सच कहूँ तो आजकल ठीक से नींद नहीं आती , पता नहीं किस ख़ाब को हक़ीकत होते देख लिया है मैंने ! हाँ सच ही तो है और ये बात है उस जगह की जहां साहित्य की सरिता बहती है, जिसे मैं सीहोर कहता हूँ ! ८ तारीख मेरे जीवन का सबसे हसीन या स्वर्णिम क्षण कह सकते हैं जब गुरु जी , जिनसे मैं ग़ज़लों की बारीकियां सीखता हूँ , और जनाब बशीर बद्र जिनको शुरू से पढता आया हूँ के दर्शन हुए ! उस एक पल को जिस तरह से मैं जी रहा था उसके लिए उपयुक्त शब्द तो नहीं हैं मेरे पास बस मैं अपने सपने को हक़ीकत में जी रहा था , इतना ही कहूँगा ! जनाब बेकल उत्साही और राहत इन्दौरी साहब जैसे उस्ताद शाईरों से मिलना और उनसे बातें हो जाना अपने आप में शौभाग्य की बात है ! मैं सच कहूँ तो ये सारी खुशियाँ अभी तक समेट नहीं पा रहा पूरी तरह से !
अपने सबसे चहेते शाईर जनाब बशीर बद्र के साथ
जनाब बेकल उत्साही और हठीला जी
राहत साहब के साथ हम चारो
उस एतिहासिक कार्यक्रम के बारे में तो हर तरफ चर्चाएँ हुई हैं और सभी ने खूब तारीफें की है , मगर उसके बाद एक और छोटा सा कार्यक्रम किया गया था जो प्रसिद्ध गीतकार आदरणीय हठीला जी के यहाँ हुआ !
गुरु जी कविता पाठ करते हुए
दुसरे दिन का यह कार्यक्रम यूँ कहें के निज़ी तौर पे था , जहां हमें साक्षात् रूप में गुरु जी को सुनने का मौक़ा मिला , सच कहूँ तो ये पल सारे ही पलों से अविस्मरनीय था, जब गुरु जी को सुन रहा था ! सच कहूँ तो शुद्धरूप से सरस्वती उनके कलम की नोक पर और आवाज़ में कंठ में बस्ती हैं ! गुरु जी को साक्षात् सुनना अपने आप में गौरव और भाग्य की बात है !
गुरु भाई रवि , अंकित, और वीनस
इस छोटे से आयोजन में सभी लोगों ने सिरकत किये जहाँ मुझे अपने गुरु भाईयों , जिसमे भाई रवि, अंकित और वीनस को सुनने का मौक़ा मिला वहीँ श्री रमेश हठीला और बड़ी बहन मोनिका हठीला को सुन मन गदगद हो गया ! मंच का संचालन अंकित ने संभाला जो वाकई अपने आप में एक साहस की बात है , पहली दफा सभी को सुनना अपने आप में सुखद अनुभूति कहे तो सार्थक बात होगी !
जिस तरह से रवि भाई गीत लिखते हैं और गाने में अपनी पूरी हक़ अदा करते हैं उसी तरह से वीनस और अंकित भी अपने शेरियत में कोई कसर नहीं छोड़ते !
फिर कुछ नए लिख्खाड़ों को सुनने का भी मौक़ा मिला जिन्हें सुन सभी रोमांचित हो रहे थे !
जन्म दिन की विशेष बधाई
इसके बाद का समय था अंकित के जन्म दिन को मनाने का , खूब हंगामा किये हमने और खूब जश्न मनाये , एक शुद्ध मिठाई थी जो मूलतः गुजरात से आई हुई थी मोनिका बहन जी के यहाँ से , वाह क्या स्वाद थी उसमे ! मैंने दो ले लिए अपने आदत के हिसाब से !
बाटी और दाल हठीला माँ की हाथ का ना भूल पाने वाली रात्री भोज में शामिल है ! और साथ में चटनी ! गुरु जी को बाटी के चूरमे के साथ शक्कर लेना ज्यादा पसंद है तभी कहूँ इतनी मीठी आवाज़ कैसे है ! सभी आगंतुकों को स्मृति चिन्ह भेंट की गयी ! और ऐसी स्मृतियाँ जो जीवन भर ना भूल पाने वाली बात है !
अपने गुरु भाईयौं से मिलना , और उनके साथ दो दिन गुजारना सच में क्या खूब अनुभव रहा है ! परी और पंखुरी के साथ कैरम खेलना और उनकी भोली शिकायतें सोच कर कभी कभी खुद हस पड़ता हूँ !
कुछ एक कमी रही जिसमे बहन जी (कंचन ) और भाई गौतम जी की अनुपस्थिति हमेशा ही खली , जो कुछ सोचा था के ऐसे करेंगे वेसे करेंगे धरा का धरा ही रह गया इन दोनों के साथ , सच तो यही है के समय सबसे बड़ा बलवान होता है !इनकी कमी सभी ने महसूस किये वहाँ पर !
गुरु जी के सानिध्य में हम चारो
जिस तरह से गुरु जी ने हमें प्यार और आशीर्वाद दिया उसके बारे में मैं कुछ बता ही नहीं सकता जिसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं !
Arsh ji, samajh sakti hun ki yah lamhen kitne anupam rahe hoge..smrutipatal pe taumr darj!
ReplyDeleteAisa saubhagy bahut kamko milta hai!Dua karti hun,ki, aapko taumr aise suhare mauqe mila karen aur ham padhke lutf uthaya karen!
अर्श भाई,
ReplyDeleteयह सचमुच बहुत सौभाग्य की बात है. इतने बड़े बड़े शायरों का सानिध्य. गुरु जी का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन. लेखन में इतना प्रभाव एवं पकड़. अवश्य ही पूर्वजन्मों के संस्कारों और सुकर्मों से ही ऐसा होता होगा.
