हाँ,वो ब्लू कमीज और काले रंग का पैंट पहन रखा था। यही पूछा था मेरे से ठाणे से किसी सिपाही ने अपने कांफिर्मेशन के लिए ॥ मेरे हाँ के जवाब में उसने मुझे ठाणे बुलाया कहा आपके दोस्त का दुर्घटना हो गया है। उसकी अकाल मृत्यु की ख़बर पते ही जैसे मेरे पैरों टेल ज़मीं निकल गई ॥ अपनी मोटर साइकिल चलाते वाक्क्त मेरा भी हाँथ कांप रहे थे ,किसी तरह से जब वहां पहुँचा तो सारी बातें साप्ह हो गई । ठाणे के सभी लोग काफी सहयोगी जैसे वर्ताव कर रहे थे सबसे ज्यादा साहिबाबाद ठाणे के सब-इंसपेक्टर तिलक चाँद जी जो शायद हमारे परेशानियों से अवगत थे काफी सहयोग दिया उन्होंने । ये वही शख्स था जिससे दोस्ती मेरी पहली दफा मैनेजमेंट कॉलेज में दाखिला के वक्ता हुआ था वो भी डेल्ही जैसे शहर में पहली दफा आया था बात चलते कहते वो मेरे अपने शहर के तरफ़ का ही निकला बहोत सारे सपने थे दोनों के आँखों में मगर अपनी अपनी जगह पे थे ॥ उसे अपनी बड़ी बहन की शादी के लिए लड़के धुन्धने थे वो बहोत बारी मेरे से इस बारे में चर्चा करा करता था । उसका एक छोटा भाई था जो एरोनोतिला इंगिनिओर था यही था मगर दोनों साथ नही रहते थे । उसका छोटा भाई जब भाई हमारे पास आकर अपने रूम पे जाता पैर छू के वो प्रणाम करता था। हम दोनों में काफी बरी झगरे भी होते थे मगर वो भी गुस्सा सारे पानी के बुलबुले की तरह होती थी । अक्सर हम भविष्य की रुपरेखा तैयार करते थे । हमने एक कंपनी भी सोंची थी खोलने की मगर वो खवाब अधुरा रह गया॥ अभी उसके देहांत के लगभग मुश्किल से १६ दिन ही हुए थे मेरी आँखे और मेरे कान भरोषा नही कर प् रहे थे जो मैंने सुना था॥ वो अक्सर मेरे ग़ज़लों को सुनता था और सराहा करता था ,हाँ मगर वो सबसे बड़ा मेरा आलोचक भी था ,मुझे अच्छा भी लगता था ॥ उसकी अन्तिम बिदाई में भी मुझे इतना दुःख नही हुआ जब मैंने मानवता कान ऐसा गन्दा खेल देखा शायद उस वक्त वो उसे पानी के लिए नही पूछा रहा होगा जब वो कराह रहा होगा उसे तो उसके बटुए की पड़ी थी जिसमे उसके कार्ड्स थे । हमने सोंचा लोग कितने अच्छे है मगर मेरा दुःख उस समय और ज्यादा बढ़ गया जब उसके मृत्यु कोई १६ दिन बाद ही उसके क्रेडिट कार्ड कां बील आया । वो भी स्वपे उसके मृत्यु के दो दिन के बाद किया गया था । मेरी ऊपर वाले से यही प्रार्थना है के मेरे दोस्त के आत्मा को शान्ति दो और उस शख्स को इतनी बरकत दो जिसे ये जरुरत पड़ती है के वो किसी का मरने का वेट करे और उसका बतुया उठाये और अपना जीविका चलाये॥ मैंने कसैओं के बारे में तो सुना था मगर ये कौन था ...
हमेशा उसके स्मृति में
प्रकाश "अर्श"
१७/०९/2008
"read your post about your frnd and feeling a deep pain inside, inspite of not knowing him personally. wish his soul to get peace in heaven. ya rightly said, humanity is lost somewhere as the credit card incident is very very shameful..."
ReplyDeleteRegards
hmmmmmmm log kitna gir gaye hai
ReplyDeleteye kahna chahiye
yaa ki kitna mazboor raha hoga koi ki uski aatama mar gayi hogi
ye to wo hi jane jisne ye kiya hai
bhaut dukh bhara lekh tha
ऒह.........
ReplyDeleteमुझे भी अपने दुख में शामिल समझिये..
अर्श जी,
ReplyDeleteबहुत दुःख हुआ यह सब जान कर की एक अच्छे इंसान की अकाल मृत्यु के बाद उसके अपने सगे संबंधियों और मित्रों पर क्या वज्रपात होता है,परन्तु उससे भी ज्यादा दुःख होता है ये जान कर की इंसानियत की भी अकाल मृत्यु हुई जा रही है, क्रेडिट कार्ड के दुरूपयोग की घटना वाकई बहुत बुरी है.संवेदनाओं सहित
I am always with you. Don't be sad!
ReplyDeleteजिंदगी कितने रंग समेटे रखती है अपने भीतर ...ऐसे वाक़ये जैसे आइने की तरह होते है
ReplyDeleteअर्श जी,सच मॆ बहुत मार्मिक है यह सब।
ReplyDeleteजीवन के कड़ुए यथार्थ से रूबरू कराया है आपने।
ReplyDeleteThanks for your comments on my blog. Appreciate it.
ReplyDeletedunia mein har tarah ke log hai aaj bhi insano ke roop mai pashu vicharte hai is dharti par.
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