कितने दिन और बचें है जिंदगी में मेरे ,
मैं करके बैठा हूँ हिसाब दिल्लगी में मेरे॥
मैं हूँ एक शर्त ,लगावो हार भी जावो अगर,
मुझको ना होगा कोई गम है सादगी में मेरे ॥
वो आयेंगे ,ना आयेंगे इसी तलातुम में हूँ ,
देखता हूँ क्या असर है बंदगी में मेरे ॥
टुकडो टुकडो से बनाई थी एक तस्वीर "अर्श" ने ,
वो आशना भी दूर खड़ा है अजनबी में मेरे ॥
प्रकाश"अर्श"
२४/०५/2008
मैं करके बैठा हूँ हिसाब दिल्लगी में मेरे॥
मैं हूँ एक शर्त ,लगावो हार भी जावो अगर,
मुझको ना होगा कोई गम है सादगी में मेरे ॥
वो आयेंगे ,ना आयेंगे इसी तलातुम में हूँ ,
देखता हूँ क्या असर है बंदगी में मेरे ॥
टुकडो टुकडो से बनाई थी एक तस्वीर "अर्श" ने ,
वो आशना भी दूर खड़ा है अजनबी में मेरे ॥
प्रकाश"अर्श"
२४/०५/2008
really nice one....I hope among all..
ReplyDeleteटुकडो टुकडो से बनाई थी एक तस्वीर "अर्श" ने ,
ReplyDeleteवो आशना भी दूर खड़ा है अजनबी में मेरे ॥
शानदार रचना जानदार अभिवयक्ति