मैं सोच रहा हूँ की मुझे आपसे कहीं ईर्ष्या तो नहीं होने लगी है.
-राजीव
mile aap aur padh kar khushi hamko hui....ham ko kafi romanchit mahsoos kar rahe hain....sach! aise logo se milna nahi bhoolta kabhi....kabhi-kabhi to zindgi naya mod le hi leti hai
ReplyDeleteसच कहा है अर्श भाई
ReplyDeleteपूरा दो दिन गुजारा,,, सबसे ज्यादा बक बक की फिर भी ये शेर याद आता है कि
न जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
मोनिका जी जब अंकित भाई के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्पेशल मिठाई ले कर आई तो एक खाने के बाद हमने भी सोचा कि एक और लें पर हम सोचते रह गये और आप ले लिए :):):)
कंचन जी और गौतम जी इन दो दिन में आपको बहुत बहुत याद किया
बाकी आप तो एक बार सुने
हम तो दिन रात सुने जा रहे हैं :) और बस सुने जा रहे हैं
कीजिये कुछ कीजिये :)----> कुछ याद आया :):):)
बहुत सौभाग्यशाली हैं जो ऐसे पल संजो कर ले आये.
ReplyDeleteअनेक शुभकामनाएँ.
अंत पंत आज आपके ब्लॉग को फालो कर लिया :)
ReplyDelete... छा गये अर्श मियां ... जिंदगी का भरपूर लुत्फ़ उठाया जा रहा है !!!!
ReplyDeleteमैं सिर्फ अंदाज़ा लगा सकता हूँ तुम सब की खुशी का. ऐसे अविस्मर्णीय अवसर ज़िन्दगी में शायद दुबारा नहीं मिलते. अगर मिलते भी हों तो उस पहले अवसर की यादें कुछ और ही होती हैं.
ReplyDeleteचारों को बधाई. लेकिन इस अवसर से जो पुण्य, जो लाभ कमाए, उनका अक्स अब लेखन में भी झलकना चाहिए. कुछ नया पोस्ट होना चाहिए.
प्रिय गुरुभाई अर्श जी, गुरु जी के बारे में और आपकी उपलब्धि(इसे मैं उपलब्धि ही कहूँगा) पढ़कर दिल खुश हो गया, हाँ थोड़ा जला भी कहीं.. :) आभार.
ReplyDeleteआपसे कुछ आवश्यक परामर्श करना था यदि संभव हो तो mashal.com@gmail.com पर अपना फोन नंबर दीजिये प्लीज..
सादर
आप निश्चित तौर पर अत्यंत ही सौभाग्यशाली हैं जो इतने महान लोगों का सानिध्य मिला।
ReplyDeletewahwa.....khoob gujri pichle dino....
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा इस तीर्थयात्रा के बारे में पढ़कर और चित्र देखकर.
ReplyDeleteये सानिध्य तुम्हें बहुत-बहुत ऊंचाइयों पे ले जायेगा प्रकाश...नुकसान मेरा खुद का रहा।
ReplyDeletechaliye..kuch khoobsurat lamhon ki dastak to hui! :)
ReplyDeleteआप सब को बधाई, और शुभकामनाएँ भी कि आप लोगों के उत्साह की बदौलत एक नई ऊँचाई का स्थान हासिल हो गज़ल को।
ReplyDeleteशुभास्ते पंथान:
@गौतम राजरिशी
आपको भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
बेहद अविस्मरनीय और अनमोल का सजीव चित्रण. आप सभी ब्लोगर्स साथियों से मिलना भी बेहद सुखद रहा.
ReplyDeleteregards
अर्श भाई,
ReplyDeleteसीहोर का खुमार उतरने में वक़्त लगेगा, अभी ना जाने कितने और दिनों तक आप को नींद ना आये..................
ऐसे लम्हें बहुत कम आते हैं ज़िन्दगी में, और जब आते हैं तो इन्हें सहेज के रख लेना चाहिए क्योंकि जब कभी भी हमें उनकी ज़रुरत होती है तो इनकी खुशबू हमें उन गुज़रे खूबसूरत लम्हों तक खींच ले जाती है.
आप सब का साथ मिला और खूब मस्ती हुई, जो सबसे ज्यादा मैंने ही की होगी, जब भी मन करता तो आपकी खिंचाई शुरू.........हा हा हा
आपके लिये अविस्मरणीय यादें और हमारे लिये भी
ReplyDeleteAap to ganga mein nahaate rahe ... aanand lete rahe ... bahut hi kismat waale hain Arsh ji ... in yadon ko sambhaal kar rakhiyega .. aapke bahaane hamne bhi vo pal jee liye hain ...
ReplyDeleteArsh ji,
ReplyDeletejo bhi waha nahi aa saka nuksaan uska hua hai ...... kaash main bhi aa paati.... magar..... kya kare.N
jeevan mein aise mouke waqayi naseeb walon ko milte hain
bahut hi khushi ki baat hai...
ReplyDeletebahut bahut badhai....
main to sirf kalpana hi kar sakta hoon ki kisi aise shayar se miloonga lekin hindi ki taraf sewa mein laga hua hoon..
umeed hai aap mere blog par aakar mera utsaah badhate rahenge.........
सीहोर की स्मृतियाँ सुहानी होगी ही ......वीनस ने भी ऐसा ही कुछ कहा था.....!
ReplyDeletebahut hi umdha prastuti aapke shabond ki :)
ReplyDeletehttp://liberalflorence.blogspot.com/
http://sparkledaroma.blogspot.com/
सुखद स्मृतियाँ हमसे भी बांटी.
ReplyDeleteआभार.