एक बार फ़िर आप सभी के पास हाज़िर हूँ ...कुछ खास भूमिका बनाये बगैर आप सब के बीच ग़ज़ल को छोड़ रहा हूँ पुचकारिये दुलारिये और अगर प्यार और आर्शीवाद के काबिल है तो प्यार और आर्शीवाद भी जरुर दें खूब बिलेलान होकर .... मतले का मिसरा सानी में सहायक भूमिका में बहन कंचन जी का थोड़ा बहुत हाथ है, मगर जान और साँस फूंकी है परम आदरणीय गूरू देव श्री पंकज सुबीर जी ने ........ मगर सबसे पहले उस नायाब कहानी को जरुर पढ़ें ...साहित्य जगत में धूम मचाने वाली कहानी ....... महुआ घटवारिन
एक शाम जब दर्पण का मैंने अपहरण किया
बह'र .... २१२२-२१२२-२१२
रिश्ते नातों का यही किस्सा हुआ
रेत का घर रेत पर बिखरा हुआ ॥
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
बह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ ॥
रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥
तिनके तिनके से बनाया घोसला
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ॥
फन मेरा जो दिख रहा है आजकल
सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥
देखकर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ ॥
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
अजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
मेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
प्रकाश'अर्श'
१०/११/२००९
रेत का घर रेत पर बिखरा हुआ ॥
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
बह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ ॥
रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥
तिनके तिनके से बनाया घोसला
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ॥
फन मेरा जो दिख रहा है आजकल
सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥
देखकर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ ॥
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
अजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
मेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
प्रकाश'अर्श'
१०/११/२००९
मुझे तो ये समझ नहीं आ रही कि किस किस शेर की तारीफ करूँ मुझे तो आज तक की गज़लों मे ये लाजवाब गज़ल लगी। अभी ये कमेन्ट नहीं है कमेन्ट के लिये बाद मे आती हूँ बस पढ कर अपनी खुशी नहीं रोक सकी इस लिये दो शब्द कह कर जा रही हूँ दोपहर को आती हूँ आशीर्वाद्
ReplyDeleteरेत का घर रेत पे बिखरा हुआ
ReplyDelete............................
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ
बहुत बढ़िया ...बढ़िया ग़ज़ल
सुन्दर, पहला शेर बहुत पसंद आया !
ReplyDeleteदेखकर सूरज भी शरमा जाएगा
ReplyDeleteनथ का मोती इस कदर चमका हुआ....ultimate....
जब तलक रोका था तो कतरा था ये,
ReplyDeleteबह पड़ा तो देखिये कतरा हुआ।
हम्म्म्म्..... ये तो मेरे मन की बात है.....!!!!!
वाह भाई आपका तो हर शेर हर शब्द बोलता है आपने अपनी कला को खूब निखारा है इन शब्दों से.........
ReplyDeleteमाफ़ी चाहूंगा स्वास्थ्य ठीक ना रहने के कारण काफी समय से आपसे अलग रहा
अक्षय-मन "मन दर्पण" से
तिनके तिनके से बनाया घोंसला /टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ....हर शेर लाजवाब है ...यह बहुत पसंद आया शुक्रिया इस खूबसूरत गजल को शेयर करने के लिए
ReplyDeletebadhai arsh sahb!iss gazal ka to her sher mukkammal hai.wah ke siwa kya kahun.agar aap dusron ke bhi blog dekhte hain to meri new post per bhi nazar daliyega.shukriya.
ReplyDeletemind blowing and very nice poetry
ReplyDeleteजब तलक रोका था तो कतरा था ये
ReplyDeleteबह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ
सुभान अल्लाह...क्या खूब कहा ....हीरा आदमी हो यार ..
जब तलक रोका था तो करता था ये .........
ReplyDeleteक्या खूब कहा है प्रकाश जी ....... अक्सर दर्द का आवेग बहूत तेज़ होता है ..........
रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो ......
अगर इतनी आसानी ले वो बतला दें तो रूठने को हसीन अदा कोई क्यों कहेगा .......
सब शेर कमाल के हैं ............ और दर्पण जी और आप तो कमाल के दिख रहें हैं ........
अच्छी ग़ज़ल अच्छे शेर । देर आयाद दुरुस्त आयद । कम लिखो अच्छा लिखो ।
ReplyDeleteजब तलक रोका था तो कतरा था ये ... बहुत ही खूबसूरत शब्द रचना, हर शेर एक से बढ़कर एक, बधाई के साथ शुभकामनायें ।
ReplyDeletejab talak .... dariya hua
ReplyDeletebahut achchhe sher, bahut achchhi ghazal
dil ke pass hae sab sher . lajbaab
ReplyDeletesunder but this one is my fav
ReplyDelete"रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥"
सन्डे था...
