अब रौशनी कहाँ है मेरे हिस्से ।
लव भी ज़दा ज़दा है मेरे हिस्से ॥
गर संभल सका ,तो चल लूँगा ।
पर रास्ता ,कहाँ है मेरे हिस्से ॥
मैं भी चीखता चिल्लाता मगर ।
कई दर्द बेजुबां है मेरे हिस्से ॥
हुजूम हो खुशी का तेरी महफ़िल में ।
ज़ख्म है, बद्दुआ है मेरे हिस्से ॥
चाँद तारे जो तेरी निगहबानी करे ।
काफिला जुगनुओं का है मेरे हिस्से ॥
नही है"अर्श"मेरे नसीब ना सही ।
तेरी निगाह का, चारा है मेरे हिस्से ॥
प्रकाश "अर्श"
०९/१२/२००८
ज़दा =चोट खाया ,निगहबानी=रक्षक ,
kiyaa baat likhi hai aapne arsh bahi good going nice post
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हुजूम हो खुशी का तेरी महफिल मैं ,जख्म है बदुआ है मेरे हिस्से ,आप खूब लिखतें हैं ,दिल की आवाज़ हो तो गजल मैं जान आही जाती है बधाई
ReplyDelete"तेरी चौखट पे रुसवा हुआ दिल मेरा,
ReplyDeleteअब तो रुसवाई है मेरे हिस्से में
अबकि कुछ कहूँ इससे पहले यह बताओ टाइप कैसे कर रहे हो, अच्छा लिखते हो तो शब्द शुद्धता भी बनाये रहो!
ReplyDeleteshabd shudhata ke liye agar koi link ha to muje aap bhej do .... koi galat word koi bhi indicate karo... achha lagega wait kar raha hun...
ReplyDeleteकोई दर्द बेजुबान है मेरे हिस्से ..बहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDeleteबहुत खूब .वैसे इस बार भी मेरे हिस्से आखिरी शेर आया ....
ReplyDeleteतेरी चौखट पे रुसवा हुआ दिल मेरा,
ReplyDeleteअब तो रुसवाई है मेरे हिस्से में
waah bahut khub
बहुत सुंदर भाव और उनकी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteलिखते रहें..शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर भाव और उनकी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteलिखते रहें..शुभकामनाएं.
सुंदर अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteबहुत उम्दा लिखा है, वाह!!! बधाई.
ReplyDeleteभाई प्रकाश ‘अर्श’ जी
ReplyDeleteयह तो तय है कि आपके भीतर जज़्बात का अथाह सागर
उमड़कर ग़ज़ल की फ़ोर्म में अभिव्यक्ति पा जाना चाहता है.
यही नहीं आप इस दिशा में सार्थक प्रयास भी कर रहे हैं.
वो दिन दूर नहीं जब आप अपनी मंज़िल अवश्य पा जाएँगे.
शुभकामनाओं सहित
द्विज
कई दिनों से विचारते आज थमक ही गया आपके ब्लौग पर...और ढ़ेरों रचनायें पढ़ ली...क्या कहूं-जब खुद द्विज जी आपकी तारीफ कर रहे हैं,तो और कुछ कहना बेमानी हो जायेगा.
ReplyDeleteमैं खुद गज़ल-विधा का अराधक हूं ---सीख रहा हूं...
आपसे भी काफी सिखने को मिलेगा
nice posting.....going gorgeous day by day
ReplyDeletebahut hi achhi gazal hai.... aap bahut achha likhte hain. maine aapki or bhi gazalein padhi, kafi achhi lagi...
ReplyDelete"कोई दर्द बेजुबान है मेरे हिस्स" bahut hi accha likha hai aapne..
सभी शेर बेहद खूबसूरत हैं !लिखते रहीये अर्श.
ReplyDeleteवाह...!!! आफरीन...!!! कुछ और क्या कहूँ...!!! मैं तो आपकी ग़ज़लगोई का कायल हो गया...!!!
ReplyDeleteआप सही पाठकों और गुणी जनों का दिल से आभार हूँ जो इस नाचीज के लिए कुछ वक्त निकला उम्मीद करता हूँ के ये स्नेह और आशीर्वाद परस्पर बना रहेगा ...
ReplyDeleteआभार
अर्श
हमारी तरफ़ से तो सभी कुछ है तेरे हिस्से. हा हा.
ReplyDeleteजियो अर्श बख़ूब लिखा है और लिखते ही रहो. फ़ीअमानल्लाह.