एक बस तू ही नहीं मुझसे खफा और भी है ।
इक मोहब्बत के सिवा वादे-वफ़ा और भी है ॥
चोट खाया, तो समझ आई, के मुज़रिम हूँ मैं
दिल ने फ़िर मुझसे कहा देखलो जा और भी है ॥
तुझे अज़ीज़ है सिम-ओ-जर तो मुबारक हो तुझे
तुमसे गिला क्या करें जहाँ मेरे सीवा और भी है ॥
मैं हूँ महरूम ,मरहूम ,मरहम न लगा "अर्श"
सोंच लो जुल्म-ऐ-मोहब्बत की सजा और भी है ॥
"अर्श"
२६/१०/२००८
सिम-ओ-जर=धन दौलत ,जा = जगह
चोट खाया, तो समझ आई, के मुज़रिम हूँ मैं
ReplyDeleteदिल ने फ़िर मुझसे कहा देखलो जा और भी है ॥
बहुत ख़ूब!
achhi racna
ReplyDeleteआपके परिवार, मित्रों एवं ब्लाग-मंडली को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
--YOGENDRA MOUDGIL N FAMILY
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteदीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ख़ूब...अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...
ReplyDeletemere new blog pe aapka sawagat hai......
ReplyDeletehttp://numerologer.blogspot.com/
इस मोहब्बत के सिवा वादे वफ़ा ओर भी है.........
ReplyDeleteवाह साहब !बहुत अच्छे ...कुछ छोटी मोटी स्पेलिंग सुधार ले....लुत्फ़ ओर बढ जायेगा
अनुराग जी आप मेरे ब्लॉग पे आए बहोत अच्छा लगा आप सभी तो प्रेरणाl श्रोत हो .. जैसा की आपने कहा मैंने अपनी गलती सुधर ली है ... आपका बहोत बहोत आभारी हूँ ,,
ReplyDelete