ReplyDeleteजब हमारे हिंद-युग्म की मीटिंग में होने के कारण आप अकेले jhon का किडनेप करने में कामयाब हो गए
वरना वरना इस फोटू में हम भी होते ....
तो jhon ने अपनी शेव कम करा ही ली....
रेड & ब्लैक का काम्बिनेशन ....!!
एनलार्ज करके देखने में अलग ही मजा है....
और हाँ,
देख कर सूरज भी शर्मा जाएगा..
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ...
ये शे'र फिर शक paidaa कर rahaa है बालकनी waali कविता par...
kanagan वाले शे;र par...
सन्डे था...
ReplyDeleteजब हमारे हिंद-युग्म की मीटिंग में होने के कारण आप अकेले jhon का किडनेप करने में कामयाब हो गए
वरना वरना इस फोटू में हम भी होते ....
तो jhon ने अपनी शेव कम करा ही ली....
रेड & ब्लैक का काम्बिनेशन ....!!
एनलार्ज करके देखने में अलग ही मजा है....
और हाँ,
देख कर सूरज भी शर्मा जाएगा..
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ...
ये शे'र फिर शक paidaa कर rahaa है बालकनी waali कविता par...
kanagan वाले शे;र par...
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
ReplyDeleteअजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
मेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
bahut uttam , sabhi sher behatareen,padh kar bhala laga. shubhkaamnayen.
ैअरे ये दर्पन है? मुझे तो कोई लडकी लग रही है सिर के उपर रिबन बाँध रखा है? वाह बेटा हमे बताया ही नहीं हा हा हा ।
ReplyDeleteमेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
मुझे to पहले ही शक था कि बेटा अब ग्या काम से
देख कर सूरज भी शर्मा जाएगा..
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ...
ये क्या हो रहा है ापने आप आधा कमेन्त पुब्लिश हो जाता है इसे देखो
ReplyDeleteतो मैं क्या कह रही थी? हाँ
ReplyDeleteदेख कर सूरज भी शर्मा जाएगा..
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ...
कहीँ तुम तो नहीं शःार्मा गये थे?????????? मेरा बेटा शर्मीला है न
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
अजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
वाह वाह बधाई और बहुत बहुत आशीर्वाद इस शेर के लिये।
"रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥"
ये बात समझने की होती है पूछने की नहीं शेर लाजवाब है
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
बह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ
इस के लिये निशब्द हूँ बहुत खूब । वैसे ये पूरी गज़ल ही मुझे बहुत अच्छी लगी बाकी के शेर भी लाजवाब हैं । नकल मारती हूँ । बहुत बहुत आशीर्वाद और सुबीर जी को बधाई तुम्हें तराशने के लिये
ab aap vakai acchaa likhne lage-bdhyee
ReplyDeleteshyam skha shya
achchhi ghazal hai sabhi sher lazabaab.tinke tinke se banaya ghosala toot kar bikhara to tinka hua bahut sunder sher badhai ho Arsh ji.
ReplyDeleteChandrabhan Bhardwaj
अहा! बेमिसाल है प्रकाश मियां...बेमिसाल !!
ReplyDeleteमतला ही कहर ढ़ा रहा है, फिर दूसरे शेर के अंदाज़े-बयां के क्या कहने। पुरानी बात लेकिन "अर्शाना" अंदाज़...old wine in new bottle का टेस्ट ही अलग हो जाता है। दिल से दाद इस खास शेर पर!
...और ये शेर तो हाय रेssss "फन मेरा जो दिख रहा है आजकल/सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ"...मुनव्वर राना की झलक दिखलाता हुआ कि मन करे मेरा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़! लेखनी अपने चरम पर है दोस्त तुम्हारी, इतनी कि जलन हो रही है।
फिलहाल इतना ही, एक-दो शेर और हैं तारीफ़े-काबिल...लेकिन अलग से आता हूँ। एक ही टिप्पणी में इतनी तारीफ़ से फट न जाये ये कमेंट-बाक्स- उसका भी तो ख्याल रखना पड़ेगा?
bahut hi achchee ghazal kahi hai Arsh.
ReplyDeleteSabhi sher ek se ek!
Akhiri sher khaas pasand aaya.
yah aap ki behtreen ghazalon mein shamil ho gayee hai.
