Saturday, February 28, 2009

अदब से मौत का भी सामना करे कोई ...

गुरु देव पंकज सुबीर जी के आशीर्वाद से तैयार ये ग़ज़ल आप सभी
के सामने है ... आप सभी के प्यार औरआशीर्वाद का आकांक्षी हूँ ....



ये मुख्‍़तसर सी जि़ंदगी है क्‍या करे कोई
है सांस आखिरी बची दुआ करे कोई ॥

घुटन है जिन्‍दगी ये फिर भी जी रहा हूं मैं
क्‍युं आखिरी में बात बेमजा करे कोई ॥

मिले हैं मौत से तो झूम कर के हम गले
बला से अपने जिन्‍दगी कहा करे कोई ॥

यकीन है वो आयेगा जरूर लौट कर ।
उसीके इन्‍तजार में जिया करे कोई ॥

कला तो सीखते हैं जिन्‍दगी की सब यहां ।
अदब से मौत का भी सामना करे कोई ॥

किसे रहे थे अर्श ढूंढ ख्‍वाब में भला ।
ये नींद टूटने पे क्‍या पता करे कोई ॥

प्रकाश'अर्श'
२९/०२/२००९


Thursday, February 19, 2009

नहीं के हमको निभाना नही आता ...

गुरु जी के आशीर्वाद के इंतज़ार में......



नहीं के हमको निभाना नहीं आता ॥
वक्त पे उनको भी आना नहीं आता ॥

जरा सी बात पे देखो वो रूठ जाते है ,
क्या कहूँ उनको सताना नही आता ॥

रस्म तो रस्म है क्यूँ घबरा रहे हो तुम ,
क्या तुम्हे रस्म निभाना नही आता .?

अभी तो आए हो जी-भर के देख तो लूँ
तुम्हे न जाने का बहाना नही आता ॥

आज का दौर है दिखावे का सुनो तुम ,
तू रह जाएगा गर दिखाना नही आता ॥

तू कहे 'अर्श'तेरे कुचे में दम निकले ,
बस ये है तुझे आजमाना नहीं आता ॥

प्रकाश'अर्श"
१९/०२/२००९

Sunday, February 1, 2009

तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ ...

आप सबके सामने एक गीत नज़्र कर रहा हूँ ,जो मूलतः पहली गीत है इस ब्लॉग पे मेरी ।गलती के लिए मुआफी चाहूँगा ....


तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥

नहीं के हमें दिल लगना नही था
गली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
तेरे ख्वाब ही .......

अभी दिल हमारा धड़कना था सिखा
तुम्हारी नज़र से बचाना किसीका
मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन ........

हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ....


प्रकाश"अर्श"
०१/०२/२००९