सबसे पहले तो आप सभी को दिवाली की समस्त शुभकामनाएं ॥
दीप जलते रहे झिलमिलाते रहे ।
हम आजाबों से इनको बचाते रहे ॥
वो हमें इस तरह आजमाते रहे
शर्त हमसे लगा, हार जाते रहे ।
उंगलियाँ इसलिए खुबसूरत हुई
प्यार का नाम लिखते मिटाते रहे ।
मिल गया है उन्हें पैर में घाव लो
फूल कदमों तले जो दबाते रहे ।
हम बहुत दूर तक लो कदम से कदम
फासले दुश्मनी के मिटाते रहे ।
मखमली बिस्तरें देख घबरा गए
रोड पर जो दरी को बिछाते रहे ।
खिंच दूँ और चादर तो फट जायेगी
पेट पैरों में अब तक छुपाते रहे ।
अर्श'चिठ्ठी नही देता है डाकिया
टकटकी द्वार पर हम लगाते रहे ॥
प्रकाश'अर्श'
१७/१०/०९
गूरू जी के महफ़िल में तरही मुशायरा का आयोजन पुरे शीर्ष पर चल रहा है और खूब सारे लोगों ने जम के गज़लें कही हैं ... तरही का मिसरा है ॥
दीप जलते रहें झिलमिलाते रहें ॥इस तरही में मैंने भी कुछ कहने की जुर्रत की है जो आप सभी के सामने प्यार और आर्शीवाद के लिए रख रहा है तरही में में एक छुट ये थी की आप रहे / रहें किसी पे भी ग़ज़ल कह सकते थे . गूरू जी के मेहनत के आगे नतमस्तक हूँ उनकी तबियत ख़राब है और सारी दुआएं उनके लिए जल्दी ठीक हो जायें ....तो लीजिये हाज़िर है ये मुलायम सी ग़ज़ल ... आहिस्ते पढ़ें यही गुजारिश करूँगा ....
दीप जलते रहे झिलमिलाते रहे ।
हम आजाबों से इनको बचाते रहे ॥
वो हमें इस तरह आजमाते रहे
शर्त हमसे लगा, हार जाते रहे ।
उंगलियाँ इसलिए खुबसूरत हुई
प्यार का नाम लिखते मिटाते रहे ।
मिल गया है उन्हें पैर में घाव लो
फूल कदमों तले जो दबाते रहे ।
हम बहुत दूर तक लो कदम से कदम
फासले दुश्मनी के मिटाते रहे ।
मखमली बिस्तरें देख घबरा गए
रोड पर जो दरी को बिछाते रहे ।
खिंच दूँ और चादर तो फट जायेगी
पेट पैरों में अब तक छुपाते रहे ।
अर्श'चिठ्ठी नही देता है डाकिया
टकटकी द्वार पर हम लगाते रहे ॥
प्रकाश'अर्श'
१७/१०/०९
arsh bahi aapke blog main to kai baar aaonga doosri post ke post hone tak.
ReplyDeleteTo ghazal ki alochna fir kabhi pehle to is fotu ki taarif kar doon....
Kahan se le aaiye itna bejod chitr !!
Adbhoot, Sundar....
Aur aapki post main to ye chaar chand sa laga raha hai !!
:)
Diwali ki hardik shubhkamnaiyen.
-John !!
वहाँ भी पढ़ा...वाह वाह करते रह गये और यहाँ भी वही...बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
वो हमें इस तरह आजमाते रहे,
ReplyDeleteशर्त हमसे लगा, हार जाते रहे...
उँगलियाँ इस लिए खूबसूरत हुई,
प्यार का नाम लिखते मिटते रहे...
बेहतरीन... दीपावली की शुभकामनाएं..
शुरुआत में झील milate रहे, typing error है शायद...
behatareen/lajawaab.......arsh ........kya kahun bas bahut achcha laga.
ReplyDeletediwali ki mangalkaamnayen.