'रिश्ते नातों…'
ReplyDelete'जब तलक…'
'तिनके तिनके…'
एक से बढ़ कर एक। बधाई। हाँ! छठवां शेर अच्छा होते हुए भी बाकी ग़ज़ल के मिजाज़ से मेल खाता सा नहीं लगता।
Ek aashiyaan bikhra hua..lekin ant padhke achha laga...ek ajnabi apna to hua...! Yaa apna-sa laga..
ReplyDeleteEk aashiyaan bikhra hua...lekin jo ajnabi tha apna hua...udasi ke saath ek ummeed ki kiran..
ReplyDeleteBehtareen ashar hain..!
har sher behtarin hai.......ek baar fir behad umda ghazal...waah...
ReplyDeleteGAZAL ACHCHHEE LAGEE HAI.AAP KHOOB UNNTI KAR
ReplyDeleteRAHE HAIN.KAHTE HAIN KI 7 SHERON
WAALEE GAZAL MEIN 3 SHER HEE ACHCHHE HON TO
GAZAL KAAMYAAB HAI LEKIN EKAADH SHER KO CHHOD
KAR AAPKE SABHEE SHER UMDAA HAIN.BADHAAEE AUR
SHUBH KAMNA.
bahut accha likha hai
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteये बहर तो मुझे वैसे भी बहुत पसंद है और आपने जिस खूबसूरती से अपने जज़्बात लफ़्ज़ों में ढाले हैं, सराहनीय हैं. बेहद नफ़ीस खयालात हैं. तगज़्ज़ुल की दृष्टि से आखिरी शेर में हलकी से गुंजाइश है. वैसे सही बात यह है कि ग़ज़ल में आनंद आगया.
महावीर शर्मा
sahi likha hai aapne.... hmm...
ReplyDelete"फन मेरा जो दिख रहा है आजकल
सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥"
achhi ghazal hai bhaiya...
अर्श जी सभी शे'र नायब हैं .....ये तो छू गया ...
ReplyDelete.तिनके-तिनके से बनाया घोंसला
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ
वाह ....लाजवाब.....!!
देखकर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ
ओये होए ....नथ पहनती है क्या .....????
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
बह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ
सुभान अल्लाह........!!
" ऐ जी.".... गज़ब ढा दिया आपने तो ..... !!!!!!
सभी शेर खूबसूरत.....लाजवाब...बेमिसाल...धमाल...बवाल...etc.etc.
ReplyDeleteलेकिन मेरा बचवा सबसे खूबसूरत...
आपका शुक्रिया.....बचवा का अपहरण आपने किया...
वर्ना ये तस्वीर हम कहाँ देख पाते.....
आप भी dashing लग रहे हैं...
लेकिन बचवा से कम....आई ऍम सॉरी !!
जय हिंद....
बचवा की aDaDi...
रिश्ते नातो को निभाना यकीनन बहुत मुश्किल है. बहुत बार हम भ्रम मे जी रहे होते है.
ReplyDeleteडा कुवर बेचैन कहते है -
जिनके लिये रातो मे घुट घुटकर रोते है
वो अपने सिफ़िस्ता मे आराम से सोते है
हर शेर आपकी गज़ल का बेशकीमती है
तिनके तिनके से बनाया घोंसला
ReplyDeleteटूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ
क्या कहूँ अर्श भाई...हैरत में पढ़ गया हूँ...किन लफ्जों में इस ग़ज़ल की तारीफ़ करूँ???. गुरुदेव पारस पत्थर ही हैं जो अपने स्पर्श मात्र से ग़ज़ल को स्वर्णिम बना देते हैं...लेकिन इस में आपका हुनर भी कोई कम नहीं...नींव मजबूत न हो तो कोई भी कुशल कारीगर उसपर खूबसूरत इमारत नहीं बना सकता...आप को पढता रहता हूँ और देख रहा हूँ की अब आपकी कलम बेहद खूबसूरत अशार कहने लगी है...मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें..
आप की ये ग़ज़ल मेरी नज़र से कैसे चूक गयी...पता नहीं ..लेकिन इस देरी से आने के लिए शर्मिंदा हूँ...आपने याद दिलाया इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया...
नीरज
बहुत खूब लिखा है आपने..
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
वाह अर्श जी वाह.... खूब शेर निकाले हैं आपने... बधाई..
ReplyDelete''अर्श'' पे जगमग तारे देखे तो हमको मालूम हुआ.
ReplyDeleteऔर भी हैं फनकार बहुत 'शाहिद' गज़लों की दुनिया में..
