मेरे मोहब्बत का नतीजा इसकदर निकला,
मैं करम करता रहा वो सितमगर निकला॥
दिल में बसाया था जिसको धड़कन की तरह,
मेरी मौत का वजह उसी का खंज़र निकला॥
मैं भी अजीब शक्श हूँ और इतना अजीब हूँ,
ख़ुद को तबाह करके भी उनसे बेहतर निकला॥
सोंचा था एक दिन उनको भी तरस आएगी मगर,
वही सहर,वही सफर,वही हमसफ़र निकला॥
मौत भी आएगी एक दिन इसी इंतजार में,
उम्र से लंबा मेरा वो रहगुज़र निकला॥
प्रकाश "अर्श"
१२/०२/2008
मैं करम करता रहा वो सितमगर निकला॥
दिल में बसाया था जिसको धड़कन की तरह,
मेरी मौत का वजह उसी का खंज़र निकला॥
मैं भी अजीब शक्श हूँ और इतना अजीब हूँ,
ख़ुद को तबाह करके भी उनसे बेहतर निकला॥
सोंचा था एक दिन उनको भी तरस आएगी मगर,
वही सहर,वही सफर,वही हमसफ़र निकला॥
मौत भी आएगी एक दिन इसी इंतजार में,
उम्र से लंबा मेरा वो रहगुज़र निकला॥
प्रकाश "अर्श"
१२/०२/2008
bhut khub.likhate rhe.
ReplyDeleteअच्छा लिख रहे हैं. लिखते रहिये. शुभकामनायें.
ReplyDelete---
उल्टा तीर
मैं पढ़ रहा हूँ ।
ReplyDeleteदिल में बसाया था जिसको धड़कन की तरह,
ReplyDeleteमेरी मौत का वजह उसी का खंज़र निकला॥
"wah wah, wah, so nice poetry"
Regards
guru likhte bhi ho pataa nahi thaa...hum tou bas gaane waalaa gun jaante they,,,,lage raho
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