Wednesday, March 11, 2009

शाम को डूबते हुए सूरज...

होली के पवन पर्व पे आप सभी को ढेरो बधाई... बस एक दिली-खाईश थी के आप सभी के सामने एक नज़्म पेशकरू... आप सभी का प्यार और आशीर्वाद चाहूँगा...

सबसे पहले बादशाह शाईर जनाब बहादुरशाह जफ़र का ये शे'

हम ही उनको बाम पे लाये,और हम ही महरूम रहे ॥
पर्दा हमारे नाम से उठा ,आँख लडाई लोगों ने...


शाम को
डूबते हुए सूरज की
नर्म और मुलायम किरणे
जब धीरे से
छूती है तो लगता है
तुम्हारी रेशमी जुल्फें
अभी -अभी
मेरे चेहरे पे सरकती हुई
गालों पे एक-दुसरे के साथ खेल रही है
तुम्हारी खुशबू जहन में
उतरते हुए कहती है
'भर लो मुझे'
और इस तरह के हवाओं से
खुशबू ख़त्म हो जाए
ये सोच के ही इक जुम्बिश सी होती है
तुम लौट आवो
ये तस्कीन वो जौक
स्वर्ग है मेरे लिए



प्रकाश'अर्श'
११/०३/२००९
जुम्बिश=वईबेरेशन ,
तस्कीन=सुकून,शान्ति
जौक=स्वाद...

24 comments:

  1. bahut khoob , naya aagaz naya andaaz, bhala laga, bahut- mubaarak.

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  2. बहुत खूब.

    होली मुबारक !

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  3. आपको होली की शुभकामनाएं।

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  4. होली पर्व की आपको भी शुभकामना बधाई .

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  5. वाह!
    होली की शुभकामनाएँ।
    घुघूती बासूती

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  6. अति सुंदर,आप सभी को होली की ढेरो शुभकामनाएं।

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  7. बहूत अच्छी है.
    शुक्रिया जनाब

    Holi ki mubaarak baad

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  8. बहुत बेहतरीन अर्श भाई! क्या कहना! ज़फ़र साहब के शेर से और चार चाँद लग पड़े। होली मुबारक़ आपको बहुत बहुत।

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  9. arsha bhai ,

    ye reshmi julfen kis ki hai bhai . kis ki yaad aa rahai ddobte hue soorj ke saath . zara hamen bhi batao
    holi ke bahaane hum tumhari baat-cheet kar aate hai , is nazm ko tumhare taraf se saugaat de dete hai ...

    baarta ke liye hum saare blogger taiyaar hai ..

    anyway
    kudos
    nazm men bhi aapki mastri hai bhai .. bahut aacha likha hai , man ko choo gaya hai ..
    der saari badhai..


    aapka vijay

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  10. अर्श भाई क्या खूबसूरत अल्फाज़ से सजाई है आपने अपनी ये नज़्म...कमाल है...रेशम की तरह कोमल ज़ज्बात बहुत करीने से पेश किये हैं...बधाई.

    नीरज

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  11. बहुत बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना ..

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  12. bahut hi sudner alfaaz se sajayi hai aapne

    ye nazm bhaut muhbbat bahri

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  13. वाह अर्श..क्या खूब लिखा है....जुम्बिश ..ये तस्कीन ...स्वर्ग मेरे लिए...

    वाह! बड़ी रूमानी कविता है..
    दर्द भरी ग़ज़लों के बाद यह बदलाव अच्छा लगा .
    लिखते रहीये..

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  14. अच्छी कविता है भाई, इसके लिये बधाई... और होली मुबारक..

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  15. bhaiya...itni pyaar bhari baatein likhenge to..

    padhne wale bhi pyaar me doob jayenge..
    jo nahi karte wo bhi karne lag jayenge....

    bahut hi sunder rachna..
    kuchh hat kar hai...

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  16. देखिये आप हमें हमारी जवानी याद ना दिलाया करें....गोया कि हमें आईना ना दिखाया करें....अब होने लगे हैं हमारे भी चंद बाल सफ़ेद....आप उन पर वापिस कालिख ना लगाया करें....!!

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  17. KAVITA BADEE PYAAREE HAI.BHAVANUROOP BHASHA HAI.

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  18. ख्यालात की ताजगी लिए हुए
    एक अछि नज़्म .......
    शैली प्रभावशाली है, बरबस खींचती है ........ बधाई
    ---मुफलिस---

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  19. सुन्दर , प्यारी, रूमानी, जज्बाती, और भी न जाने क्या ............ ऐसी है नज्म आपकी.

    होली की ढेरों बधाइयाँ

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  20. ये आँखोंकी ही केफियत है जो अन्दाजें बयां की है आपने ...वर्ना ये ही नजारा औरों के लिए एक आम ही होता है ...

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  21. bhai waah kamaal kee nazm hai, badhaai ho!

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