उनकी हर लफ्ज़ में मोहब्बत जवान होती है ।
वो होती है, तो महफ़िल में जान होती है ॥
उनके आँचल के तले नींद में उन्घी सी ख्वाब
जागती है, तो मुक्कमल सयान होती है ॥
है वो मुमताज़ की जागीर ,मगर सोंचों तो सही
उनकी चर्चे भी ,ताजमहल की शान होती है ॥
वो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
सूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥
वो सोंच ले ,जो फकत उंगली उठाना जानते है
उनकी अपनी भी तो"अर्श" गिरेबान होती है
प्रकाश "अर्श"
१३/११/२००८
वो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
ReplyDeleteसूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥
वो सोंच ले ,जो फकत उंगली उठाना जानते है
उनकी अपनी भी तो"अर्श" गिरेबान होती है
waah bahut gehrai se likhe sher bahut khubsurat
वो सोंच ले ,जो फकत उंगली उठाना जानते है
ReplyDeleteउनकी अपनी भी तो"अर्श" गिरेबान होती है
bahut khoob
वो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
ReplyDeleteसूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥
बहुत खूब कहा है आपने
कुछ बात तो है आपके लेखन में। बहुत अच्छा जारी रहे।
ReplyDeleteprakashbadal.blogspot.com
उनकी हर लफ्ज में मोहब्बत जवान होती है ।
ReplyDeleteवो होती है , तो महफिल जवान होती है ।।
कुछ बात तो है अर्श की गजल मे...
वो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
ReplyDeleteसूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥
वो सोंच ले ,जो फकत उंगली उठाना जानते है
उनकी अपनी भी तो"अर्श" गिरेबान होती है
बहुत खूब कहा है आपने
आपने दिल चुरा लिया...मन करता है आपको प्रपोज कर दूं...!!
ReplyDeleteबेहतरीन लिखा!!
ReplyDeleteमतला तो कहर है, वाह्!
ReplyDeleteहै वो मुमताज़ की जागीर ,मगर सोंचों तो सही
ReplyDeleteउनकी चर्चे भी ,ताजमहल की शान होती है ॥
" wonderful. these lines are really "jan" of this poem"
Regards
है वो मुमताज़ की जागीर ,मगर सोंचों तो सही
ReplyDeleteउनकी चर्चे भी ,ताजमहल की शान होती है ॥
वो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
सूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥
वाह बहुत सुन्दर।
आप सभी पाठकों का मैं आभार ब्यक्त करता हूँ जो आप लोगों ने आपना वक्त निकला मेरे लिए आप सभी का मेरे ब्लॉग पे बहोत स्वागत है ..
ReplyDeleteखास कर सुशांत जी को कहना चाहूँगा के
मौसम तो हज़ार है मगर बस अपने
देश में ये मोसम आया नही अभी..
आप सबों का बहोत बहोत स्वागत है ...
आभार
अर्श
वो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
ReplyDeleteसूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥
bahut khuub !
Very Nice Post
ReplyDeleteShyari is here plz visit karna ji
http://www.discobhangra.com/shayari/romantic-shayri/
bahut achi ghazal likhi hai
ReplyDeleteवो भी चुप है ,मैं भी कुछ कह नही पाता
ReplyDeleteसूना है ,इश्क में नज़रें जुबान होती है ॥..khuubsurat baat
वो भी चुप,दिल भी कुछ कह नहीं पाता
ReplyDeleteसुना है , इश्क में नज़रें ज़ुबां होती हैं
sunaa hai ishq main jubaan hoti hai ...
ReplyDeletebadhai, khoob likhaa hai
Sirf yahee nahee...saree rachnayen jo yahanpe mili, padh daali....ab duvidhame hun, ki may likhun?
ReplyDeleteSabhi diggaj tippanikaronse sehmat hun!
Yaad aa raha ek geet, Jagjit-chitraka,
"Kaun kehta hai muhobbatki zuban hotee hai ?
Ye wo haqeekat hai jo nazronse(nigahonse?) bayan hotee hai!"Mere blogpe tippaneeke liye tahe dilse shukrguzaree hai..!