Saturday, August 2, 2008

साँस बाकि है अभी ......


साँस बाकि है, अभी जिंदगी का भरम रहने दो ।
वो आएगा मुजस्सम ,दिले -खुशफहम रहने दो ॥

डूब जाऊंगा ख़बर है , मगर हूँ सब्र-तलब ,
पार हो जाऊंगा ,यकीं है वो करम रहने दो ॥

किस्तों-किस्तों में कमाया है मैंने दर्द की जागीर ,
मुझे अजीज है वो ,मेरे पास मेरे गम रहने दो ॥

कल दफ़न कर देना मुझको , ऐ दोस्त मेरे ,
इतनी भी जल्दी है क्या ,थोडी शरम रहने दो ॥

टूट जाए न वादा जो निभाना था तुझे 'अर्श ' ,
आ भी जावो मेरे पास , वो कसम रहने दो ॥


प्रकाश 'अर्श '
०२/०८/०८
मुजस्सम =परिपूर्ण ,दिले-खुशफहम =दिल की खुशी ,सब्र -तलब =आस्वस्थ ....

5 comments:

  1. अर्श साहब बहुत ख़ूब!

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  2. sundar rachana ke liye badhai. jari rhe.

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  3. क्या बात कही है - मेरे पास मेरे गम रहने दो... वाह! वाह!!

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  4. aap sabhi ka protsahan utsahit karta hai .....dhanyawad.......


    regards

    "Arsh"

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