Wednesday, November 14, 2012

घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे !!


बहुत दिन हो गए थे इस कोने आये हुए ! सबसे पहले तो दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं आप सभी को ! गुरु देव पंकज सुबीर जी के ब्लॉग पर एक तरही चल रही है दीपावली के शुभ मौके पर सो वहीँ के लिए लिखी ये ग़ज़ल आप सभी को भी नज़्र है !

अगर वो अश्क़बार हो तो हो रहे तो हो रहे !
जो वक़्त शर्मसार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

ये मोजिज़ा मुझे भी एक बार तो नसीब हो ,
की दाग़ दाग़दार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

मुझे अजीज़ है मेरा ये ख़ुद से इंक़लाब भी ,
जो ग़म भी शानदार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

मुझे चराग़-ए-इश्क़ ने तो बख्श दी है रौशनी ,
घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

ये एहतियात क्या कोई करे है इश्क़ में कहीं ,
जो दिल भी बेक़रार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

रगों में आशिक़ी मेरी जुनू-ए-इश्क़ है मेरा ,
दीवानगी में यार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

लहू में इख्तालाब हो अजियतों के वास्ते ,
जो अर्श ज़ार ज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे !!

अर्श

Thursday, March 8, 2012

मैं लम्हा हूँ कि अर्सा हूँ कि मुद्दत

होली की सभी को बहुत शुभकामनाएँ ! और इसी के साथ आईए सुनते हैं एक नई ग़ज़ल !


बडी हसरत से सोचे जा रहा हूँ
तुम्हारे वास्ते क्या क्या रहा हूँ

वो जितनी बार चाहा पास आया
मैं उसके वास्ते कोठा रहा हूँ

कबूतर देख कर सबने उछाला
भरी मुठ्ठी का मैं दाना रहा हूँ

मैं लम्हा हूँ कि अर्सा हूँ कि मुद्दत
न जाने क्या हूँ बीता जा रहा हूँ

मैं हूँ तहरीर बच्चों की तभी तो
दरो-दीवार से मिटता रहा हूँ

सभी रिश्ते महज़ क़िरदार से हैं
इन्ही सांचो मे ढलता जा रहा हूँ

जहां हर सिम्‍त रेगिस्‍तान है अब
वहां मैं कल तलक दरिया रहा हूँ

अर्श