मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब मांग लो ।
कतरा कतरा पीता रहा मैं वो शराब मांग लो ॥
हर एक वरक पे लिखा है बस नाम तुम्हारा ,
ये वही किताब है ये किताब मांग लो ॥
कभी नफरत,कभी राहत, कभी नासेहा बना
वो एक शख्स है उसका आदाब मांग लो ॥
दस्ते-सहारा में जो लेके आया था चिराग ,
वो राहबर है मेरे पास लो जवाब मांग लो ॥
मैं मर भी जाऊँ मगर मुझसे न पूछना "अर्श"
जो भी करनी है अभी करलो ,हिसाब मांग लो ॥
प्रकाश "अर्श"
०३/०८/०८
नासेहा - उप्देसक ,दस्ते-सहारा =रेगिस्तान की रत,राहबर =रास्ता दिखानेवाला ॥
कभी नफरत,कभी राहत, कभी नासेहा बना
ReplyDeleteवो एक शख्स है उसका आदाब मांग लो ॥
वाह कमाल का शे'र है! बधाई!
nazar sahab is nazar ke liye khas taur se shukriya......dhanyawad.....
ReplyDeleteregards
"Arsh"
मैं मर भी जाऊँ मगर मुझसे न पूछना "अर्श"
ReplyDeleteजो भी करनी है अभी करलो ,हिसाब मांग लो ॥
bhut badhiya.