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
ReplyDeleteबह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ ॥
waah waah
रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥
तिनके तिनके से बनाया घोसला
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ॥
bahut sach
फन मेरा जो दिख रहा है आजकल
सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥
ahaaaaaaa ye pate ki baat hai
देखकर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ ॥
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
अजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
kya baat hai
मेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
bahut khoobsurat gazal
Muflis to Arsh
ReplyDelete@ अर्श भाई .....
इतनी खूबसूरत ग़ज़ल ....
और मैं इतनी देर से आ पाया पढने को ):
देख कर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस क़दर चमका हुआ
इस शेर की चमक सूरज-चाँद की
रौशनी से कहीं ज्यादा फ़ैल रही है ....और
जो हरकीरत जी ने कहा ....
"ओये...होए...नथ पहनती है कया....!!"
ठीक ही कहा
मन के नफ़ीस खयालात को बहुत ही
खूबसूरत अल्फाज़ मैं ढालने का हुनर
साफ़ झलक रहा है
जब तलक रोका था तो क़तरा था ये
बह पडा तो देखिये दरिया हुआ
इस शेर पर तो जान निसार ......
जाने कितने दिलों मैं छिपी बात को
कह डाला है आपने जनाब ....
हासिल-ए-ग़ज़ल शेर है
बस ...इसी तरह क़हर ढाते रहो ....
दर्पण और तुम्हारी तस्वीर देख कर अंदाजा हो
रहा है कि......
'बात क्या-क्या हुई , शाम कैसे कटी..."
ढेरों दुआओं के साथ ,,,
'मुफलिस'
ओये होए .....जी तुसीं ते अजे तक नथ का मोती उतारा ही नहीं......????
ReplyDeleteMujhe maaf karna (jaanta hoon ki tum maaf nahi karte)
ReplyDelete(Baat teri soonunga nahi, Baat phir bhi kaho zindagi ki tarz par)
ki itne dino se aapke (for that maater kisi bhi blog pe) comment nahi kar paiya Par padha kai baar hai ye aap bhi jaate hai.
Ek to nimn she'r ki wajah se aur doosra pankaj sir aur meri pehli chaphi ghazal ke link tak jaane ke liye:
"jab tak roka tha to katra tha ye.."
chipka hua hai...
un kuch sheron ki tarah....
"Aji SunTe ho (kab release ho rahi hai?)" ya "ye kaise log hai?" ya "shukr hai tune mujhe hasiye main rakha..."
na jaane kya baat hai is she'r main ki tarif ke liye agar kuch likhta hoon to sooraj ko diya dikhane wali baat ho jaiyegi...
ek buri baat hoti hai is tarah ke she'r main ki kitni hi behterin ho ghazal baaki she'r baune lagte hai....
(Wo science main padha tha ek concept shayad ohm's law tha ki urja jahan se utpaan hoti hai baad main usi kshrot ka virodh karne lag jaati hai)
baaki aDaDi ne sahi kaha ye smart sa chora kaun hai apki photu main?
वैसे तो सब पंक्तियां ही अपने आप में अद्भुत है ………लेकिन घॊसले का बिखर कर फिर से तिनका हो जाना मन मोह गया !
ReplyDeleteअर्श भाई,इतनी दिक्कत तो मुझे कभी किसी पोस्ट पर कमेंट करने में नहीं हुई। कई दिनों से सिर्फ़ शब्द ढूंढ रहा हूं, तारीफ़ करने को....दिलोदिमाग पर छा जानेवाली लाजवाब गज़ल के लिये शुक्रिया।
ReplyDeleteफिर से आया था ग़ज़ल का लुत्फ़ लेने...हरकीरत जी की दूसरी टिप्पणी पढ़ कर हँसते-हँसते बुरा हाल है...
ReplyDeleteबहुत खूब, माशा अल्लाह.. मजा गया।
ReplyDeleteफन मेरा जो दिख रहा है आजकल
ReplyDeleteसब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥
क्या बात है!!
तिनके तिनके से बनाया घोसला
ReplyDeleteटूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ॥
यही तो कडवी सच्चाई है और फिर ---
देखकर सूरज भी शरमा जाये ----
एहसासो और जज्बातो का सिलसिला सा लगा
बहुत करीबी और बेहद खूबसूरत रचना
सुंदर अति सुंदर
ReplyDeleteइसे हम ग़ज़ल नहीं, दरिया-ए-नूर कहेंगे, प्यारे अर्श भाई। आपने एक एक शेर को इस तरह तराशा है जैसे ख़ूबसूरत हीरे हों। क्या बात है ! अहा! बुज़ुर्गों की बात करके जो नथ का मोती लगाया है न आपने, बस यही तो कमाल है अर्श। ग़ज़ल सजाना आपको आ ही गया। बहुत सुन्दर। तिनके वाले शेर ने तो .......ना ना कुछ न कहेंगे हम, नज़र लगेगी हमारे प्यारे भाई को। हा हा। अच्छा अर्श इस शेर को हम कैसा पढ़ते मालूम :-- देखिए
ReplyDeleteतिनके तिनके से बनाया घोंसला
टूट कर बिखरा, न फिर तिनका हुआ। कुछ बदला सा लगा न ?
