Saturday, August 30, 2008

हज़ार बातें कही थी तुमने.......

हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत , वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने॥

हमारे दिल का ,वो एक कोना
कोई काट कर ले जा रहा है
वही जिन्दा बचा था
अबतक
जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने ॥

मोहब्बत सज़ा है
मैं मान लेता
मगर साँस कायम है
अबतक उसी से
हज़ार बातें कही थी तुमने
हज़ार खावोहिश दबी है दिल में
वही मोहब्बत, वही आरजू है
जो खवाब आंखों में दिखाई थी तुमने ॥

प्रकाश "अर्श"
३०/०८/२००८

6 comments:

  1. it's amazing, arsh saab!

    ReplyDelete
  2. वाह... सुंदर... भावपूर्ण कविता...
    आपको बधाई...

    ReplyDelete
  3. हमारे दिल का ,वो एक कोना
    कोई काट कर ले जा रहा है
    वही जिन्दा बचा था
    अबतक
    जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने
    "ah! so painful, touched deep some where..."
    Thanks for your fair suggestion on my poem"

    Regards

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर गीत लिखा है अर्श जी आपने सच में इसे गुनगुना रहा हूँ मै


    मोहब्बत सज़ा है
    मैं मान लेता
    मगर साँस कायम है
    अबतक उसी से
    .........बहुत ही सच्ची बात लिखी है ,धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. प्रकाश जी,बहुत ही भावपूर्ण रचना है।

    हमारे दिल का ,वो एक कोना
    कोई काट कर ले जा रहा है
    वही जिन्दा बचा था
    अबतक
    जिसको ज़िन्दगी दिखाई थी तुमने ॥

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...