अत्यंत सुन्दर लगा भाई
ReplyDeleteआपको दीपावली कीशुभकामानाये
प्रवाहमान भाषा और विनोदपूर्ण शैली के साथ ही प्रतीक और यथार्थ के सोने में सुगंध वाले योग के कारण यह रचना काफी आकर्षित करती है।
ReplyDeleteआप को दिपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteदीप की स्वर्णिम आभा
ReplyDeleteआपके भाग्य की और कर्म
की द्विआभा.....
युग की सफ़लता की
त्रिवेणी
आपके जीवन से आरम्भ हो
मंगल कामना के साथ
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया है अर्श साहब.
ReplyDelete"उंगलियाँ इसलिए खूबसूरत हुयीं
प्यार का नाम लिखते मिटाते रहे"
क्या बात है. बहुत खूब.
bahut hi badhiya...
ReplyDelete"खिंच दूँ और चादर तो फट जायेगी
पेट पैरों में अब तक छुपाते रहे ।"
happy diwali... :)
कोमल अहसास लिए बहुत प्यारी सी ग़ज़ल...
ReplyDeleteप्यार का नाम लिखते रहे.मिटाते रहे..शेर ख़ास लगा.
आपके गुरु जी जल्द स्वस्थ हो जाएँ.उनके लिए शुभकामनायें हैं.
अर्श जी !
ReplyDeleteसबसे पहले दीपावली की मांगलिक कामनाएँ और आपकी शुभेच्छा के लिए हार्दिक धन्यवाद ! नवल दीपमालिका आपके जीवन में उजास भर दे ! नर्म , मुलायम सी ग़ज़ल बहुत उम्दा है ! मतला तो बहुत ही सुन्दर बन पड़ा है पर लगता है typing करते समय ' झिल ' की जगह ' झील ' टाइप हो गया है ( झिलमिलाते की जगह झीलमिलाते ) ! शुरू के तीन अशआर बेहद खूबसूरत हैं , पूरी ग़ज़ल ही निहायत अच्छी है !
अर्श ने फिर से एक कोहिनूर तराशा . ऐसा यह पढ़ कर लगा
ReplyDeleteबहुत खूब अर्श भाई ........ आपकी मुलायम सी ग़ज़ल सच में मलमल की तरह नाजुक है .......... gahre शेर ...........
ReplyDeleteये दीपावली आपके जीवन में नयी नयी खुशियाँ ले कर आये .........
बहुत बहुत मंगल कामनाएं .........
दीप की ज्योति सा ओज आपके जीवन में बना रहे इस कामना के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। आपकी बुद्धि में गणेश की छाया,घर में लक्ष्मी की माया और कलम में सरस्वती का वास रहे।
ReplyDelete*Happy Deepavali*
उंगलियाँ प्यार के हर्फ़ से खूबसूरत हैं....वाह
ReplyDeleteउंगलियाँ प्यार के हर्फ़ से खूबसूरत हैं....वाह
ReplyDeleteअर्श भाई फिर से तारीफ़ करने आ गया हूँ...ये रेशमी एहसास वाली ग़ज़ल चाहे जितनी बार पढो कम लगती है...बेहतरीन ग़ज़ल...
ReplyDeleteनीरज
सबसे पहले तो दीपोत्सव की कोटि-कोटि शुभकामनाएं स्वीकारें. ग़ज़ल अच्छी हैं लेकिन माफ़ करना मुझे लगता है कि तरह कमज़ोर होने के कारण ट्रीटमैंट में नयापन नहीं आ पाया है. अर्श का अपना ट्रीटमैंट. हां उंगलियां वाले शेर का जावाब नहीं उसके लिये ढेरों बधाइयां
ReplyDeleteखींच दू ओर चादर फट जायेगी .....ये वाला शेर पूरी गजल का सबसे अच्छा शेर है.....
