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
    एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ...
    aapki ye kawita padh kar Ek sadabahar gajal yad aa gaee
    Ranjish hee sahee dil hee dukhane ke liye aa.
    Aa fir se muze chod ke jane ke liye aa..

    Bahut sunder.

    ReplyDelete
  23. गुरू जी!

    आप की टिप्पणी.. ???? समझ ही रहे होंगे कि कितनी बुरी तरह जलन हो रही होगी मुझे ?

    वैसे मुझे खुद बहुत अच्छी लगी थी, बहुत साफ मन से लिखी हुई पाक़ सी भावना के साथ।

    @अंकित ! वो आशिक़ ही क्या, जो नाम लिख कर किसी को बदनाम कर दे ?

    और जब आप नौजवान थे से तुम्हारा क्या मतलब है ? क्या मेरा भाई बूढ़ा हो गया है ???

    ReplyDelete
  24. ek ek shabad dil ko cheerta chala gaya .... Arsh kafi dino ke baad padha aapko ...

    ReplyDelete
  25. चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
    पायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
    कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
    एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते ....
    वाह क्या गीत है। पर चूडियों की खनक और्र पायल की रुनझुन तभी तो याद है जब उसने प्यार दिखाया होगा? जता कर गया है तभी तो भूल नही पाते। वैसे मुफ्लिस जी ने सही कहा है इसे अपनी आवाज़ दो। सच कहूँ तो मुझे तुम्हारे दर्द भरे गीत अच्छे नही लगते। अपने बेटे के मुंह से और कलम से प्यार भरे गीत सुनना ही अच्छा लगता है। लिखा बहुत जबस्दस्त है।आशीर्वाद।

    ReplyDelete
  26. अर्श भाई आप को नमस्कार.आप ने जो लिखा है शायद कोई नहीं लिख सकता आप मेरे दूसरे शायर दोस्त बन गए है मेरी दोस्ती को कबूल करिए,आप से पहले मेरे एक और शायर दोस्त है। उनका नाम इमरान प्रतापगढ़ी है। आप के एक एक शब्द में दर्द चुपा हुआ है। कभी मेरे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए.हमे अच्छा लगेगा।

    आपका दोस्त
    रजनीश त्रिपाठी "चंचल"

    wwwkufraraja.blogspot.com

    ReplyDelete
  27. अर्श भाई आप को नमस्कार.आप ने जो लिखा है शायद कोई नहीं लिख सकता आप मेरे दूसरे शायर दोस्त बन गए है मेरी दोस्ती को कबूल करिए,आप से पहले मेरे एक और शायर दोस्त है। उनका नाम इमरान प्रतापगढ़ी है। आप के एक एक शब्द में दर्द चुपा हुआ है। कभी मेरे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए.हमे अच्छा लगेगा।

    आपका दोस्त
    रजनीश त्रिपाठी "चंचल"

    ReplyDelete
  28. अर्श भाई आप को नमस्कार.आप ने जो लिखा है शायद कोई नहीं लिख सकता आप मेरे दूसरे शायर दोस्त बन गए है मेरी दोस्ती को कबूल करिए,आप से पहले मेरे एक और शायर दोस्त है। उनका नाम इमरान प्रतापगढ़ी है। आप के एक एक शब्द में दर्द चुपा हुआ है। कभी मेरे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए.हमे अच्छा लगेगा।

    आपका दोस्त
    रजनीश त्रिपाठी "चंचल"

    ReplyDelete
  29. सराहनीय लेखन........
    +++++++++++++++++++
    चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
    मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...