कितनी अच्छी, बात ये होती, तुम जो गर हमारे होते ।
हुस्न भी होता, इश्क भी होता, सूरज चाँद सितारे होते ॥
तेरी बातें ,तेरा हँसना, तेरी वो खामोश ईशारे
तेरा आना ,तेरा जाना ,मैं तेरा तुम हमारे होते ॥
मेरी धड़कन, मेरी सांसे, मेरी हर एक आह तुम्हारी
तेरा मिलना, मुझसे कहना, काश के आप हमारे होते ॥
थोडी सी घबडाहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता
तेरी तरफ़ जो देखता मैं फ़िर आँचल के वो किनारे होते ॥
तेरी आंखों के मैखाने ,तेरे होंठों के प्याले से "अर्श "
होश में हूँ बस ये कह लेता, होश कहाँ हमारे होते ॥
प्रकाश "अर्श"
१/११/२००८
थोडी सी घबराहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता...वाह...बहुत खूबसूरत रचना..लिखते रहिये.
ReplyDeleteनीरज
बहुत खूबसूरत गजल लिखी है आपने, संगीतमय।
ReplyDelete(अन्यथा न लें, शीर्षक में 'मिलाना' की जगह 'मिलना' शब्द होना चाहिए, वैसे गजल में ये ठीक लिखा गया है)
थोडी सी घबडाहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता
ReplyDeleteतेरी तरफ़ जो देखता मैं फ़िर आँचल के वो किनारे होते ॥
तेरी आंखों के मैखाने ,तेरे होंठों के प्याले से "अर्श "
होश में हूँ बस ये कह लेता, होश कहाँ हमारे होते ॥
बहुत खूबसूरत गजल लिखी है
थोडी सी घबराहट होती, थोड़ा सा शर्माना होता ...
ReplyDelete.....................
बहुत बढ़िया है ..
नीरज जी ,जीतेन्दर जी ,मनविंदर जी,और मीत जी आप सभी पाठकों का प्यार इसे ही बना रहे ... आप सबों का बहोत बहोत शुक्रिया ...
ReplyDeleteबहोत बहोत आभार ...
अर्श
ख़ूबसूरत!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteबेहतरीन...बहुत उम्दा!! वाह!!
ReplyDeleteविनय भाई ,संगीता जी ,और बड़े भाई की तरह समीर जी आप सबों का बहोत बहोत स्वागत है ब्लॉग में ..... हार्दिक आभार ...
ReplyDeleteअर्श
तेरी आंखों के मैखाने ,तेरे होंठों के प्याले से "अर्श "
ReplyDeleteहोश में हूँ बस ये कह लेता, होश कहाँ हमारे होते ॥
बहुत खूबसूरत.
खूबसूरत!
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