सबसे पहले तो आप सभी को दीपावली की ढेरो शुभकामनाएं ! दीपावली के इस ख़ास पर्व पर चालिये सुनाता हूँ , एक ग़ज़ल ! उसी वादे के साथ की बह'रे ख़फ़ीफ़ से अलग किसी बह'र पर नई ग़ज़ल आपको सुनाउंगा ! तो चलिये सुनते हैं ऐसी ही एक ग़ज़ल ...
शुभ दीपावली
हम दोनों का रिश्ता ऐसा, मैं जानूँ या तू जानें!
थोडा खट्टा- थोडा मीठा, मै जानूँ या तू जानें !!
सुख दुख दोनों के साझे हैं फिर तक्सीम की बातें क्यों,
क्या -क्या हिस्से में आयेगा मैं जानूँ या तू जानें!!
किसको मैं मुज़रिम ठहराउँ, किसपे तू इल्ज़ाम धरे,
दिल दोनों का कैसे टूटा मैं जानूँ या तू जानें!!
धूप का तेवर क्यूं बदला है , सूरज क्यूं कुम्हलाया है ,
तू ने हंस के क्या कह डाला , मैं जानूँ या तू जानें!!
दुनिया इन्द्र्धनुष के जैसी रिश्तों मे पल भर का रंग,
कितना कच्चा कितना पक्का मैं जानूँ या तू जानें!!
इक मुद्दत से दीवाने हैं हम दोनों एक दूजे के ,
मैं तेरा हूँ तू है मेरा , मैं जानूँ या तू जानें!!
आप सभी का
अर्श