वो कौन है जो मेरी तरह दिखता है ।
है मेरा अक्स या मेरी तरह दिखता है ॥
देखकर उड़ते परिंदों को दिल मेरा रोए
उड़ान तू भी तरसे तो मेरी तरह दिखता है ॥
लहू को उसके रगों का मुआयना कर लो
लहू सा है तो फ़िर मेरी तरह दिखता है ॥
मैं हूँ जो बस गैरते-साजिश में मारा गया
तू ठुकराया हुआ है तो मेरी तरह दिखता है ॥
है मुनासिब के याद-दाश्त मेरी ग़लत हो
वादा उसने किया था जो मेरी तरह दिखता है ॥
होता एहसास अगर"अर्श"अपने जुल्मों का
ना करता चर्चे अगर मेरी तरह दिखता है ॥
प्रकाश"अर्श"
०१/०१/२००९
देखकर उड़ते परिंदों को दिल मेरा रोए
ReplyDeleteउड़ान तू भी तरसे तो मेरी तरह दिखता है
लाजवाब!
ब=
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाऐं.
ReplyDeleteनियमित लेखन हेतु शुभकामनाऐं.
समीर लाल
उड़न तश्तरी
http://udantashtari.blogspot.com/
अर्श जी, बढ़िया लिखा है। नये साल में भी आपकी कलम ऐसे ही चलती रहे। आपके एवं आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteKhayaalaat acche haiN Arsh Saheb.
ReplyDeleteWish You A Very Happy 2009.
hi bhaiya..!!
ReplyDelete3rd or 4th wale sher bahut achhe lage...
:))
Puneet Sahalot
http://imajeeb.blogspot.com
bhiaye ek request hai aapse....
ReplyDeletemene ek line likhi h...
"ज़रूरत थी जब किसी अपने की , मैं खुदा को ढूंढ लाया..."
agar aap ise lekar kuch likhe sakein to mujhe khushi hogi...
Puneet Sahalot
अच्छी ग़ज़ल है अर्ष भाई वाह !
ReplyDeleteनव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
ReplyDeleteधन्यवाद
आपको, आपके परिजनों और आपके मित्रों और परिचितों को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं. ईश्वर आपको सुख-समृद्धि दे!
ReplyDeleteअनुराग शर्मा
बड़ी खूबसूरत गजल लिखी है आपने.धन्यवाद.
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
टिप्पणी में लिखी हुई ये लाईन सबसे ज्यादा पसंद आयी -
ReplyDeleteज़रूरत थी जब किसी अपने की, मैं खुदा को ढूंढ लाया
सुंदर भावनाएं , उतने ही सुंदर शब्द...."
ReplyDeleteregards
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteअच्छा शब्द संयोजन है अर्श भाई....नये साल पर यूं ही नित नयी रचनाओं से मिलवाते रहिये...
ReplyDeleteअरे वाह....
ReplyDeleteमैं हूं बस गैरते-साजिश.......
ये वाला शेर बहुत ही उम्दा है बहुत अच्छा लिखा आगे भी ऐसे ही लिखते रहिये भाई.......
kuch maine bhi likha hai aapki inayat ki jarorat...
अक्षय-मन
bhaiya...thank you very much...!!! :))
ReplyDeleteजरुरत थी जब किसी अपने की,मैं खुदा को ढूंड लाया..
वो आशना भी आया जब ना-आशनाको ढूंड लाया ...
aapne jo hai... wo haqiqat bayaan kr rha h...
koshish karunga ki aapse kuchh or naya sikhun...
once again, thnx a lot...
:))
Puneet Sahalot
http://imajeeb.blogspot.com
bhaut badiya likhte hai aap. u hi likhte rahai .
ReplyDeletebhawnae or shabdo ki gahrai lajwab hai .
dil khosh ho gaya.
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ..नए साल की बधाई
ReplyDeleteसाधुवाद.
ReplyDeleteवो कौन है जो मेरी तरह दीखता है.....
ReplyDelete-वाह !क्या बात है!
खूबसूरत ख्याल और ग़ज़ल भी खूब बन पड़ी है...
वो कौन है जो मेरी तरह दीखता है .......
ReplyDelete..ये अर्श भी क्या खूब लिखता है