आपको ढेर सारी शुभकामनाओं सहित।
आपके गुरूजी को सादर नमन और आभार। उनसे कहिए कभी कभार हमारे घर भी पधारा करें। क्या हम उनके स्नेह और सानिध्य के अधिकारी नहीं ?
arshji,
ReplyDeleteApaharan ke baad is gazal ka paardurbhav hua yaa pahle? baad me hua to bhai, ese apaharn roz kiya karo..ham to kahte he darpanji ko ghar hi rakh lo...kher.
sach me maza aa gaya. chamtkrat hu aapke she'ro ki jadugari se.
" fun mera jo....,
kamal ka she'r he arshji, mujhe pata nahi kyu jab bhi bujurgo se prapt yaa unse li gai seekh par kuchh padhhne ko milta he..to sukoon milta he/ vese tamaam she'r bemisaal he.
लो जी हम तीसरी बार आ गए ....और ये नथ का मोती अभी भी बहाल है ....खैर सुबीर जी कहानी '' महुआ घ्ट्वारिन '' ज्ञानोदय में भी पढ़ी तुरंत sms किया ...जवाब आया ...'' इस कहानी से मुझे बहुत लगाव है '' ...अब इस लगाव का कारण ढूँढने के लिए कहानी दो बार पढ़ लिए ...कुछ कुछ उनके जीवन से जुडी सी लगी ...वैसे घटनाएं सभी आस-पास की होती हैं तभी इतनी गहराई से लिखी जाती है ....सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई ....!!
ReplyDeleteDobara aayi aur phir ek baar rachna ka aanand liya!
ReplyDeleteBahut khoob...ati sundar..shabdon ka chunaav
ReplyDeleteBahut achhi gajal lagi. Yah dekha bahut achha lagata hai ki blog par hindi mein bahut achhi gajalen likhi ja rahi hain.....
ReplyDeleteभैया दिल ले गए आप. और नहीं तो क्या.
ReplyDeleteक्या. शे'र और क्या ग़ज़ल.
आज की शाम बना दी आपने.
uffffffffffffffff !!!!!!! गजल है कयामत? अर्श, तुम तो वाकई अर्श हो. मैं हालाँकि बहुत दिनों के बाद आया हूँ लेकिन देरी इतनी मुफीद साबित होगी, इसका अंदाज़ा नहीं था. मैं किस-किस शेर की तारीफ करूं, किस-किस बंदिश की तारीफ करूं, निःशब्द (अमिताभ जैसा नहीं) हो गया हूँ. अगर ईमान से बोलूँ तो यह कहने में मुझे झिझक या शर्म नहीं कि ईर्ष्या से बुरी तरह जल-भुन गया हूँ. यह बताओ, इतने दिनों तक क्या खाया-पिया? मैं भी ऐसा ही बेहतरीन लिखना चाहता हूँ. क्या अपना रहस्य खोलोगे?
ReplyDeleteबहुत खूब ग़ज़ल कही है...
ReplyDeleteरेत का घर रेत पर बिखरा हुआ....
बहुत खूब ..
मन के भावों को आपने बहुत ही सहजता से बयां कर दिया है। बधाई।
ReplyDelete------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
तारीफ़ के लिए अलफ़ाज़ नहीं मिल रहे जनाब... आप की इजाज़त से इतना और कह लूं ... मेरे घर आना जिंदगी ...
ReplyDeletelagtaa hai miyaan..
ReplyDeleteaap to nayaa sal darpan ke saath hi manaaoge...
:)
अर्श भाई....
ReplyDeleteजफ़र का ये शेर आज परेशान कर रहा है...
हम ही उन को बाम पे लाये और हमीं महरूम हुए.. ...........
सुनिए...
12:00 AM
MUFLIS: ek aur sher haazir है
ढलेगी शाम तो वापिस वहाँ ही जाओगे
न सोच बंदिशें कैसी हैं, और घर कैसा
pahli baar apke blog par aayi...kamaal ka likhte hai aap...subhkamnayen
ReplyDeleteTinka Tinka......wah kya khoob! Haqiqat hai ! Holi ki Shubhkamanayen !
ReplyDelete