Saturday, August 30, 2008

हज़ार बातें कही थी तुमने.......

हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत , वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने॥

हमारे दिल का ,वो एक कोना
कोई काट कर ले जा रहा है
वही जिन्दा बचा था
अबतक
जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने ॥

मोहब्बत सज़ा है
मैं मान लेता
मगर साँस कायम है
अबतक उसी से
हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत, वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने ॥

प्रकाश "अर्श"
३०/०८/२००८

Saturday, August 23, 2008

तुम जो कर रहे थे अभी ......



तुम जो कर रहे थे अभी ,क्या वो काम बाकी है ।
हो गया बदनाम बहोत ,बस थोडी नाम बाकी है ॥

फुर्सत मिले तो फ़िर से इस तरफ़ चले आना ,
गर्दिश में हूँ,तलब है,आखिरी अंजाम बाकी है ॥

जो भी था पास मेरे वो बाँट दी ज़माने में ,
तुम भी आवो,ले जावो ,तुम्हारा इनाम बाकी है ॥

वो कौन था जिसने खोदी थी कब्र की मिट्टियाँ ,
उससे कहो ठहरे अभी ,बस थोडी काम बाकी है ॥

खुदा भी सोंच के गुम है ,ये किसका ज़नाजा है ,
जहाँ हसीनाएं शामिल है ,क्या वहां इंतकाम बाकी है ॥

मैं पी के लड़खाधाया भी नही और तुमने "अर्श"
कहदिया रिंद कोई और है ,ये उसका जाम बाकी है ॥

प्रकाश "अर्श"
२३/०८/२००८

Monday, August 18, 2008

कैसे कहूँ के फकत वाक्य हो तुम.....

कैसे कहूँ के फकत वाक़या हो तुम ।
मुझसे कोई पूछे भला क्या-क्या हो तुम॥

जो हो सका ना , मिल सका मुझको ,
वही सज़दा मेरी वही खुदा हो तुम ॥

नही है रोशनी मेरी मुक्कदर में ना सही ,
मैं जानता हूँ एक जलती हुई चरागा हो तुम ॥

शुर्ख होंठो पे तब्बसुम की बिजलियाँ ,
ये भरम है,चाँद तारों का हिस्सा हो तुम ॥

अजीब शख्स है ,फकत हँसता रहता है ,
गर खफा हो तो कह दो के खफा हो तुम ॥

"अर्श" पि के होश में आया न उम्र भर ,
वही मय हो वही मयकदा हो तुम ॥


प्रकाश "अर्श"
१७/०८/२००८

Tuesday, August 5, 2008

मुझको भी मिले प्यार तेरा जरुरी तो नही.....

मुझको भी मिले प्यार तेरा जरुरी तो नही ।
ऐसा हो इंतजार तेरा जरुरी तो नही ॥

दिल हमारा धड़कता है, तो अपनी मर्जी ,
दिल हो बेकरार तेरा जरुरी तो नही ॥

वो इक शख्स जो बैठा है अंजुमन में तेरे
मुझको हो दीदार तेरा जरुरी तो नही ॥

तुम्हारी जित में मिली है जिंदगी की खुशी ,
हो अबके हार तेरा जरुरी तो नही ॥

उम्र भर दिल को संभाले रखा "अर्श" तुमने
हो अब भी इख्तियार तेरा जरुरी तो नही ॥

प्रकाश "अर्श"
०५/०८/०८

Sunday, August 3, 2008

मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब .......

मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब मांग लो ।
कतरा कतरा पीता रहा मैं वो शराब मांग लो ॥

हर एक वरक पे लिखा है बस नाम तुम्हारा ,
ये वही किताब है ये किताब मांग लो ॥

कभी नफरत,कभी राहत, कभी नासेहा बना
वो एक शख्स है उसका आदाब मांग लो ॥

दस्ते-सहारा में जो लेके आया था चिराग ,
वो राहबर है मेरे पास लो जवाब मांग लो ॥

मैं मर भी जाऊँ मगर मुझसे न पूछना "अर्श"
जो भी करनी है अभी करलो ,हिसाब मांग लो ॥


प्रकाश "अर्श"
०३/०८/०८

नासेहा - उप्देसक ,दस्ते-सहारा =रेगिस्तान की रत,राहबर =रास्ता दिखानेवाला ॥

Saturday, August 2, 2008

साँस बाकि है अभी ......


साँस बाकि है, अभी जिंदगी का भरम रहने दो ।
वो आएगा मुजस्सम ,दिले -खुशफहम रहने दो ॥

डूब जाऊंगा ख़बर है , मगर हूँ सब्र-तलब ,
पार हो जाऊंगा ,यकीं है वो करम रहने दो ॥

किस्तों-किस्तों में कमाया है मैंने दर्द की जागीर ,
मुझे अजीज है वो ,मेरे पास मेरे गम रहने दो ॥

कल दफ़न कर देना मुझको , ऐ दोस्त मेरे ,
इतनी भी जल्दी है क्या ,थोडी शरम रहने दो ॥

टूट जाए न वादा जो निभाना था तुझे 'अर्श ' ,
आ भी जावो मेरे पास , वो कसम रहने दो ॥


प्रकाश 'अर्श '
०२/०८/०८
मुजस्सम =परिपूर्ण ,दिले-खुशफहम =दिल की खुशी ,सब्र -तलब =आस्वस्थ ....