सबसे पहले बादशाह शाईर जनाब बहादुरशाह जफ़र का ये शे'र
हम ही उनको बाम पे लाये,और हम ही महरूम रहे ॥
पर्दा हमारे नाम से उठा ,आँख लडाई लोगों ने...
हम ही उनको बाम पे लाये,और हम ही महरूम रहे ॥
पर्दा हमारे नाम से उठा ,आँख लडाई लोगों ने...
शाम को
डूबते हुए सूरज की
नर्म और मुलायम किरणे
जब धीरे से
छूती है तो लगता है
तुम्हारी रेशमी जुल्फें
अभी -अभी
मेरे चेहरे पे सरकती हुई
गालों पे एक-दुसरे के साथ खेल रही है
तुम्हारी खुशबू जहन में
उतरते हुए कहती है
'भर लो मुझे'
और इस तरह के हवाओं से
खुशबू ख़त्म हो जाए
ये सोच के ही इक जुम्बिश सी होती है
तुम लौट आवो
ये तस्कीन वो जौक
स्वर्ग है मेरे लिए ॥
प्रकाश'अर्श'
११/०३/२००९
जुम्बिश=वईबेरेशन ,
तस्कीन=सुकून,शान्ति
जौक=स्वाद...
डूबते हुए सूरज की
नर्म और मुलायम किरणे
जब धीरे से
छूती है तो लगता है
तुम्हारी रेशमी जुल्फें
अभी -अभी
मेरे चेहरे पे सरकती हुई
गालों पे एक-दुसरे के साथ खेल रही है
तुम्हारी खुशबू जहन में
उतरते हुए कहती है
'भर लो मुझे'
और इस तरह के हवाओं से
खुशबू ख़त्म हो जाए
ये सोच के ही इक जुम्बिश सी होती है
तुम लौट आवो
ये तस्कीन वो जौक
स्वर्ग है मेरे लिए ॥
प्रकाश'अर्श'
११/०३/२००९
जुम्बिश=वईबेरेशन ,
तस्कीन=सुकून,शान्ति
जौक=स्वाद...
bahut khoob , naya aagaz naya andaaz, bhala laga, bahut- mubaarak.
ReplyDeletesundar rachna hai..!
ReplyDeleteati sundar
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteहोली मुबारक !
आपको होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहोली पर्व की आपको भी शुभकामना बधाई .
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ।
घुघूती बासूती
अति सुंदर,आप सभी को होली की ढेरो शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहूत अच्छी है.
ReplyDeleteशुक्रिया जनाब
Holi ki mubaarak baad
बहुत बेहतरीन अर्श भाई! क्या कहना! ज़फ़र साहब के शेर से और चार चाँद लग पड़े। होली मुबारक़ आपको बहुत बहुत।
ReplyDeletearsha bhai ,
ReplyDeleteye reshmi julfen kis ki hai bhai . kis ki yaad aa rahai ddobte hue soorj ke saath . zara hamen bhi batao
holi ke bahaane hum tumhari baat-cheet kar aate hai , is nazm ko tumhare taraf se saugaat de dete hai ...
baarta ke liye hum saare blogger taiyaar hai ..
anyway
kudos
nazm men bhi aapki mastri hai bhai .. bahut aacha likha hai , man ko choo gaya hai ..
der saari badhai..
aapka vijay
अर्श भाई क्या खूबसूरत अल्फाज़ से सजाई है आपने अपनी ये नज़्म...कमाल है...रेशम की तरह कोमल ज़ज्बात बहुत करीने से पेश किये हैं...बधाई.
ReplyDeleteनीरज
बहुत बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना ..
ReplyDeletebahut hi sudner alfaaz se sajayi hai aapne
ReplyDeleteye nazm bhaut muhbbat bahri
वाह अर्श..क्या खूब लिखा है....जुम्बिश ..ये तस्कीन ...स्वर्ग मेरे लिए...
ReplyDeleteवाह! बड़ी रूमानी कविता है..
दर्द भरी ग़ज़लों के बाद यह बदलाव अच्छा लगा .
लिखते रहीये..
अच्छी कविता है भाई, इसके लिये बधाई... और होली मुबारक..
ReplyDeletebhaiya...itni pyaar bhari baatein likhenge to..
ReplyDeletepadhne wale bhi pyaar me doob jayenge..
jo nahi karte wo bhi karne lag jayenge....
bahut hi sunder rachna..
kuchh hat kar hai...
देखिये आप हमें हमारी जवानी याद ना दिलाया करें....गोया कि हमें आईना ना दिखाया करें....अब होने लगे हैं हमारे भी चंद बाल सफ़ेद....आप उन पर वापिस कालिख ना लगाया करें....!!
ReplyDeleteKAVITA BADEE PYAAREE HAI.BHAVANUROOP BHASHA HAI.
ReplyDeleteख्यालात की ताजगी लिए हुए
ReplyDeleteएक अछि नज़्म .......
शैली प्रभावशाली है, बरबस खींचती है ........ बधाई
---मुफलिस---
सुन्दर , प्यारी, रूमानी, जज्बाती, और भी न जाने क्या ............ ऐसी है नज्म आपकी.
ReplyDeleteहोली की ढेरों बधाइयाँ
चन्द्र मोहन गुप्त
ये आँखोंकी ही केफियत है जो अन्दाजें बयां की है आपने ...वर्ना ये ही नजारा औरों के लिए एक आम ही होता है ...
ReplyDeletebhai waah kamaal kee nazm hai, badhaai ho!
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