ग़म , आंसू , दर्द
यही सारे है
हमदर्द मेरे ।
मिले हैं मुफ्त तो
मुझको
सस्ती - सस्ती तन्हाई ॥
मेरा खजाना तुम गर पूछो
बस उम्र- भर
की
बेवफाई
प्रकाश "अर्श "
१०/११/२००८
यही सारे है
हमदर्द मेरे ।
मिले हैं मुफ्त तो
मुझको
सस्ती - सस्ती तन्हाई ॥
मेरा खजाना तुम गर पूछो
बस उम्र- भर
की
बेवफाई
प्रकाश "अर्श "
१०/११/२००८
bahut khub
ReplyDeleteसबकी यही कहानी है जनाब-
ReplyDeleteग़म , आंसू , दर्द
यही सारे है
हमदर्द मेरे।
बस सोर्स अलग-अलग हैं।
har koi kisi ke saath hokar hi tanha hota hai,aur khud se hi bewafa hi,kuch alag si sundar rachana
ReplyDeleteमेरा खजाना तुम गर पूछो
ReplyDeleteबस उम्र- भर
की
बेवफाई
" wow, what a imaginary of words, impressive"
Regards
bahut badhiyaa!!
ReplyDeleteकुछ ऐसा ही ख़ज़ाना मेरे दिल में है, रचना की भावुकता सरस है!
ReplyDeleteक्या बात है!!!! बहुत खूब लिखा है दर्द भी.
ReplyDeleteबहुत खूब लेकिन जितेन्द्र की बात भी सही है कि सोर्स अलग अलग हैं
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