ReplyDeleteखींच दूँ चादर तो फट जायेगी
ReplyDeleteपेट पैरों मे अब तक छुपाते रहे
और्
उंगलियाँ इसलिए खूबसूरत हुयीं
प्यार का नाम लिखते मिटाते रहे
दोनो नये अंदाज़ मे लाजवाब शेर
अर्श चिट्ठी नहीं देता है डाकिया
टकटकी द्ुआर पर हम लगाते रहे
अरे किसी को चिठी लिखोगे तभी तो तुम्हें भी आयेगी न ऐसे डाकिया कहाँ से चिट्ठी लायेगा? वैसे शेर बहुत खूबसूरत हैं । बधाई। और ढेर सारे आशीर्वाद जल्दी से तुम्हारी चिठी आये
ये तो चीटिंग है भाई... पहले गुरु जी के आश्रम में अपनी प्रशंसा करवाओ... फिर अपने घर बुला के...! ऐसे थोड़े ना होता है...!
ReplyDeleteतुम ना हो गये करीना कपूर हो गये प्यारे...! " लक्स है मेरी खुबसूरती का राज" :) कह कह के ऐड कर कर रहे हो अॡनी खूबसूरत उँगलियों की और हमसे मिले थे तो वो उँगलियाँ कहाँ रख आये थे ?? वहाँ तो डिप्स मारी हुई उँगलियाँ दिख रही थीं....!
और टकटकी द्वार पर नही फोन के स्क्रीन पर लगया करो, अब चिट्ठियाँ नही आतीं एसएमएस आते हैं। तुम उधर द्वर पर टकटकी लगाये रहते हो उधर एसएमएस ब्लिंक कर कर के चला जाता है।
हा हा हा...! वैसे गज़ल अच्छी थी but this comment was just for a change...!
उँगलियों की इस खूबसूरती से हम भी इत्तिफाक रखते हैं...प्यार वाकई हर चीज़ को छूता है और जादू कर जाता है. ग़ज़ल का एक एक शेर लाजवाब है. हर एक पर वाह वाह वाह!
ReplyDeleteगुलजार की कुछ पसंदीदा लाइनें लिखने से rok नहीं पा रही हूँ
kabse baitha हुआ हूँ मैं janam, kore kagaj पे लिख के नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है...इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी.
लीजिये हुजूर, हम भी आ गये फिर से दाद देने....पूरी ग़ज़ल फिर से पढ़ने के बाद जो टिप्पणी पढ़ने लगे तो अनुजा की बातों ने तमाम "दाद" और "वाह-वाह" को ठहाकों में परिणत कर दिया।
ReplyDeleteतो अबके उफ़्फ़्फ़्फ़ की जगह हा ! हा !! हा !!!
वैसे संजीव जी का कमेंट हम सब के लिये है शायद जो वो इशारों में क गये हैं।
ऊंगलियां देखी जायेंगी इस बार गौर से!
दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteयूंही लिखते रहें,
दिल की गहराई से..
इतनी प्यारी ग़ज़लें क्यों दर्ज कर देते हो अर्श भाई? हा हा।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब और बहुत बहुत बधाई। उँगलियों वाली बात में ग़ज़ब सार समाया हुआ है। दिल बहुत ख़ुश हुआ पढ़कर।
अर्श जी,
ReplyDeleteसही कहा कंचन दीदी ने और कितनी बार बधाई लोगे, वैसे ग़ज़ल जितनी बार तारीफ की जाये कम ही है.
हर शेर निखार के आया है, ऐसे ही बेहतरीन लिखते रहें.
खूब कहा है।
ReplyDeletejin ungliyo ko prem ka naam mitane ka adhikaar mila ho un ungliyo ki kismat bhi kyaa khoob he/ esi ungliya apne aap me ek jeevan he arsh ji. isiliye maahir logo ki daad milti he aapko jo rachna ki saarthakataa sidhdh karti he/
ReplyDeletekhneech doo aour to chadar fat jayegi....., lazavab she'r he arsh bhai. aapke sir par guruji kaa haath he aour ham usi vajah se behatreen abhivyaktiyo me naha lete he.
