Tuesday, December 9, 2008

अब रौशनी कहाँ है मेरे हिस्से ...

अब रौशनी कहाँ है मेरे हिस्से ।
लव भी ज़दा ज़दा है मेरे हिस्से ॥

गर संभल सका ,तो चल लूँगा ।
पर रास्ता ,कहाँ है मेरे हिस्से ॥

मैं भी चीखता चिल्लाता मगर ।
कई दर्द बेजुबां है मेरे हिस्से ॥

हुजूम हो खुशी का तेरी महफ़िल में ।
ज़ख्म है, बद्दुआ है मेरे हिस्से ॥

चाँद तारे जो तेरी निगहबानी करे ।
काफिला जुगनुओं का है मेरे हिस्से ॥

नही है"अर्श"मेरे नसीब ना सही ।
तेरी निगाह का, चारा है मेरे हिस्से ॥

प्रकाश "अर्श"
०९/१२/२००८
ज़दा =चोट खाया ,निगहबानी=रक्षक ,

20 comments:

  1. kiyaa baat likhi hai aapne arsh bahi good going nice post


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  2. हुजूम हो खुशी का तेरी महफिल मैं ,जख्म है बदुआ है मेरे हिस्से ,आप खूब लिखतें हैं ,दिल की आवाज़ हो तो गजल मैं जान आही जाती है बधाई

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  3. "तेरी चौखट पे रुसवा हुआ दिल मेरा,
    अब तो रुसवाई है मेरे हिस्से में

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  4. अबकि कुछ कहूँ इससे पहले यह बताओ टाइप कैसे कर रहे हो, अच्छा लिखते हो तो शब्द शुद्धता भी बनाये रहो!

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  5. shabd shudhata ke liye agar koi link ha to muje aap bhej do .... koi galat word koi bhi indicate karo... achha lagega wait kar raha hun...

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  6. कोई दर्द बेजुबान है मेरे हिस्से ..बहुत खूब लिखा है आपने

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  7. बहुत खूब .वैसे इस बार भी मेरे हिस्से आखिरी शेर आया ....

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  8. तेरी चौखट पे रुसवा हुआ दिल मेरा,
    अब तो रुसवाई है मेरे हिस्से में
    waah bahut khub

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  9. बहुत सुंदर भाव और उनकी अभिव्यक्ति.
    लिखते रहें..शुभकामनाएं.

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  10. बहुत सुंदर भाव और उनकी अभिव्यक्ति.
    लिखते रहें..शुभकामनाएं.

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  11. बहुत उम्दा लिखा है, वाह!!! बधाई.

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  12. भाई प्रकाश ‘अर्श’ जी
    यह तो तय है कि आपके भीतर जज़्बात का अथाह सागर
    उमड़कर ग़ज़ल की फ़ोर्म में अभिव्यक्ति पा जाना चाहता है.
    यही नहीं आप इस दिशा में सार्थक प्रयास भी कर रहे हैं.
    वो दिन दूर नहीं जब आप अपनी मंज़िल अवश्य पा जाएँगे.

    शुभकामनाओं सहित
    द्विज

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  13. कई दिनों से विचारते आज थमक ही गया आपके ब्लौग पर...और ढ़ेरों रचनायें पढ़ ली...क्या कहूं-जब खुद द्विज जी आपकी तारीफ कर रहे हैं,तो और कुछ कहना बेमानी हो जायेगा.
    मैं खुद गज़ल-विधा का अराधक हूं ---सीख रहा हूं...
    आपसे भी काफी सिखने को मिलेगा

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  14. nice posting.....going gorgeous day by day

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  15. bahut hi achhi gazal hai.... aap bahut achha likhte hain. maine aapki or bhi gazalein padhi, kafi achhi lagi...

    "कोई दर्द बेजुबान है मेरे हिस्स" bahut hi accha likha hai aapne..

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  16. सभी शेर बेहद खूबसूरत हैं !लिखते रहीये अर्श.

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  17. वाह...!!! आफरीन...!!! कुछ और क्या कहूँ...!!! मैं तो आपकी ग़ज़लगोई का कायल हो गया...!!!

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  18. आप सही पाठकों और गुणी जनों का दिल से आभार हूँ जो इस नाचीज के लिए कुछ वक्त निकला उम्मीद करता हूँ के ये स्नेह और आशीर्वाद परस्पर बना रहेगा ...
    आभार
    अर्श

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  19. हमारी तरफ़ से तो सभी कुछ है तेरे हिस्से. हा हा.
    जियो अर्श बख़ूब लिखा है और लिखते ही रहो. फ़ीअमानल्लाह.

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...