मेरी मोहब्बत की वफ़ा दे मुझको ,
मैं कातिल हूँ तो सजा दे मुझको॥
मैं मर भी जाता मगर बदगुमान हूँ ,
क्या पता है मजार का बता दे मुझको॥
मैं वही, मेरी जुस्तजू ,मेरा जूनून भी वही,
तू भी है वही ,तो वही राबता दे मुझको ॥
रंज से और भी नजदीकियां बढ़ने लगी है,
तू मेरी है,ये कहने का हौसला दे मुझको ॥
मैं शायर हूँ मगर ये समझ न सका,तुमने
सबकुछ तो दीया है और क्या दे मुझको ॥
प्रकाश "अर्श"
१८/०१/2008
bhut acche likhate rhe.
ReplyDeleteaap apna word verification hata le taki huko tipani dene me aasani ho.
good work dear, keep rocking :-)
ReplyDelete