खैर उंगलियां किसका नाम लिखकर मिटारने में सुंदर हुंई ये मिलने पर पूछूंगा । लेकिन इस ग़ज़ल में तुमको समझ में आया होगा कि मैं बार बार जो कहता हूं कम लिखो पर अच्छा लिखो वो क्यों कहता हूं । कम लिखोगे तभी इतनी अच्छी ग़ज़ल लिख पाओगे । तुम्हारी पिछली ग़ज़लों के मुकाबले बहुत निखरी हुई है ये ग़ज़ल । बधाई ।
ReplyDeleteGustakhi muaaf arh sahab!main gazal ke bare main jyada to nahi janti aur na hi mera koi ustad hai.lekin ye matla agar yun hota-
ReplyDeleteDeep jalte rahe jhilmilate rahe
hum HAWAON SE INKO BACHATE RAHE.
to shayed jyada jaandar hota.gustakhi ki muafi pahle hi mang chuki hun.badhiya gazal ke liye badhai.
अब समझ आया खूबसूरत अँगुलियों का राज .. क्या खूब लिखा है...
ReplyDeleteवाह.. बेहतरीन रचना का पुनर्पाठ.... साधुवाद....
ReplyDeleteमालूम हुआ कि उनकी ही अंगुलियाँ हमसे सुंदर क्यों हुई
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल है मित्र शेर सब उम्दा है बाकी आपने जो चुना है वह शेर तो है ही मस्त.
Waah! Aapne nishabd kar diya!"Bikhare Sitare" tatha "simte lamehn" pe aapka swagat hai...iltija bhar ...anytha na len....kewal is jeevanee, (Bikhare sitare) is dard ke safar me rahnumai karen..
ReplyDeletebahut sunder gazal
ReplyDeletephool pairon tale jo........... waah
ungliyan wala sher bhi kamaal raha
उंगलियाँ इसलिए खुबसूरत हुई
ReplyDeleteप्यार का नाम लिखते मिटाते रहे ।
मिल गया है उन्हें पैर में घाव लो
फूल कदमों तले जो दबाते रहे ।
...Khubsurat gazal..badhai.
gazal to bahut achchi ban padi hai arsh! thoda kaam zyada rahta hai isliye....blogging kam hi ho paati hai
ReplyDeleteउंगलियाँ इसलिए खुबसूरत हुई
ReplyDeleteप्यार का नाम लिखते मिटाते रहे ।
bus isi pe der se nigah aur dil rahe baitha hoon...
aur vashikaran ke dwara ise apna karne ki koshis hai bus !!
aise sher' to saam daam dand ( ;)) bhed se apne banana chahoonga !!
"अर्श'चिठ्ठी नही देता है डाकिया
ReplyDeleteटकटकी द्वार पर हम लगाते रहे ॥"
"Dil 'e naadan na dhadak...
E dil e naadan na dhadak,
Koi khat leke padosi ke ghar aaiya hoga...
kaun aaiyega yahan ? koi na aaiya hoga !"
1 la aur 7 vaN sher achchha laga. 4 tha bahut achchha laga.
ReplyDeleteतरही गजल लिखना वाकई कठिन होता है। आप इस परीक्षा में भी बहुत अच्छे से खरे साबित हुए हैं।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत बढ़िया है अर्श साहब.आप बहुत अच्छा लिखते है
ReplyDeleteएक लम्बे इन्तजार के बाद अर्श का कदम रखना सुखद लगा .....वर्ना नज्मों की रौनक कहीं खो सी गई थी ....!!
ReplyDeleteआपकी ये ग़ज़ल पहले भी पढ़ी थी पर अपना कमेन्ट न पा हैरानी हुई ....
ऊंगलियाँ इसलिए खूबसूरत हुई
प्यार का नाम लिखते मिटाते रहे
सुभानाल्लाह ....ये तो गज़ब का शे'र है ....!!
... behatreen gazal !!!!!!
ReplyDeleteAre waah dost ...tabiyat mast hogai badane ke bad ..par dukh is bat ka ki bahut der se padha ...,aur ab diwali ki to nahi par NEW YEAR ki badhai bhi swikaren!
ReplyDeleteMakhmali bistar dekh ghabra gaye
ReplyDeleteRoad par jo dari ko bichate rahe
Wah janaab...bahut achha sher hai....ghazal bhi wakai achhi hai...