Thursday, January 1, 2009

है मुनासिब के याद-दाश्त मेरी ग़लत हो ...

वो कौन है जो मेरी तरह दिखता है ।
है मेरा अक्स या मेरी तरह दिखता है ॥

देखकर उड़ते परिंदों को दिल मेरा रोए
उड़ान तू भी तरसे तो मेरी तरह दिखता है ॥

लहू को उसके रगों का मुआयना कर लो
लहू सा है तो फ़िर मेरी तरह दिखता है ॥

मैं हूँ जो बस गैरते-साजिश में मारा गया
तू ठुकराया हुआ है तो मेरी तरह दिखता है ॥

है मुनासिब के याद-दाश्त मेरी ग़लत हो
वादा उसने किया था जो मेरी तरह दिखता है ॥

होता एहसास अगर"अर्श"अपने जुल्मों का
ना करता चर्चे अगर मेरी तरह दिखता है ॥

प्रकाश"अर्श"
०१/०१/२००९

22 comments:

  1. देखकर उड़ते परिंदों को दिल मेरा रोए
    उड़ान तू भी तरसे तो मेरी तरह दिखता है

    लाजवाब!

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  2. आपको एवं आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाऐं.
    नियमित लेखन हेतु शुभकामनाऐं.
    समीर लाल

    उड़न तश्तरी

    http://udantashtari.blogspot.com/

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  3. अर्श जी, बढ़िया लिखा है। नये साल में भी आपकी कलम ऐसे ही चलती रहे। आपके एवं आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  4. Khayaalaat acche haiN Arsh Saheb.

    Wish You A Very Happy 2009.

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  5. hi bhaiya..!!
    3rd or 4th wale sher bahut achhe lage...
    :))

    Puneet Sahalot
    http://imajeeb.blogspot.com

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  6. bhiaye ek request hai aapse....
    mene ek line likhi h...
    "ज़रूरत थी जब किसी अपने की , मैं खुदा को ढूंढ लाया..."

    agar aap ise lekar kuch likhe sakein to mujhe khushi hogi...

    Puneet Sahalot

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  7. अच्छी ग़ज़ल है अर्ष भाई वाह !

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  8. नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
    धन्यवाद

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  9. बड़ी खूबसूरत गजल लिखी है आपने.धन्यवाद.
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.

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  10. टिप्पणी में लिखी हुई ये लाईन सबसे ज्यादा पसंद आयी -

    ज़रूरत थी जब किसी अपने की, मैं खुदा को ढूंढ लाया

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  11. सुंदर भावनाएं , उतने ही सुंदर शब्द...."

    regards

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  12. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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  13. अच्छा शब्द संयोजन है अर्श भाई....नये साल पर यूं ही नित नयी रचनाओं से मिलवाते रहिये...

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  14. अरे वाह....
    मैं हूं बस गैरते-साजिश.......
    ये वाला शेर बहुत ही उम्दा है बहुत अच्छा लिखा आगे भी ऐसे ही लिखते रहिये भाई.......
    kuch maine bhi likha hai aapki inayat ki jarorat...

    अक्षय-मन

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  15. bhaiya...thank you very much...!!! :))

    जरुरत थी जब किसी अपने की,मैं खुदा को ढूंड लाया..
    वो आशना भी आया जब ना-आशनाको ढूंड लाया ...

    aapne jo hai... wo haqiqat bayaan kr rha h...
    koshish karunga ki aapse kuchh or naya sikhun...

    once again, thnx a lot...
    :))

    Puneet Sahalot
    http://imajeeb.blogspot.com

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  16. bhaut badiya likhte hai aap. u hi likhte rahai .
    bhawnae or shabdo ki gahrai lajwab hai .
    dil khosh ho gaya.

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  17. बहुत बढ़िया लिखा है आपने ..नए साल की बधाई

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  18. वो कौन है जो मेरी तरह दीखता है.....
    -वाह !क्या बात है!
    खूबसूरत ख्याल और ग़ज़ल भी खूब बन पड़ी है...

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  19. वो कौन है जो मेरी तरह दीखता है .......
    ..ये अर्श भी क्या खूब लिखता है

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