मैं हूँ तू है, और है तन्हाईयां ।
दिल है धड़कन और अंगडाइयां ॥
मौसम भी है,कुछ दिल बेबस
दिल कहता है कर बेईमानीयाँ ॥
देखो तमाशा ना बन जाए कहीं
घर तक आए है तमाशाइयां ॥
तेरी आँखें तो है दोनों जहाँ
इस दो जहाँ पे है कुरबानीयाँ ॥
जुल्फ तेरे है यूँ घटावों जैसी
हुस्न से है तेरे रोशानाइयां ॥
तेरी नजाकत तेरी हया भी
कर देगा"अर्श"फ़िर रुस्वाइयां ॥
प्रकाश "अर्श"
२३/१२/२००८
बहुत सुंदर !!!!
ReplyDelete"तेरी आंखे है दोनों जहाँ.."
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मनभावन गजल .
bahut achhe .....doosra sher khas achha laga.
ReplyDeleteबहुत अच्छे .बहुत सुंदर
ReplyDeletebahut acche...anuraag jee ki tarah hame bhi aapka doosra waala sher kaafi accha laga....
ReplyDeletebahut sundar ghazal likhi hai.
ReplyDeletesabhi sher khubsurat hain.
bahut khoob!!!!
ReplyDeleteएक से बढ कर एक सभी शेर बहुत सुंदर है.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप आये बहार आयी, फूल खिले गुलशन-गुलशन
ReplyDelete