Monday, June 30, 2008

मेरी मोहब्बत की वफ़ा......

मेरी मोहब्बत की वफ़ा दे मुझको ,

मैं कातिल हूँ तो सजा दे मुझको॥

मैं मर भी जाता मगर बदगुमान हूँ ,
क्या पता है मजार का बता दे मुझको

मैं वही, मेरी जुस्तजू ,मेरा जूनून भी वही,
तू भी है वही ,तो वही राबता दे मुझको

रंज से और भी नजदीकियां बढ़ने लगी है,
तू मेरी है,ये कहने का हौसला दे मुझको

मैं शायर हूँ मगर ये समझ सका,तुमने
सबकुछ तो दीया है और क्या दे मुझको



प्रकाश "अर्श"

१८/०१/2008

2 comments:

  1. bhut acche likhate rhe.
    aap apna word verification hata le taki huko tipani dene me aasani ho.

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  2. good work dear, keep rocking :-)

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