नहीं सियाह तो समंदर पे हुकूमत होगी ।
मिलेगी वो मुझे अगर मेरी किस्मत होगी ॥
अभी से हार के क्यूँ बैठ जायें खुदा से ,
मिलेंगे लोग वही जब दोजख जन्नत होगी ॥
बहोत कठिन है, यकीनन ये राहे -मोहब्बत ,
करेंगे पार, अगर हौसला हिम्मत होगी ॥
नहीं हैं सीरी -फ़रहाद ,कैस से बड़े हम
मिलेगी हमको भी उकुबत जो उकुबत होगी ॥
वज्म में आना तुम भी, ओ मेरे रकीबों
करेगा "अर्श" खिदमत जो खिदमत होगी ॥
प्रकाश "अर्श"
९/११/२००८
खुदा = मोहब्बत के ठेकेदार, उकुबत = सज़ा ,
खिदमत = सेवा ,आवभगत । बज्म = सभा ,
कैस = मजनू ,रकीब = दुश्मन .................,
लीजिए आ गए आपके बज्म में पर आप खूबसूरत पीले फूलों के बीच अकेले बैठे हो।
ReplyDeleteआपकी शायरी को ही खिदमत मान लिया
अपनी कमजोरी को ही हिम्मत मान लिया
यूँ गुजरे यहॉं से होकर बेपरवाह मगर
आपकी दुआओं को मन्नत मान लिया।
इस बेबात को गंभीरता से ना लें :)
आपकी बज्म में हम आ ही गए.
ReplyDeleteऔर उम्दा बहुत कुछ पा ही गए.
नहीं हैं सीरी -फ़रहाद ,कैस से बड़े हम
ReplyDeleteमिलेगी हमको भी उकुबत जो उकुबत होगी ॥
वज्म में आना तुम भी, ओ मेरे रकीबों
करेगा "अर्श" खिदमत जो खिदमत होगी
waah bahut khub
बहोत कठिन है, यकीनन ये राहे -मोहब्बत ,
ReplyDeleteकरेंगे पार, अगर हौसला हिम्मत होगी ॥
...........
Waah ! bahut sundar.
prakaash arsh jee
ReplyDeletenamaskaar
"nahi syaah to samandar pe hukoomat hogi" gazal padhi achchhi lagi
aapka vijay tiwari "kisaly "
नहीं हैं सीरी -फ़रहाद ,कैस से बड़े हम
ReplyDeleteमिलेगी हमको भी उकुबत जो उकुबत होगी ॥
--क्या बात है जी!! वाह!! बहुत बेहतरीन!
बहोत कठिन है, यकीनन ये राहे -मोहब्बत ,
ReplyDeleteकरेंगे पार, अगर हौसला हिम्मत होगी ॥
" wah wah wah, very good creations and thoughts day by day... wonderful expressions"
Regards
bahut sunder rachana
ReplyDeleteवज्म में आना तुम भी, ओ मेरे रकीबों
ReplyDeleteमेरी भी हाजरी दर्ज की जाय भाई ।
मैं आपने सारे पाठकों का बहोत बहोत धन्यवाद करता हूँ जिनका प्यार और आशीर्वाद मेरे ऊपर है ...
ReplyDeleteबज्म में तो मैंने सिर्फ़ अपने रकीबों को बुलाया है ,आपलोग तो मेरे आपने है जो हमेशा मेरे साथ रहते है ...
आप सबो का बहोत बहोत स्वागत है मेरे ब्लॉग पे ..
रेगार्ड्स
अर्श