Friday, May 22, 2009

थके - थके से कदम ...






हाँ
जब भी
मैं अपने थके - थके से कदम ,
घुटती साँसे,
और
टूटती धड़कनों ,
की
तरफ़ बोझिल आंखों से ,
देखता हूँ,
तो ये
चमकती आंखों से
कहती है
सब
के
सब
हम तो नही ठहरे
फ़िर तुम क्यूँ ?




30 comments:

  1. arsh bhai

    kavita ki baat to baad me karenge , yaar aap ja kahan rahe ho ... is blog jagat me aapka na hona ,hum sabko bahut dhuki karenga bhai .. isliye jahan bhi raho , kuch na kuch , kalam chalaya karo aur hamen darshan dete raho bhai ..

    kavita me praan foonk diye hai aapke shabdo ne ... main to padhkar hi speechless ho gaya hoon . ek ek shabd daastan bayan kar raha hai ..

    mera salaam aapko aur aapki lekhni ko

    meri dil se badhai sweekar kariyenga

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. वाह अर्श जी..........
    आज तो नया ही रूप देखने को मिला है आपका............
    गहरी बात कही है आपने...................कुछ ही शब्द पर मुकम्मल बात

    ReplyDelete
  3. अर्श अपने जीने के अंदाज़ को, अपने व्यक्तित्व के आकाश को कितने कम शब्दो् मे ब्यान कर दिया है विजय जी ने उपर कहा है कि कविता मे प्राण फूँक दिये हैं मगर मै जानती हूँ कि तुम प्राण त्याग रहे अदमी मे भी प्राण फूँकने की क्षमता रखते हो तुम्हारी ये पँक्तियाँ दूसरों के लिये प्रेरणाप्रद और राह दिखाने वाली हैं मै जल्दी ही सब को बतने वाली हूँ कि तुम दुनिआ के 5000 ब्लो्गर्ज़् मे से कितना आगे हो जहाँ एक आध पेर्सेन्ट ही भारतिय हैं वेब दुनिआ मे छा रहे हो बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद्

    ReplyDelete
  4. अर्श एक बात कहना भूल गयीकि जिस नज़र से ज़िन्दगी को देखते हो कविता का शीर्शक भी उसी तरह रखा करो पर मै शा्यद् भूल रही हूँ कि तुम्हे सरपराईज़ देना बहुत अछ्ह लगता है कदम थके थके मगर रफ्तार इतनी तेज़्! वाह्

    ReplyDelete
  5. किधर भाग रहे हो अर्श भाई? बिना बताए! कोई खास ही प्रायोजन होगा? कविता अच्छी लगी।

    ReplyDelete
  6. sakaratmak soch ko khubsurat labz dekar use aur khubsurat bana diya aapne....

    ReplyDelete
  7. जल्दी लौट के आइए, शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  8. थोड़े में बहुत कहत गयी है आप की यह कविता..

    आप ब्लॉग्गिंग से कुछ समय के लिए अवकाश ले रहे हैं.ब्लॉग जगत में आप की कमी जरुर मालूम होगी मगर नयी ताजा ग़ज़लों के साथ दोबारा आप आएंगे.प्रतीक्षा रहेगी.बहुत सी शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  9. Arsh, Hum to naye hain blogging ki duniya mein....aapka blog kuch din hi huey hain padhe ..... Gazlein to kafi umda likhte hain aap..ye bhi socha ki itni achchi gazal likhne wale shaks ko to bollywood mein place milna chaiye....Phir laga shayad hamhe hi samajh kam ho... Poetry bhi achchi lagi humko.. Be happy always........Hope see you on blog very soon.

    ReplyDelete
  10. आपको पढने की आदत सी हो गई है
    जल्दी आइयेगा

    आपका वीनस केसरी

    ReplyDelete
  11. are bhai kuchh khush khabri hai kya.

    kavita umda hai.

    jald lautkar shubh samachar do.

    ReplyDelete
  12. arsh yaar, mujhe caal karke batao ki ,kahan ja rahe ho aur kyon.. mujhe to kuch gadbad lag rahi hai ... [ agar shaadi karne ja rahe ho to theek hai ..yaar sochne ki koi baat nahi hai . hum sab ne shaadi ki hai aur dusaro ko kunwaaara nahi dekh sakte hai ... ha ha , isliye tum bhi shaadi kar hi lo ]

    well jokes apart , kya baat hai bhai ..
    mujhe to batao

    vijay
    09849746500

    ReplyDelete
  13. ये सवाल छोड़े कहाँ जा रहे हो अर्श भाई...सुंदर कविता
    आउर अभी-अभी तरही के आपके अद्‍भुत शेरों के दीदार करके आ रहा हूँ...
    आह !!!
    और ये किधर का रूख है?

    ReplyDelete
  14. hmm....! aise sawalo ko jinda rakho.. Jijivisha ke liye zaruri hai

    ReplyDelete
  15. thake kadam tut ti sanso...bojhil ankho se kahi himmat rakhte hai....thake thake se kadam sound nice....

    ReplyDelete
  16. अरे भाई, कहां जाने की तैयारी में हैं? आपके लौटने की प्रतीक्षा रहेगी। और ये कविता तो आपकी गज़लों की ही तरह थोड़े शब्दों में बहुत कुछ बयां कर रही है।

    ReplyDelete
  17. हम तो नही ठहरे
    फ़िर तुम क्यूँ ?

    bahut achha khyaal hai...gehra vichaar

    ReplyDelete
  18. इसी तरह सच्चे मन से लिखते रहीयेगा
    स्नेहाशिष,
    - लावण्या

    ReplyDelete
  19. ji haan Arshi ji.. chalte rehne ka naam hi zindagi hai...

    ReplyDelete
  20. वाह अर्श भाई,
    आप तो बिना गजल भी कमाल कर देते हैं......
    बहुत कम शब्द खूबसूरती से रखे हैं....
    और फलसफा भी खूब गहराई लिए है.....

    ReplyDelete
  21. एक ही बात कहूंगा
    "अंदाज़ निराला है "

    ReplyDelete
  22. jivantta liye huye likhi hai rachna.

    ReplyDelete
  23. nishchay hi behad khoobsoorat hongi wo aankhein jo thaharne ko nahin kahti.
    bahut accha likha hai.

    ReplyDelete
  24. आपके सुन्दर एहसास आपकी रचना को आपके ही शब्दों से सुशोभित कर रहे हैं............

    अक्षय-मन

    ReplyDelete
  25. बंधु,छोटे बहर की बढ़िया ग़ज़ल.हाँ ,यह जरूर याद रहे कि
    छंदों के बंधन में भावनाएं दम न तोडने पायें/
    सस्नेह
    डॉ.भूपेन्द्र
    रीवा

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...