इक अजीब खाब देखा है ।
उनको नायाब देखा है ॥
बड़ी मुश्किल में हूँ ,
ये क्या जनाब देखा है ॥ ,
वहीँ छलके है फकत ,
उम्दा शराब देखा है ॥
मुझे भी मिलेगा
क्या,वो अजाब देखा है ॥
उनके जमाले रुख पे ,
कैसा आफताब देखा है ॥
अर्श डूब गया हूँ मगर,
ताब को ताब देखा है ॥
प्रकाश "अर्श"
१५/११/२००८
उनको नायाब देखा है ॥
बड़ी मुश्किल में हूँ ,
ये क्या जनाब देखा है ॥ ,
वहीँ छलके है फकत ,
उम्दा शराब देखा है ॥
मुझे भी मिलेगा
क्या,वो अजाब देखा है ॥
उनके जमाले रुख पे ,
कैसा आफताब देखा है ॥
अर्श डूब गया हूँ मगर,
ताब को ताब देखा है ॥
प्रकाश "अर्श"
१५/११/२००८
उनके जमाले रुख पे ,
ReplyDeleteकैसा आफताब देखा है ॥
अर्श डूब गया हूँ मगर,
ताब को ताब देखा है ॥
waah bahut hi khubsurat
aisa lagta hai arsh, aap ne Ye khwaab 'bada lajawab 'dekha hai!
ReplyDeletePRAKASH JEE
ReplyDeleteAAPKI GAZAL ""UNKO NAAYAAB"" DEKHA HAI, ACHCHHI LAGI,
YOON HI ACHCHHA AUR ACHCHHA LIKHTE RAHIYEGA .
HAMAARI SHUBH KAAMNAAYEN
AAPKA
VIJAY
कमाल का अंदाज़ है आपका भी आपको बधाई
ReplyDeleteअर्श डूब गया हूँ मगर,
ReplyDeleteताब को ताब देखा है ॥
waah!
अर्श डूब गया मगर कैसा अफताब देखा है
ReplyDeleteसहारा ना दो मगर यूं तो लाज़वाब देखा है
प्यारे अर्श भाई,
ReplyDeleteबहुत सुंदर, बहुत बेहतर ! ये हुई ना बात नायाब से पायाब हो जाने की ! कैचिंग कैचिंग गो ऑन गेट स्काई !
और जो बतलाना चाहता हूँ वो ईमेल करूंगा वरना आप मिटा दोगे पिछली बार जैसे. हा हा !
ढेर सारे स्नेह सहित. आपका अपना.