Saturday, November 1, 2008

तेरा मिलना मुझसे कहना काश के आप हमारे होते

कितनी अच्छी, बात ये होती, तुम जो गर हमारे होते ।
हुस्न भी होता, इश्क भी होता, सूरज चाँद सितारे होते ॥

तेरी बातें ,तेरा हँसना, तेरी वो खामोश ईशारे
तेरा आना ,तेरा जाना ,मैं तेरा तुम हमारे होते ॥

मेरी धड़कन, मेरी सांसे, मेरी हर एक आह तुम्हारी
तेरा मिलना, मुझसे कहना, काश के आप हमारे होते ॥

थोडी सी घबडाहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता
तेरी तरफ़ जो देखता मैं फ़िर आँचल के वो किनारे होते ॥

तेरी आंखों के मैखाने ,तेरे होंठों के प्याले से "अर्श "
होश में हूँ बस ये कह लेता, होश कहाँ हमारे होते ॥

प्रकाश "अर्श"
१/११/२००८

11 comments:

  1. थोडी सी घबराहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता...वाह...बहुत खूबसूरत रचना..लिखते रहिये.
    नीरज

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  2. बहुत खूबसूरत गजल लि‍खी है आपने, संगीतमय।

    (अन्‍यथा न लें, शीर्षक में 'मि‍लाना' की जगह 'मि‍लना' शब्‍द होना चाहि‍ए, वैसे गजल में ये ठीक लि‍खा गया है)

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  3. थोडी सी घबडाहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता
    तेरी तरफ़ जो देखता मैं फ़िर आँचल के वो किनारे होते ॥

    तेरी आंखों के मैखाने ,तेरे होंठों के प्याले से "अर्श "
    होश में हूँ बस ये कह लेता, होश कहाँ हमारे होते ॥
    बहुत खूबसूरत गजल लि‍खी है

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  4. थोडी सी घबराहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता ...
    .....................
    बहुत बढ़िया है ..

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  5. नीरज जी ,जीतेन्दर जी ,मनविंदर जी,और मीत जी आप सभी पाठकों का प्यार इसे ही बना रहे ... आप सबों का बहोत बहोत शुक्रिया ...
    बहोत बहोत आभार ...


    अर्श

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  6. बहुत ही अच्‍छा लिखा है।

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  7. बेहतरीन...बहुत उम्दा!! वाह!!

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  8. विनय भाई ,संगीता जी ,और बड़े भाई की तरह समीर जी आप सबों का बहोत बहोत स्वागत है ब्लॉग में ..... हार्दिक आभार ...
    अर्श

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  9. तेरी आंखों के मैखाने ,तेरे होंठों के प्याले से "अर्श "
    होश में हूँ बस ये कह लेता, होश कहाँ हमारे होते ॥
    बहुत खूबसूरत.

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