Friday, December 26, 2008

मेरे हर ख्वाब को मकसद बनाये बैठी है ...

आज मैं इस ब्लॉग पे अपनी पचासवीं ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद चाहूँगा ........


उसके भी सितम ढाने की अदा खूब है ।
दूर जा जा के पास आने की अदा खूब है ॥

बैठी है महफ़िल में मगर देखो तो सही
दूर ही से नज़रें मिलाने की अदा खूब है

मेरे हर ख्वाब को मकसद बनाये बैठी है
मोहब्बत उसके निभाने की अदा खूब है ॥

रंज में रोती है बेशक रुलाती भी है मुझको
इश्क में रूठने मनाने की अदा खूब है ॥

कभी इतेफाक से मिल जाए तो शरमाके
दांतों में उंगली दबाने की अदा खूब है ॥

निगारे-नजरवान कहूँ या"अर्श"हयाते-जान
शब्-ऐ-तारिक उसके मिटाने की अदा खूब है ॥

प्रकाश "अर्श"
२६/१२/२००८

निगारे-नजरवान=आंखों में खुबसूरत दिखने वाली
शब्-ऐ-तारिक=अँधेरी रात (इसका प्रयोग ज़िन्दगी
में फैले अंधियारे से है )
हयाते-जान=ज़िन्दगी की जान।

20 comments:

  1. मोहब्बत निभाने की अदा खूब थी| दूर जा जा के पास आना, पढने वालों पर भी उतना ही सितम ढा रहा है जितना लिखने वाले पर|
    दांतों में ऊँगली दबाना.....ये भी बहुत खूब थी|

    "शेर कहकर यूँ दीवाना बनाने की अदा खूब है!!

    ReplyDelete
  2. पचासवीं ग़ज़ल तो ख़ूब लिखी, वाह! बेशक़!

    ---
    चाँद, बादल और शाम
    http://prajapativinay.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. bahut khoob bhaiya...!!
    aapki pachaasawi ghazal k liye dheron badhaayi...

    likhte rahiye... :))

    ReplyDelete
  4. पचासवें पोस्ट तक की लंबी यात्रा और वो भी गज़ल के रूप में...खूब बधाई

    ReplyDelete
  5. अजी आप की पचासवी गजल लिखने की अदा भी खुब है,बहुत सुन्दर गजल लिखी आओ ने धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. बधाई....बहुत अच्‍छा लिखा है।

    ReplyDelete
  7. pachaasve post ki badhayee..."besak" ki spelling zara gadbada gayee hai,dekh lijiyega

    vyang mein meri pehli koshish ko yahaan padhe:
    http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_26.html

    aur jald aisi vyangaatmak rachnaao ke saath milte milaata rhaoonga :)

    ReplyDelete
  8. satane ki ada aur mohobbat jatane ki ada baahut hi sundar,badhai

    ReplyDelete
  9. jame rahiye.....abhi aor kai safar baaki hai.

    ReplyDelete
  10. गज़लों का एक सुंदर सफर तय किया है आपने, आपकी पचास्वी पोस्ट पर आपको ढेरो शुभकामनाये ....
    regards

    ReplyDelete
  11. अर्धशतक मुबारक हो जी !

    ReplyDelete
  12. वाह बहुत खूब ..लिखते रहे यही दुआ है बधाई आपको

    ReplyDelete
  13. peechay kisi ne ghazal ke vyaakaran ko le ke tippani ki thi. lagtaa hai aap sudhar gaey :)
    badhiyaa hai..century pe milte hain!

    ReplyDelete
  14. ye pachaasvi gazal apne janaab kaatil likhi hai!!!
    meri oor se bahut bahut badhayian!!!!!

    ReplyDelete
  15. गज़लों का एक सुंदर सफर तय किया है आपने, आपकी पचास्वी पोस्ट पर आपको ढेरो शुभकामनाये

    ReplyDelete
  16. आप सभी पाठकों का तहे दिल से धन्यवाद करना चाहूँगा ,इस मुकाम तक पहुँचने में आप सभी का प्यार ,और आशीर्वाद मिलता रहा है इस के पीछे आप सब है ........धन्यवाद आप सबका ........

    आभार
    अर्श

    ReplyDelete
  17. बढ़िया गजल है, और पचासवीं. साधुवाद.

    ReplyDelete
  18. ग़ज़ल की गोल्डन जुबली मुबारिक हो अर्श जी,

    मचल जाती है तबियत आशिकी को फिर,
    ग़ज़ल से इश्क फरमाने की अदा खूब है
    ..............इस मुकाम पर आपको दिल से हजारो हजारों मुबारकें .......ईद का चाँद ....क्या खूब कहा है ..दोस्त पिछले कुछ दिन हॉस्पिटल में रहा ...हाल ही में नैनीताल में कुछ दिन बिता कर आया हूँ ...बस अब स्वास्थ्य लाभ हो रहा है ..और आपके दरमियाँ आ गया हूँ ....पुन: बीते वर्ष को सलामी के साथ साथ नए वर्ष के लिए आप को अनेकों शुभकामनायें

    ReplyDelete
  19. I have been reading gazals by several authors...for a long time and I find that u r inspired by several writers...and even u have eke out the "feelings" also...so I have a request to make that be original...atleast in imagination....rest u r great in putting the words together....

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...