मेरी मोहब्बत की वफ़ा तुम हो ,
मेरी बंदगी, मेरी दुआ तुम हो ॥
हर एक वरक पे है दास्ताँ हमारी ,
मैं सब हूँ मेरी वाक्या तुम हो ॥
आज हरतरफ दिख रही है खामोशी,
शुक्र है में हूँ,मेरी जुबान तुम हो ॥
तुम हटाना ना रूख से परीशां जुल्फें ,
मैं मर ही जाऊंगा यूँ नशा तुम हो ॥
मैं दुआ करूँ मगर हर्फे-दुआ काया हो ,
"अर्श"जब कहे मेरी अंदाजे-नवा तुम हो ॥
प्रकाश "अर्श"
०१/०७/2008
मेरी बंदगी, मेरी दुआ तुम हो ॥
हर एक वरक पे है दास्ताँ हमारी ,
मैं सब हूँ मेरी वाक्या तुम हो ॥
आज हरतरफ दिख रही है खामोशी,
शुक्र है में हूँ,मेरी जुबान तुम हो ॥
तुम हटाना ना रूख से परीशां जुल्फें ,
मैं मर ही जाऊंगा यूँ नशा तुम हो ॥
मैं दुआ करूँ मगर हर्फे-दुआ काया हो ,
"अर्श"जब कहे मेरी अंदाजे-नवा तुम हो ॥
प्रकाश "अर्श"
०१/०७/2008
bhut sundar.badhai ho.
ReplyDelete