Saturday, June 28, 2008

मेरे मोहब्बत का नतीजा.....

मेरे मोहब्बत का नतीजा इसकदर निकला,
मैं करम करता रहा वो सितमगर निकला॥

दिल में बसाया था जिसको धड़कन की तरह,
मेरी मौत का वजह उसी का खंज़र निकला॥

मैं भी अजीब शक्श हूँ और इतना अजीब हूँ,
ख़ुद को तबाह करके भी उनसे बेहतर निकला॥

सोंचा था एक दिन उनको भी तरस आएगी मगर,
वही सहर,वही सफर,वही हमसफ़र निकला॥

मौत भी आएगी एक दिन इसी इंतजार में,
उम्र से लंबा मेरा वो रहगुज़र निकला॥


प्रकाश "अर्श"
१२/०२/2008

5 comments:

  1. अच्छा लिख रहे हैं. लिखते रहिये. शुभकामनायें.
    ---
    उल्टा तीर

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  2. मैं पढ़ रहा हूँ ।

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  3. दिल में बसाया था जिसको धड़कन की तरह,
    मेरी मौत का वजह उसी का खंज़र निकला॥

    "wah wah, wah, so nice poetry"

    Regards

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  4. guru likhte bhi ho pataa nahi thaa...hum tou bas gaane waalaa gun jaante they,,,,lage raho

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